सर्दी -10-Jan-2024
[ सर्दी ]
सर्द हवाएं मुझे धकेल रही है
फर्राटे दार झोंको से मुझे डरा रही है
बैठा हूं खुले आसमान के नीचे
ठिठुरन क्या है जो हमे सता रही है
एक बदन पर तीन चार जर्सी
टांगो पर एक ही पायजामा
खुली दुकान पर बैठा मैं अलबेला
ठिठुरन क्या है जो हमे सता रही है
इतना तो ईंधन नही मेरे पास
कुछ ताप के लिए आग जला सकू मैं
खुले आसमान के नीचे सोता मैं
इतना तो बलवान नही घर बना सकू मैं
लोगो ने कंबल रजाई सब गांव से मांगा लिए
थोड़ी सी सर्दी बड़ी सब बदन पर चढ़ा लिए
हम पेट के लिए सही से कमा नही पाते
देख कर चेहरे हमारे लोगो ने कदम बड़ा लिए
फिक्र मेरी छोड़ो अपना ख्याल रखना
मेरे जैसे गरीब से कभी प्यार मत करना
सर्द रातो की बर्फीली हवाओ से
मैं कैसे बचाऊंगा तुम्हे
मुझे तो आदत है यूंही ठंड से भिड़ जाने की
मैं कोनसा किसी के साथ हूं
मैं अकेला हूं क्यों बताऊंगा तुम्हे
- गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी
- दिनांक : १०/०१/२०२४
Sushi saxena
16-Jan-2024 08:34 PM
Nice
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Gunjan Kamal
13-Jan-2024 03:57 PM
👌👏
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नंदिता राय
12-Jan-2024 08:29 PM
Nice
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