Sunita gupta

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स्वैच्छिक विषय मंदिर में विराजित रामलला

मंदिर में विराजित राम लला
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 मंदिर में विराजित राम लला 
तेरी मोहनी मूरत प्यारी लगे।
 हे राम तुम्हारी चितवन पर मैने यह
 जीवन वार दिया।
अपनालो मेरा घायल मन ,यह जीवन मैने हार दिया।

बस एक तमन्ना है मन की,कुछ परमारथ करती जाऊं,
अपनोंको मैं कुछ करजाऊं,जिनने मुझको संसार दिया।

बस एक तमन्ना है तन की,दुखियों की भी सेवा करलूं,
दुखियों का आशीर्वाद मिले,उनने जो मुझे निहार लिया।

हो राम तुम्हीं घनश्याम तुम्हीं ,मेरे जीवन के रखवाले ,
जबजब जोभी मांगा मैनें,आकर मुझको सरकार दिया।

यह अंतिम जीवन हो मेरा,यह मांग मेरी ठुकराना ना,
हे राम मुझे अपना लेना,अपनी पतवार का भार दिया।

सरिता बन बहना चरणों में ,स्वीकार करो मेरी सेवा,


सुनीता गुप्ता'सरिता'कानपुर

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5 Comments

Mohammed urooj khan

23-Jan-2024 01:20 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Reyaan

22-Jan-2024 01:07 AM

Nice

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Milind salve

21-Jan-2024 08:10 PM

Nice

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