खिदमत
... खिदमत के पहले पार्ट में आपने तिल गांव के यूसुफ साहब के बारे में पढ़ा और दूसरे इस पार्ट में हम पढ़ेंगे, " खिदमत " जी हां खिदमत के बारे में, सुनसान गली में एक बच्चा रोता हुआ चला जा रहा था कोई कोई अपने घर की बालकनी से उसे देखता या छत से उसे देखता या फिर खिड़की से देखता और फिर वापस अपने कमरे में हो जाता । उस बच्चे को देख गुड्डू मुनीरी जी उसके पीछे पीछे चले जा रहे है लेकिन जैसे ही वह एक दुकान के आगे आकर रुका और दुकानदार अंकल से बोला - बच्चा : अंकल एक पेंसिल और कटर ( शॉपनर ) दे दो मैं तुम्हे कल पैसे लेकर से दूंगा दुकानदार : नही बेटे बच्चो को उधार नहीं देते पहले पैसे लेकर आओ बच्चा : अंकल मैं लाया था लेकिन वह कहीं नाली के पास गिर गए, वो सिक्का था दस का, एक दम से गिर गया दुकानदार : तो रोता क्यों है घर जा और लिया बच्चा : अम्मी बहुत मारेगी मुझे दुकानदार : अम्मी को बोलना नाली में गिर गए , चल जा बच्चा : अम्मी पे पैसे नहीं है , वो नही देगी , वो मुझे मारेगी । ( गुड्डू मुनीरी जी दुकान के करीब खड़े होकर ये सब मामला देख रहे थे ) बच्चा रोते रोते जाने लगा तो पीछे से गुड्डू मुनीरी जी ने बच्चे को आवाज दी, उसको बुलाया - अरे बेटे सुनो बच्चे ने मुड़कर पीछे देखा बच्चा बोला : जी अंकल गुड्डू मुनीरी जी जिन्हे लोग अक्सर मुनीरी साहब कहते हुए नजर आते थे । मुनीरी साहब बोले : बेटा क्या बात है, रोना बंद करो पहले अब ये बताओ पैसे कैसे गिरे नाली में , बताओ, बताओ मैं आपको पेंसिल दिला दूंगा अगर तुम बताओगे तो बच्चा : जी मैं हाथ से उछाल कर देख रहा था पीछे वाली गली में, पता नही को गए । मुनीरी साहब : अच्छा ठीक है ( मुनीरी साहब दुकानदार की और देखकर कहते हुए ) " इसे पांच पेंसिल और एक कटर (शोपनर) एक रबड़ साथ मे दे दो दुकानदार बोला : अच्छा मुनीरी भाई , दुकानदार ने उस बच्चे को पांच पेंसिल, रबड़, कटर दे दिए ।
(मुनीरी साहब ने उसके आंसू पोछे और बोले कि - अम्मी से कुछ न कहना,अब तुम जाओ बच्चे ने एक दो बार मुढ़कर देखा फिर चल दिया मुनीरी साहब भी पीछे पीछे उसका घर देखने के लिए चल दिए कुछ देर बाद बच्चा अपने घर में दाखिल हो गया । कुछ दूरी से मुनीरी साहब ने उसका घर देखा जिसकी दीवारें बिना पलसतर, बिना पेंट - पुताई का था जो सभी घरों से अलग था और फिर वह भी अपने घर को चल दिए । कुछ दिन बाद कुछ साथियों के साथ मिलकर गुड्डू मुनीरी साहब ने एक विशेष दिन एक प्रोग्राम बनाया क्यों न उन जरूरतमंद बच्चों को इकठ्ठा किया जाए जिनको हम शिक्षा की सामग्री प्रदान कर सके । इस बात का राय मशवरा मुनीरी साहब ने कुछ दोस्तो के साथ किया ............ ...........next coming soon
Mohammed urooj khan
19-Jan-2024 05:12 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Alka jain
16-Jan-2024 10:56 PM
Nice
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Gunjan Kamal
08-Jan-2024 09:14 PM
👏👌
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