सीता की गुहार राम से
हे प्रभु राम मेरी भी सुनो
तुम जानते थे कि रावण मेरा हरण करने वाला है
फिर भी तुम चुप थे
हे राम उसने मेरा हरण किया
फिर भी मेरी परछाई तक नहीं छू पाया
उसने साधु वेश में मेरा हरण किया
ये भी तुम जानते थे
फिर क्यो किया मेरे साथ ऐसा तुमने
तुम एक राजा के साथ पालकहार हो
सब जानते हुए भी मेरे को किस बात की सजा दी
क्यो त्याग किया गया मेरा
क्यो मेरे को दुबारा से वनवास दिया गया
हे राम तुम तो सब जानते थे
मैं आज भी पवित्र हूँ
कल भी पवित्र थी और
हमेशा ही पवित्र रहूंगी
तुम्हारे अलावा कोई भी मेरे को छू भी नहीं पाया
फिर चाहे शरीर हो या दिल हो
आप तो मेरे रोम -रोम में बसे हो
मै आपकी अधागिनी के साथ आपकी परछाई हूँ
फिर क्या दोष था मेरा जो आपने मेरा त्याग किया
लव और कुश आपका ही अंश
ये जानते थे आप फिर भी आपने उनके समय मेरा त्याग किया,
ऐसी क्या सच्चाई जो आपको ना पता हो
फिर क्यो मेरा त्याग किया गया
क्या इसलिए की में एक नारी हूँ
क्या इसलिए की आपको विश्वास नहीं था
कि मैं आज भी पवित्र हूँ
रावण ने अपने स्वार्थ में मेरा हरण किया
ये तो आप जानते थे
फिर मेरा त्याग क्यो किया आपने
अपने आत्म सम्मान के लिए जिंदगी भर आप की आज्ञा मानी हर पल साथ दिया आपका,
आपको दिया गया 14 दिन का वनवास
फिर भी आपका साथ ना छोडा मैने
फिर क्यो साथ छोड़ मेरा त्याग किया आपने मेरा
ना चाहते हुए बिना कसूर के सही मैने विरह की जि़दगी
क्या आपको इतना भी विश्वास और प्यार ना था
जो बिना दोष के मेरे को आपने त्याग दिया
हे राम आप ही बताए क्या दोष मेरा
जो आपने मेरा त्याग किया
एक बार भी पलट कर नहीं देखा
आपके साथ बिना कैसे जीएगी सीता आपकी
लाए बचा के रावण से
किया उसका वंध आपने
फिर क्यो किया त्याग मेरा
मेरी विरह को क्यो नही समझ पाये आप
आप बिन कैसे जीती सीता
मजबूर हो कर मैने खुद को सौंप दिया
माँ धरती के आँचल में
हे प्रभु राम क्यो किया आपने त्याग मेरा
स्वरचित- अंजू सिंह दिल्ली
Rupesh Kumar
23-Jan-2024 07:37 PM
Nice one
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Varsha_Upadhyay
23-Jan-2024 05:14 PM
बहुत खूब
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Gunjan Kamal
23-Jan-2024 03:02 PM
👏👌
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