जादुई कंचे
[ जादुई कंचे ]
पार्ट (2)
....
तभी पिंटू भी बोला -
" हम सुबह आएंगे उस वक्त और बच्चे भी नही होंगे तो शायद हमे वह कंचा मिल जायेगा "
" गुड्डू का लकी कंचा था "
" उसे ढूंढना जरूरी है "
" चलो फिर घर चलते है "
और फिर सबके सब घर को चल देते है ......
.…..अब आगे .✍️
सभी के सभी पिंटू के साथ घर को आ जाते है और फिर
घर के दरवाजे से अंदर घुसते ही गुड्डू की अम्मी गुड्डू , गुड़िया, पिंटू अलबेला और मिठ्ठू को आते देख लेती है
और गुड्डू को आवाज देकर बोलती है -
" गुड्डू ! मैं कब से तुम्हे तलाश रही थी "
" कहा ? गए थे तुम "
" क्या आज फिर कंचे खेलने गए थे "
गुड्डू बड़ा ही सीधा साधा लड़का था उसने अम्मी के पूछते
ही हा कर दी ।
" जी हा हम सब कंचे ही खेल रहे थे हमे अच्छा लगता है क्यों गुड़िया ! ठीक कहा न "
गुड्डू ने बहन गुड़िया की ओर देखते हुए अम्मी से कहा ।
" स्कूल की छुट्टियों में बेटा पढ़ाई किया करो " बेटे !
अम्मी ने गुड्डू को कहा ।
" ठीक है अम्मी " गुड्डू ने बोला
पिंटू और अलबेला दोनो खड़े देख रहे थे और सोच रहे थे गुड्डू पढ़ाई करेगा ।
अलबेला ने पिंटू के कान में बोला -
" मुझे नहीं लगता गुड्डू पढ़ाई करेगा "
पीछे से मिठ्ठू सुन लेता है और वही दोहरा देता है
" मुझे नहीं लगता गुड्डू पढ़ाई करेगा "
" मुझे नहीं लगता गुड्डू पढ़ाई करेगा "
यह सुनकर गुड्डू अलबेला और पिंटू की ओर आंखें चौड़ी करके देखता और कहता कि
" अलबेलाअ अ अ अ पिंटू ऊ ऊ ऊ ऊ "
दोनो समझ गए कि अब शामत आई
और घर में लगी खाने की टेबल की ओर भागना शुरू कर देते है गुड़िया और अम्मी देखकर हंसना शुरू कर देती है
दोनो टेबल के चारो और भागते है, पीछे पीछे गुड्डू भागता हुआ उन्हे पकड़ने की कोशिश करता है यही कोई चार - छः चक्कर लगाने के बाद तीनों थक कर बैठ जाते है ।
" अच्छा चलो अब खाना परोसती हूं "
" सब टेबल पर आओ "
अम्मी अपनी हंसी रोकते हुए बोली ।
और फिर सभी के सभी टेबल पर आकर बैठ जाते है
अम्मी ने खाना परोसा
" हमम यम यम यमी " पिंटू ने खाने का स्वाद का मजा लिया
अलबेला खाने का स्वाद लेकर अम्मी से बोला -
" वाह अम्मी जी "
" क्या स्वादिष्ट खाना बनाया "
" क्या हम रोज आ सकते है "
" क्यों नहीं " अम्मी ने जवाब दिया
" लेकिन जरा इस बुद्धु को समझाओ तो सारे दिन कहीं न कहीं गायब हो जाता है "
अम्मी , गुड्डू की ओर इशारा करते हुए अलबेला से बोली ।
अब गुड़िया भी बोली -
" अम्मी वाकई आपने खाना बहुत अच्छा बनाया है यम यमी वाओव "
अम्मी मिठ्ठू के एक बड़े से पिजरे की ओर हरी मिर्च ले जाते हुए दिखाई दी जो बाहर से खुला हुआ था उसमें कुछ हरी मिर्च डाल दी और फिर मिठ्ठू पिंजरे के ऊपर ही बैठा हुआ था हरी मिर्च देखकर वह पिंजरे में चला गया।
" खाना आ गया "
" खाना आ गया " करता हुआ मिठ्ठू मिर्च चबाना शुरू कर देता है
दूसरी ओर पिंटू , गुड़िया , गुड्डू और अलबेला खाना खा रहे होते है
तभी बाहर मौसम में कुछ अंधेरा सा छा गया था मानो रात होने वाली हो लेकिन ऐसा था नही गुड्डू को महसूस हुआ कि शायद रात हो गई है लेकिन नजर अंदाज करते हुए खाना खाने में व्यस्त हो चला
और देखते ही देखते बाहर मौसम बिलकुल रात जैसा हो जाता है ।
बाहर गली में खुली मिठाई की दुकान वाला मौसम को बदलते देख अजीब सा सोचता है और दुकान का शटर नीचे कर देता है
चाय वाला भी दुकान का शटर नीचे करता हुआ दिख रहा था
रात का समय हो चला है समझकर सभी लोग अपने अपने घर जाते हुए दिखाई दे रहे थे ।
इधर लगभग सभी खाना खा चुके थे टेबल से उठते हुए
" गुड्डू मैं चलता हूं " अलबेला ने कहा
" ठीक है गुड्डू " मैं भी घर चलता हूं सुबह मिलेंगे
खिड़की की ओर देखते हुए अलबेला गुड्डू से बोला -
देखी गुड्डू ! आज वक्त का पता ही नही चला, खाना खाते खाते रात हो गई ।
तभी पिंटू की नजर दीवार पर टंगी एक घड़ी पर जाती है
और गुड्डू से कहता है - " अभी तो दोपहर के तीन ही बजे है फिर रात कैसे "
गुड्डू भी घड़ी की ओर देखते हुए यकीन कर लेता है तीन ही बजे है और सभी तीनो से कहता है -
" चलो बाहर चलकर देखते है "
घर से बाहर आए तो वाकई रात हो रही थी बाहर दूसरी और सामने वाले घर से एक महिला की आवाज आ रहीं थीं
शायद यह आवाज अलबेला की अम्मी की थी ।
" अलबेला बेटे अलबेले "
" तुम कहां हो ?
अम्मी की आवाज सुनकर अलबेला गुड्डू के घर के पास से ही चिल्लाता है - " मैं यहां हूं अम्मी "
" गुड्डू के पास " अलबेला बोला ।
एक बार फिर अलबेला की अम्मी ने बोला -
" रात हो चली है "
" जल्दी आकर सो जाओ " अलबेला से बोली ।
गुड्डू की ओर देखकर अलबेला ने कहा -
"ठीक है गुड्डू मैं चलता हैं तुम आओ ध्यान रखना "
अलबेला घर जाते हुए बोलकर गया
" गुड्डू मैं भी चलता हूं " पिंटू ने बोला ।
" ठीक है पिंटू अपना ख्याल रखना जाओ "
पिंटू से गुड्डू ने हाथ हिलाते हुए कहा ।
" अब ये दोनो तो चले गए " गुड़िया गुड्डू से बोली ।
" चलो हम भी चलते है अंदर "
घर के अंदर आते हुए गुड्डू ने कहा ।
" और फिर सुबह मुझे अपना वो लकी कंचा भी ढूंढना है "
गुड्डू ने फिर कहा ।
गुड़िया की नजर सामने लगी दीवार घड़ी पर गई और बोली कि - "अभी भीं तीन बज रहे है "
" देखो भाई तुम बे फिजूल में चिंता कर रहे थे "
" घड़ी तो खराब है सेल वीक हो गया होगा "
" ठीक है मुझे नींद आ रही है " चलते चलते हुए सामने हॉल मे ही एक बड़ा सीढ़ीदार घूमता जीना फर्स्ट फ्लोर पर जा रहा था
उसी पर चढ़ते हुए दोनो भाई बहन सोने के लिए जा रहे थे ।
दाहिने रूम में घुसते ही वह दोनो अलग अलग बेड पर जाकर चादर लिए और लेट गए थे ।
खिड़की से चांद साफ नजर आ रहा था ।
खिलखिलाती सुबह हुई और गुड्डू उठा सूरज की चमचमाती किरने सीधे बेडरूम तक आ रहीं थी
" अम्मी जल्दी नाश्ता दो "
" मेरा लकी कंचा खो गया था बस वही ढूंढने मुझे जाना हैं "
गुड्डू ने टेबल पर आकर अम्मी से कहा ।
अम्मी नाश्ता लगाते हुए " कोई अच्छा काम करने जाया करों"
" सारे दिन कंचे कंचे "
उधर से गुड़िया भी टेबल पर नाश्ता करने आ गई ।
दोनो ने जल्दी जल्दी दूध पिया ब्रेड खाया और हो गया नाश्ता
गुड्डू, गुड़िया को आंखों से इशारा कर देता हैं और जोर से चिल्लाते हुए घर से बाहर की ओर जाता है
" चलो ओ ओ ओ "
गुड्डू और गुड़िया दोनो फुर्ती से घर के बाहर आ जाते है
पीछे पीछे तोता मिठ्ठू भी उड़ता हुआ आ जाता हैं और बाहर गेट के साथ बनी एक छोटी दीवार पर बैठ जाता है
और फिर बाहर दाहिनी ओर देखा तो खड़े मिलते है
पिंटू और अलबेला ।
इससे पहले कि गुड्डू उन दोनो को आवाज देता एक महिला आई और गुड्डू से बोली " गुड्डू क्या तुमने मेरे बेटे ( मोनू ) सेको देखा "
" नही तो " गुड्डू ने उत्तर दिया ।
" मुझे बताओ क्या हुआ " गुड्डू ने उस परेशान औरत से पूछा ।
" वह अभी दस मिनट पहले ही उस खाली पार्कब्वेल प्लाट में कंचे लेकर गया था लेकिन वह वहां नहीं हैं "
महिला ने गुड्डू को बताया ।
तभी गुड्डू ने आदेश दिया ।
" चलो हम ढूंढते है " मोनू को
" आप घर जाए "
गुड्डू की सुपर पॉवर टीम ( गुड़िया, पिंटू , अलबेला और मिठ्ठू ) उस बड़े से पार्क वाले प्लॉट में उस महिला के खोए हुए बेटे (मोनू ) को ढूंढने चले गए ।
लेकिन उस प्लाट के सामने जाते ही बाहर से दिखाई दे रहा था कि यहां कोई नहीं है सिवाए पेड़ और बड़ी बड़ी घंसो के.........
समाप्त शुक्रिया ✍️
लेखक : गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी
क्या गुड्डू को उसको खोया हुआ कंचा मिला , क्या जादुई कंचे का राज मालूम हुआ इस रहस्य को जानने के लिए पढ़ना न भूले आने वाला पार्ट (3) " गुड्डू : द सुपर हीरो "
Milind salve
05-Feb-2024 02:43 PM
Nice
Reply
Gunjan Kamal
02-Feb-2024 03:49 PM
👏👌
Reply
Mohammed urooj khan
31-Jan-2024 11:57 PM
शानदार ज़ब आपने आखिर में एक सस्पेंस वाला जुमला लिख दिया है तो आपको ऊपर समाप्त लिखने की जरूरत नही है क्यूंकि अभी आपकी कहानी चल रही है सर
Reply