Add To collaction

कविता



अंतर्मन के भावों का सुप्त और जागृत ख्वाबों का,

अंबर की नीली स्याही से सृजित धरा पर एक चित्र है...

चिंतन की अभिव्यक्ति कविता, कविता कवि की परम मित्र है...

 

जब निरीह के आंसू आते, जूठन बीनते क्षुधा बुझाते..

चिथड़ों में दिखते यौवन को, नर पिशाच भेड़िए खाते..

तब मन व्यथित बहुत होता है कवि हृदय कहां सोता है,

कविता का अभ्युदय होता, जो कवि का देदीप्य चरित्र है...

चिंतन की अभिव्यक्ति कविता, कविता कवि की परम मित्र है...

 


कविता

नाशवान है सब इस जग में सब कुछ नष्ट यही होना है..

जीवित है उसको मरना हैनिर्जीवित को भी मिटना है..

लेकिन कविता अजर अमर हैपरे समय से यह शाश्वत है,

निर्वातों में गुंजित ध्वनि हैदूर क्षितिज पर अमिट मंत्र है...

चिंतन की अभिव्यक्ति कविताकविता कवि की परम मित्र है...


 


कविता

अब भी फुटपाथों पर सोतेअब भी कृषक प्राण को खोते..

न्यायालय से न्याय न मिलताथाने में अस्मत को रोते..

नोटों से सत्ता में आतेसत्ता लेकर नोट कमाते,

तब भारत मां कविता रचतीनिज संतति को अश्रु पत्र है...

चिंतन की अभिव्यक्ति कविताकविता कवि की परम मित्र है...

 

भारतेंद्र शर्मा "भारत"

धौलपुर


   7
2 Comments

Satesh Dev Pandey

25-Mar-2021 07:21 AM

👌👌👌👌🙏🙏🙏

Reply

Bhartendra Sharma

02-Apr-2021 11:42 AM

बहुत बहुत शुक्रिया

Reply