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मधुरालय




*मधुरालय*
                *सुरभित आसव मधुरालय का*5
प्रकृति सुंदरी बन-ठन थिरके,
जब प्याले की हाला में।
मतवाला हो पीने वाला-
लगती मधु पगलाई है।।
         लगे चेतना विगत पिये जो,
         भूले सारे दुक्खों को।
          सुख-सागर में डूबे उसको-
            प्यारी ही तनहाई है।।
भूला-खोया-सोया-सोया,
पुनि जब हो चैतन्य वही।
करता यादें सुखद पलों की-
जिनसे सब बन आई है।।
        नहीं सरल-साधारण आसव,
         मधुर प्रेम-रस-घोल यही।
         है त्रिदेव का वास ये मिश्रण-
         इसमें प्रीति समाई है ।।
एक बार यदि लग जा चस्का,
बार-बार मन उधर खिंचे।
मिले स्वाद वा मिले न फिर भी-
सुरभि सभी को भाई है।।
        शीतल-मंद-सुगंध पवन सम,
         ही जैसे हैं गुण इसमें।
          गुण से गुण का गुणा करें यदि-
          सुरभि अमल वह पाई है।।
जंग लगे कल-पुर्जे तन के,
जब भी ढीले पड़ते हैं।
राही ने तब जा मधुरालय-
बिगड़ी बात बनाई है।।
         विकल-खिन्न-बेचैन मना जब,
         करता संगति साक़ी की।
         एक घूँट तब साक़ी देकर-
         करता दुक्ख विदाई है।।
मन-रुग्णालय,तन-रुग्णालय,
मधुरालय है रुचिर निलय।
तुष्टि-दायिनी औषधि इसकी-
ही भव-ताप-मिटाई है।।
         देवों ने भी आसव पी कर,
        पा ली यहाँ अमरता को।
         जरा-मृत्यु से नहीं भयातुर-
         जीवन-अवधि बढ़ाई है।।
अमित-कलश सुर-जग का अद्भुत,
मधुरालय सुखदाई है।
जीवन में माधुर्य भरा है-
कभी न आई-जाई है।।
       परम दिव्य,स्वादिष्ट,मधुर यह,
       मधुरालय का आसव है।
       इसी हेतु तो सुर-असुरों की-
       हुई प्रसिद्ध लड़ाई है।।
विष को गले लगा शिव शंकर,
अमृत-कलश बचाया है।
ऐसा कर के महादेव ने-
अद्भुत रीति निभाई है।।
       मधुरालय का साक़ी आला,
       प्रेम-पाग-रस देता है।
      वह त्रिताप से पीड़ित मन सँग-
       करता सदा मिताई है।।
                    © डॉ0हरि नाथ मिश्र
                      9919446372

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7 Comments

Sushi saxena

23-Jan-2024 08:01 PM

Nice

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Varsha_Upadhyay

23-Jan-2024 05:11 PM

बहुत खूब

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Gunjan Kamal

23-Jan-2024 02:58 PM

👏👌

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