GUDDU MUNERI

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जादुई कंचे

[ जादुई कंचे ] 

 पार्ट (1) 


     गुड्डू का घर जिस गली में था उसी गली में दो घरो के बीच एक खाली प्लाट भी था जैसे मानो कोई पार्क हो बहुत से बच्चे वहां कंचे खेलने आते थे कोई बैडमिंटन खेलने आता था , कोई पकड़म-पकड़ाई खेलता, कोई खिलौने के साथ खेलता ऐसा हर रोज होता था ।

    गुड्डू अपने दोस्तो का सुपर हीरो था कभी भी कोई दोस्त मुसीबत में आता गुड्डू जरूर साथ निभाता और उस मुसीबत से बाहर ले आता इसीलिए मूंगा नगर के लोग उसे " गुड्डू सुपर " हीरो कहते थे।


गर्मियों के दिन थे सूरज निकल रहा था बाहर धूप भीं तेज थी 

घर में गुड्डू की अम्मी रसोई से खाना ला लाकर कर टेबल पर रखती है ।

और फिर गुड्डू को ढूंढती हुई नजरो से आवाज लगाती है 

" गुड्डू " 

" ओ गुड्डू " 

" कहां हो बेटे "

" आओ खाना खा लो "

लेकिन गुड्डू नजर नहीं आता 

तब गुड्डू की अम्मी सोचती है जरूर बाहर कंचे खेलने गया होगा और बेटी गुड़िया को आवाज देती हूं 

" गुड़िया, गुड़िया " 

लेकिन कोई भी यहां नही था 

फिर गुड्डू की अम्मी तोता (मिठ्ठू ) को ढूंढती है 

" मिठ्ठू "

"  मिठ्ठू " 

लेकिन वह भी यहां नही था ।

" ये गुड्डू ही सबको लेकर गया होगा " 

" गुड्डू भी न "

गुड्डू की अम्मी घर से बाहर की ओर जाती हुई 

" बाहर देखती हूं गली में तो नहीं " 

     गुड्डू की अम्मी गुड्डू को ढूढने के लिए घर से बाहर की ओर आती है तो गुड्डू का दोस्त पिंटू दाहिने ओर से गली में  आता हुआ  दिखाई पड़ता है 

और वह गुड्डू की अम्मी के पास ही आ रहा होता है गुड्डू की अम्मी के पास आते ही पिंटू ने गुड्डू के बारे में पूछा -

" आंटी जी ! गुड्डू कहां है " 

और गुड्डू की अम्मी ने जवाब दिया - 

" बेटा पिंटू ! गुड्डू दिखाई नही दे रहा है " 

" पता नहीं कहां चला गया है " 

" और गुड़िया , मिठ्ठू भी यहां नही है " 

" जरूर गुड्डू के साथ होंगे " 

     गुड्डू की अम्मी एक घर की ओर इशारा करते हुए कहती है -

" क्या तुम उसे वहां उस घर के पास जो पार्क वाला प्लाट है वहां देखकर बुला लाओगे " 

" तो मैं तुम्हे यमी यम गाजर +आलू + मटर वाली सब्जी परोस दूंगी " 

पिंटू के मुंह में पानी आ जाता है और सीधा घर की बाई ओर जाते जाते कह देता है " ओके "  " ठीक है " आंटी! 

" मैं अभी गुड्डू और गुड़िया मिठ्ठू को ढूंढकर लाया " 

दस बारह कदम चलने के बाद वह उस बड़े प्लॉट के पास पहुंच जाता है और देखता है कि

एक पेड़ की छांव में 

गुड्डू ,

गुड्डू की बहन ( गुड़िया )

दूसरा दोस्त ( अलबेला ) 

कंचे खेल रहे है और वही के पेड़ की एक टहनी पर बैठा तोता (मिठ्ठू ) यह सब देख रहा है 


उसी प्लाट में दूसरी साइड में कुछ बच्चे लूडो में व्यस्त है, कोई गुब्बारे उड़ा रहा है , कुछ एक दूसरे के पीछे भाग भाग कर पकड़म्म पकड़ाई खेल रहे है और कुछ बच्चे दूसरी जगह कंचे खेल रहे थे ।


गुड्डू का दोस्त अलबेला गुड्डू के रखे हुए कंचे पर निशाना साधते हुए निशाना लगा देता है और गुड्डू का कंचा उछल कर दीवार के पास उगी लंबी लंबी घांस पौधो के बीच में छुप जाता है लेकिन वह कंचा किसी को घांसो के बीच जाता हुआ नही दिखाई देता ।

निशाना लगते ही अलबेला जोर से हंसते हुए 

" ये...ये..मैं जीत गया " गुड्डू का दोस्त अलबेला बोला ।

तभी गुड्डू ने अलबेला से कहा -

" कोई बात नही अलबेला " 

" अबकी बार तुम जीत गए लेकिन अगली बार मैं ही जीतूंगा " 

तभी वहां पिंटू भी पहुंच जाता है और कहता है -

" तुम सब यहां कंचे खेल रहे हो " 

" वहां तुम्हारी अम्मी घर पर खाने के लिए इंतजार कर रही है"


 ऊपर पेड़ की टहनी पर बैठा मिठ्ठू भी यहीं बोलता है 

" तुम सब यहां कंचे खेल रहे हो " 

" वहां तुम्हारी अम्मी घर पर खाने के लिए इंतजार कर रही है"


" अच्छा ठीक है " 

" चलते है लेकिन मेरा कंचा कहां गया " 

" ढूंढो अलबेला " 

" बहन गुड़िया तुम भी ढूंढो "

" वह मेरा लकी कंचा था "  गुड्डू ने कहा ।


वही खड़ी गुड्डू की बहन गुड़िया भीं गुड्डू का खोया कंचा ढूंढने में इधर उधर लग जाती है 

" पिंटू और तोता (मिठ्ठू ) भी सुनकर गुड्डू का कंचा ढूंढने में लग जाते है 

" गुड्डू यहीं कही होगा " अलबेला बोला ढूंढते हुए 

" होना तो यहीं कहीं चाहिए " पिंटू बोला ।


सबने सारी तरफ नजर घुमा घुमा कर देखा लेकिन कंचा नही मिला । 

" कोई बात नही " गुड्डू ने कहा ।


" अभी हमे कंचा नही दिखेगा " गुड़िया बोली।

तभी पिंटू भी बोला -

" हम सुबह आएंगे उस वक्त और बच्चे भी नही होंगे तो शायद हमे वह कंचा मिल जायेगा " 

" गुड्डू का लकी कंचा था " 

" उसे ढूंढना जरूरी है " 

" चलो फिर घर चलते है " 

और फिर सबके सब घर को चल देते है ......


और अगली सुबह क्या होगा देखते है अगले पार्ट (2) में 

क्या गुड्डू को खोया हुआ कंचा मिलेगा या फिर किसी जादुई कंचे गुड्डू को घेर लेंगे आखिर क्या राज है इन जादूई कंचो का जानने के लिए पढ़ते रहिए " गुड्डू : द सुपर हीरो " 


 समाप्त शुक्रिया ✍️

- गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी 







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5 Comments

GUDDU MUNERI

10-Feb-2024 09:24 PM

Thank you for heartfully comments ❣️

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Shnaya

07-Feb-2024 07:55 PM

Nice

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Gunjan Kamal

02-Feb-2024 03:54 PM

👏👌

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