Amit Ratta

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लोहड़ी-13-Jan-2024

गीत गिद्दे भांगड़ा ढोल की थाप पर बोलियां
गा गाकर लोहड़ी मांगती बच्चों की टोलियां
कहीं से पैसे  कहीं मुगफली गच्चक मिलती
कहीं भर जातीं थीं गुड़ चावल से झोलियां।।

कपड़े का थैला ऊपर ऊनी धागे की कढ़ाई
एक हाथ मे छाता उसके दूसरे हाथ मिठाई
शाम को नानी आती तो भागके लिपट जाते
जोरजोर से चिल्लाते नानी आई नानी आई।।

बो बचपन की लोहड़ी  अब भी है याद मुझे
मुगफली रेबड़िओं का भुला नही स्वाद मुझे
तिल चावल गुड़ मिलके करना अग्नि में भेंट
याद है नानी की गोदी बैठ सेंकना आग मुझे।।

जाने लोहड़ी बदल गई या मनानी नही आती
अब त्योहार में वो खुशवू सुहानी नही आती
फीकी सी लगती हैं मुगफली गच्चक रेबड़ियाँ
गुजरे कई साल हो गए अब नानी नही आती।।
                 अमित रत्ता
       अम्ब ऊना हिमाचल प्रदेश

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6 Comments

Sushi saxena

16-Jan-2024 08:11 PM

Nice

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Varsha_Upadhyay

14-Jan-2024 12:29 PM

Nice

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Gunjan Kamal

13-Jan-2024 03:36 PM

👏👌

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