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लेखनी प्रतियोगिता -20-Jan-2024

*मुझसे चाँद कहा करता है*

ये इश्क है ये कब दायरे में रहा करता है।
सैलाब मोहब्बत का यूँ ही बहा करता है।

एक चाँद आसमाँ में है दूजा आग़ोश में,
मेरा सनम यूँ ही मुझसे चाँद कहा करता है।

बैठकर छत पर घण्टों किसी की याद में,
सुना है चाँद अब आहें भरा करता है।

रूबरू रहके जो बात कह न सके लब, 
ख़्वाबों में वही बात दिल रोज़ सुना करता है।

तसव्वुर में उसके लिख दी है  शोख़ गजल 
 फुरकत का ग़म दिल ऐसे सहा करता है।

वो मुस्कुराते हुए जब देखता है मुझे,
उसका चेहरा सारे जज़्बात बयाँ करता है।

एक मैं ही नहीं हूँ बेचैन उसके लिए प्रीति
 वो भी मेरे इश्क में बेताब रहा करता है।

प्रीति चौधरी"मनोरमा"
जनपद बुलंदशहर
उत्तरप्रदेश

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9 Comments

Mohammed urooj khan

24-Jan-2024 01:49 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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नंदिता राय

21-Jan-2024 11:55 PM

Nice

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Sushi saxena

21-Jan-2024 09:48 PM

V nice

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