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स्वैच्छिक

स्वैच्छिक

आज जब मैं अपने स्कूल गया तब मेरी क्लास में बहुत से स्टूडेंट्स आ रहे थे यानी की मेरे क्लास के सभी स्टूडेंट्स आ रहे थे जिन्हें देखकर मुझे बहुत खुशी हुई।

सभी स्टुडेंट्स में से कुछ ऐसे स्टूडेंट्स थे जिनसे मेरी पहली बार मुलाकात हुई थी और उनसे बात भी हुई थी।

कुछ समय के बाद हमारे लेक्चर होने वाले थे पर हमको यह पता चला की आज हमारे दो विषय के शिक्षक उपस्थित नही थे यानी आज गणित विषय और अंग्रेजी विषय के शिक्षक उपस्थित नही थे।

थोड़े देर बाद मेरे मन में स्वयं इच्छा हुई की आज मैं पूरी क्लास में गणित विषय और अंग्रेजी विषय को एक एक करके पढ़ा लू।

तब मैंने अपनी स्वयं की इच्छा सभी स्टूडेंट्स को बताई और सभी ने अपनी अनुमति दी। फिर मैने बारी बारी से गणित विषय और अंग्रेजी विषय को पढ़ाया।

मेरी शुरुवात से ही गणित विषय और अंग्रेजी विषय में पकड़ अच्छी थी और आज मेरे पास मौका था जिसको मैंने बखूबी निभाया।

सभी स्टूडेंट्स को मेरे पढ़ाने का तरीका समझ आया और जब जब शिक्षक उपस्थित नही होते तब वो मेरे पास ही आकर अपने सवाल अपने डॉट्स समझते है।

फिर कुछ दिनों के बाद जब यह बात दोनो शिक्षक को पता चली तो वो थोड़े आश्चर्य चकित हुए और मुझे शाबाशी भी दिए और मुझसे कहा कि ऐसे ही कार्य करते रहो और आपके पढ़ाने से आपका भी ज्ञान बड़ेगा और आपको अनुभव भी मिलेगा।

फिर क्या था जब जब मुझे ऐसा मौका मिलता गया तब तब मैने अपनी स्वैच्छिक से यानी स्वयं की इच्छा से सभी को पढ़ाया और फिर मुझे अनुभव मिलता गया।

लेखक प्रियांशु चौधरी

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9 Comments

Mohammed urooj khan

30-Jan-2024 11:24 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Alka jain

24-Jan-2024 10:47 PM

Nice

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Khushbu

24-Jan-2024 06:38 PM

Nice one

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