Neeraj Agarwal

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लेखनी कहानी -21-Jan-2024

शीर्षक - कहानी अधूरी रह गयी


         जीवन और जिंदगी में हम सब कहीं ना कहीं और लिखते है। हम सभी के जीवन में मोहब्बत इश्क कभी ना कभी तो रहते ही है हम बचपन जवानी बुढ़ापे में इस तरह की जीवन को जीते हैं पढ़ाई लिखाई नौकरी हम सभी के जीवन में कुछ ना कुछ कहानी रहती है आप किसी की कहानी अधूरी रह गयी या पूरी हो गई यह तो जीवन के निर्वाह पर निर्भर करती है और हम सबके व्यवहार कुशलता जीवन की संबंधों  पर कहानी अधूरी रह गयी। 
        रीना एक छोटे से परिवार की लड़की थी और आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण अपने जीवन यापन करने के लिए वह घरों के बर्तन धुलाई कपड़े धोना साफ सफाई करने का काम करतें हैंं। रीना एक सुंदर की गदराई जवानी के साथ साथ मांसल देह शरीर के साथ साथ अपनी उम्र से बढ़ी लगती थी। आज की आधुनिक युग में रीना सब समझती थी जीवन में लोगों की नजरों का इशारा और तरह-तरह के लोगो के ताने-बाने भी अच्छी तरह समझती थी। परंतु पिता के न होने के कारण बीमार मां का इलाज के लिए वह घर जाकर साफ सफाई का काम करती थी और लोगों की निगाहों से बचती हुई वह अपने पहनावे को लेकर भी सजग रहती थी परंतु शरीर ही इतना आकर्षक और मांसल था। कि कपड़े की कभी-कभी तंग हो जाते थे परंतु बेचारी जीना जीवन की कहानी अधूरी रह गयी क्योंकि जो उम्र स्कूल जाने कॉलेज जाने की थी। उसे उम्र में वह अपनी घर की मां की जिम्मेदारी उठा रही थी और जो भाई थे वह बिगड़े हुए थे और भाई की कमाई पर नशे करते थे। और एक दिन नशे की हालत में भाई मकान की छत से गिर जाता है और उसकी मृत्यु हो जाती है अब रीना के पास उसके दाह संस्कार के लिए भी पैसे ना थे परंतु वह जहां काम करती थी वह वहां पहुंची और अपने मालिक से बोली मलिक मुझे₹5000 चाहिए मेरा भाई छत से गिरकर मर गया है उसके दाह संस्कार के लिए चाहिए तब मालिक कहते हैं रीना जीवन में कुछ लेने के लिए कुछ देना पड़ता है रीना बोली मलिक में समझी नहीं है। तब मालिक बोलते हैं इतनी भोली भी न बनो आजकल की लड़कियां सब जानती है। रीना समय के साथ-साथ परिवार की आर्थिक मजबूरी और भाई का दाह संस्कार करना था। तब रीना कहती है मालिक ₹5000 दे दीजिएगा और जो आप कहेंगे मैं पूरा कर दूंगी तब मालिक बोले ठीक है जो मेरे लिए दो पैग बना लो। रीना कहती मलिक पैग तो मैं दो बना दूंगी परंतु आप तो एक है दूसरा कौन हैं।एक हम और तुम परन्तु रीना कहती हैं मालिक पहले मैं अपने भाई का दाह संस्कार कर आऊं।  मालिक धन‌और संपत्ति के  गरुर और नशे में चूर था। और वह रीना को लेकर बेडरूम में ले जाता है और नशे की मस्ती के साथ साथ रीना के साथ बेडरूम सबकुछ हो जाता हैं और अब भी शाम को आने का वादा लेकर रुपए हाथ में देकर कहता है।कि आज रात यहां पर ही रहना है परन्तु मालिक मां भी बीमार है। रुपए वसुली करनी है रीना अभी तो मूल वसूल किया है ब्याज तो रात को पूरा होगा। रीना हां कहकर अपने भाई के दाह-संस्कार के लिए चली जाती हैं और उसके मोहल्ले पड़ोस के लोगों के साथ लड़खड़ाते कदमों से लोगों को दाह संस्कार के लिए पैसे रुपए देकर।अपने भाई का दाह संस्कार कराती हैं। और अब रीना मन ही मन सोच रही थी की जिंदगी में कहानी अधूरी रह गयी जो उसने ख्वाब देखे थे वह सब आज खत्म हो गए। और वह शाम होते ही लड़खड़ाते कदमों से अपना वादा पूरा करने मलिक के फ्लैट में पहुंच जाती है और मालिक बेसब्री से ललचाया निगाहों से रीना को ऊपर से नीचे तक दिखता है और खाना बनाने के लिए कहता है फिर रीना खाना बनाकर ले आती है मलिक रीना को भी जबरदस्ती खाना खिलाता है और रीना की निगाह बचाकर खाने में नशे की दवा मिला देता है जिससे रीना खाना खाने के बाद नींद के आगोश में भर जाती है। और यह देखकर मालिक खुश होकर रीना को अपनी बाहों में उठाकर अपने कमरे में ले जाता है। जब रीना सुबह उठती है तब अपने बदन को देखकर रोने लगती है परंतु मालिक आ जाता है और कहता है अब तुम जा सकती हो अब मेरा रुपये मूल और ब्याज दोनों वसूल हो चुके हैं। रीना जैसे ही उठती है वह चक्कर खाकर फिर गिर जाती है तब मालिक हंसता है और कहता है रीना अभी तुम्हें ठीक करते हैं और फिर मलिक उसको बिस्तर पर ले जाकर अपनी हवस का शिकार दोबारा बनता है जिससे रीना और भी निढाल हो जाती है।
          रीना बिस्तर पर पड़े पड़े मन में सोचती है हे ईश्वर आप मुझसे किस कर्म फल की सजा दे रहे हैं। और उठकर लड़खडाते हुए कदमों से घर की और चल देती है और मन ही मन में जीवन की कहानी को सोचते हुए कहती हैं मेरे सारे अरमानों की कहानी अधूरी रह गयी। और घर पहुंच कर रीना देखते हैं कि उसकी मां की भी मृत्यु हो चुकी है ऐसा देखकर रीना टूट जाती है और रीना भी कहती है ऐसी जिंदगी से भी क्या जीना अब जीवन के अरमानों की कोई पूर्ति नहीं होगी और जीवन में अब मेरे पास बचा ही क्या है शायद मेरे कर्मों के हिसाब से मेरी जिंदगी की कहानी अधूरी रह गयी। कमरे का दरवाजा अंदर से बंद करके अपनी मानसिकता के साथ परेशान होकर घर के कमरे में आग लगा लेती है और जब तक सब आसपास वाले आग बुझाने आते हैं तब तक मां बेटी दोनों जल चुकी होती है सभी मोहल्ले पड़ोस वाली दुखी मन से कहते हैं बेचारी रीना की जिंदगी की कहानी अधूरी रह गयी।
         सच तो यही है हम सभी के जीवन में अपने-अपने कर्म फल के साथ जीवन जीना पड़ता है वह बहुत खुशनसीब होते हैं जिनके जीवन में खुशियां मिलती है। बस कहानी का संदेश यही है की कर्म के हिसाब से ही जीवन की कहानी अधूरी रह गयी।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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7 Comments

Alka jain

23-Jan-2024 08:22 PM

Very nice

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Madhumita

23-Jan-2024 07:22 PM

Nice

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Gunjan Kamal

23-Jan-2024 04:00 PM

👏👌

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