GUDDU MUNERI

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इश्क


[ इश्क ] 


जो आंखों से शुरू होता है 

और दिल तक जा बसता है 


यही तो इश्क होता है यारो 

इस इश्क से कौन बचता है ,,,,


तन्हाई मिलती है 

कभी रुसवाई मिलती है 


कभी जुदाई के मौसम आते है 

कभी बेवफाई मिलती है 


यही तो इश्क होता है यारो 

इस इश्क से कौन बचता है ,,,,



दिल में जो आग लगा देता है 

दो दिलो को चौंका देता है इश्क


हैरानी होती है इश्क के पैमाने से 

आंखों में आंसू भी ला देता है इश्क 


यही तो इश्क होता है यारो 

इस इश्क से कौन बचता है ,,,,


कभी दिल खुशियों की डगर पर 

कभी गम के साए होते है 


जीने के लिए करतें है इश्क, दीवाने

जाने इश्क में हम क्या क्या होते है 


यही तो इश्क होता है यारो 

इस इश्क से कौन बचता है ,,,,


क्यों दिल सनम के बगैर नहीं लगता हैं

ज़माने की फिक्र ये कहां करता है 


पागल से बनें फिरते बाजार ए इश्क हम

इस इश्क की पागलपंती से कौन बचता है 


यही इश्क होता है यारो 

इस इश्क से कौन बचता है ,,,,


    - गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी 

    - दिनांक: २३/०/२०२४


आज की प्रतियोगिता हेतु 

टॉपिक : इश्क 



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7 Comments

खूबसूरत भाव और अभिव्यक्ति

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Punam verma

24-Jan-2024 08:04 AM

Nice👍

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Shnaya

23-Jan-2024 10:09 PM

Very nice

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