जादुई कंचे
[ जादुई कंचे ]
पार्ट (4)
Recap.........
इधर अलबेला मोनू को पकड़े हुए हंसने लगा और मोनू की और देखते हुए बोला -
" देखा कैसे हराया, हमारे सुपर हीरो गुड्डू ने हुकाला को "
" चलो मोनू को अब उसके घर पहुंचाते है "
" इसकी मम्मी घर में इंतजार कर रही होंगी "
अब आगे ........✍️
चलते चलते पीछे से गुड़िया मोनू के पास आ गई और मोनू का हाथ पकड़ कर बोली -
" मोनू कितने प्यारे और नादान हो तुम आओ मेरे साथ
चलो तुम "
गुड्डू की सुपर पावर टीम अब उस पार्क वाले प्लाट से बाहर आई और मोनू की मम्मी के घर की ओर जाना शुरू किया जो पार्क वाले प्लाट से बाई ओर था ।
कुछ दूर चलने के बाद महिला मोनू को ढूंढती हुई खुद ही गली में आ गई । मोनू को देखकर महिला बहुत खुश हुई आंखों से खुशी के आंसू छलक आए थे । महिला ने अपने बेटे मोनू को पकड़कर गले लगा लिया ।
" तुम कहां चले गए थे " मोनू
" मेरी तो जान ही निकली जा रही थी " मोनू को दोनो हाथो से पकड़े महिला ने कहा ।
" गुड्डू तुम्हारा बहुत बहुत शुक्रिया
" मेरे बेटे को ढूंढने में मदद की और उस हुकाला से तुमने मोनू को बचाया "
" बहुत बहुत शुक्रिया "
" शुक्रिया की कोई बात नही" आंटी !
" ये तो मेरा फर्ज था "
गुड्डू ने चौंकते हुए महिला से पूछा -
" लेकिन एक बात समझ नही आई कि तुम्हें कैसे पता मैने मोनू को हुकाला से बचाया हैं"
" क्या तुम वहां थी "
महिला ने जवाब दिया -
" गुड्डू अब तुमसे क्या छुपाना "
" मैं डर गई थी "
" मुझे हुकाला ने धमकी दी थी किसी को बताया तो तुम्हारे बेटे को चाकू मार दूंगा "
" और मुझे यकीन था तुम ही मेरे बेटे को बचा सकते हो "
" इसीलिए मैं तुम्हे मोनू के खोने की खबर दी "
" मैं तो बस मोनू के साथ स्वर्गीय दादा जी के वो पुराने कंचे फेंकने गई थी "
" जो अब बिल्कुल गंदे मटियाले से हो गए थे "
" मोनू बार बार उन्हें इधर उधर फेंक देता था "
" एक बार मैं गिरने से बच गई थी "
" इससे अच्छा है मोनू को पढ़ाई मे लगाऊ "
" खेल कूद में नही "
" और वैसे भी वह अब हमारे किसी काम के तो है नही"
" वो कंचे तो हमारे काम आ सकते है खेलने के लिए "
वही खड़ा अलबेला ने महिला से कहा ।
" क्यों गुड्डू ठीक कहा न " अलबेला ने फिर गुड्डू से बोला
हा क्यों नही लेकिन मैने वो कंचे उसी प्लाट वाले पार्क में हुकाला से डरकर वही कहीं घासों में छोड़ दिए थे ।
" अरे लकी तुम भूल गए तुम्हारा लकी कंचा वही खोया था उसी प्लाट में " गुड़िया ने कहा ।
" ठीक है आंटी आप मोनू को संभाले, हम चलते है "
गुड्डू महिला से कहते हुए
" चलो सुपर पावर टीम कंचे ढूंढते है खेलने का अब और मजा
आयेगा " गुड्डू ने सभी को कहा ।
सुपर पावर टीम फिर से वापस मुड़कर उस बड़े प्लाट वाले पार्क की ओर चलने लगते है ।
" अब हमारे पास और ज्यादा कंचे हो जायेंगे गुड्डू "
गुड़िया ने चलते हुए कहा!
" हा मेरी बहन " गुड्डू ने चलते चलते जवाब दिया।
और पहुंच जाते है उसी प्लाट वाले पार्क के पास जहां लकी का कंचा खोया था और मोनू को हुकाला से बचाया था
सुपर पावर टीम प्लाट वाले पार्क में जाते हुए दिखती है
जैसा कि हुकाला ने कहा था " मैं तुम्हें देख लूंगा "
वह पार्क में फिर से मौजूद था किसी न किसी षड्यंत्र के
साथ ।
दोपहर हो चली थी और रोजाना की तरह बहुत से बच्चे वहां खेलने आ चुके थे कोई किसी खेल में कोई किसी खेल में व्यस्त हो रहा था लेकिन ज्यादातर बच्चे तो कंचे ही खेलने आते थे क्योंकि यहां गली में एक यही बड़ा सा प्लाट था जहां आसानी से आया और जाया जा सकता था ।
हुकाला एक पेड़ के पीछे से एक बच्चे को फिर से अपहरण करने के इरादे से देख रहा था कि उस गुड्डू किस पावर टीम आती हुई दिख गई और हुकाला ने गुड्डू की सुपर पॉवर टीम को आते हुए देख लिया और फिर उसी पेड़ के पीछे छुपकर देखने व उनकी बातें सुनने लगा - " अब ये यहां कैसे आ गए "
इधर सुपर पावर टीम अपने गुड्डू का लकी कंचा और मोनू के दादा के कंचे ढूंढने की बाते करते है ।
" अब हमे यहां कंचे कैसे मिलेंगे यहां तो सभी बच्चों के पास कंचे है " पिंटू ने गुड्डू से कहा ।
" ऐसे हमे मोनू के कंचे ढूंढने में दिक्कत होगी " अलबेला ने गुड्डू से कहा ।
गुड्डू ने दोनों की बात ध्यान से सुनी और कहा -
" तुम्हे याद हैं उस महिला आंटी ने क्या ? कहा था कि मैंने हुकाला के डर से कंचे वही घांस के पास छोड़ दिए थे "
" इसका मतलब वो कंचे इन बच्चों के पास नही होंगे बल्कि कहीं घासों में गिरे हुए होंगे "
पेड़ के पीछे से छुपकर हुकाला ने गुड्डू की बाते सुनी और मन ही मन हल्की आवाज से बोला -
" कंचे ! भला गुड्डू को कंचे ढूंढने की क्या जरूरत "
" और वो भी उस बच्चे के जिसको मैंने पकड़ा था "
" उसके दादा के ज़माने के "
" देखता हूं कुछ खास कंचे हुए तो "
" छीन न न न लूंगा "
हा हा हा हा हा हुकाला हंसने लगा ।
इधर गुड्डू ने सुपर पावर टीम को आदेश दिया कि " चलो सब मिलकर ढूंढते है "
" कल तो हम नही ढूंढ पाए थे "
" आज ढूंढ कर ही मानेंगे "
गुड्डू कुछ लंबी घांसो के अंदर ढूंढता हुआ बोला ।
जिस ओर अलबेला कंचे ढूंढ रहा था उसे वहां कंचे के बराबर साइज जैसे गोल गोल पत्थर मिले और उन्हें हाथ में उठाकर अलबेला बोला -
" मिल गए "
" मिल गए"
" मिल गए " अलबेला (हंसते हुए खुशी से दिखाता हुआ )
सुपर पावर टीम ने उसकी और देखा
और हंसने लगे ।
उधर पेड़ के पीछे से हुकाला भी नजर रखे हुए था
" लगता है अलबेला तुम्हे कंचे और पत्थर में फर्क नहीं
मालूम " गुड्डू ने अलबेला को बोला ।
मिठ्ठू उड़ते हुए बोला - ये कंचे पेड़ में क्यों नहीं छुपते मैं उन्हें पेड़ में आसानी से ढूंढ लेता
देख दूसरी और पिंटू भी घासों को हटा हटाकर देख रहा था काश गुड्डू का लकी कंचा मिल जाए या फिर मोनू के दादा के
कंचे मिल जाए
तीसरी ओर पिंटू भी घासों को खंगालने में लगा हुआ था
" मिल जा " " मिल जा "
कुछ ही दूरी पर गुड्डू बड़ी बड़ी घासों को हटाता और कंचे ढूंढता हुआ दूसरी तरफ हो जाता पर कंचे है कि दिखाई ही नहीं दे रहे थे
वही कुछ और दूरी पर गुड़िया भी संभल संभलकर घासों में कंचे ढूंढ रही थी और आखिरकार वह वक्त आ ही गया
गुड़िया को कुछ हरे हरे रंग के से कंचे घासों में दिखाई दिए
और पास ही गुड्डू का लकी कंचा भी पड़ा हुआ था
गुड़िया ने सुपर पावर टीम को आवाज दी -
" देखो गुड्डू "
" इधर आओ सब "
" ये देखो ये रहे कंचे "
सब अपनी अपनी जगह से गुड़िया की तरफ आते है और देखते है तब गुड्डू सबसे आगे खड़ा होता है और पहले अपना लकी कंचा उठाता हैं
" शुक्रिया गुड़िया " गुड्डू ने गुड़िया को बोला
और फिर गुड्डू ने वो हरे हरे मोनू के दादा के कंचे उठाए जो मिट्टी में मटियाले से हो रहे थे । कंचे हाथ में लेने के बाद देखने पर ऐसा लग रहा था कि यह कोई बहुत चमचमाते चमकीले कंचे होंगे जो शायद मिट्टी में गंदे होने के बाद चमक नही रहे थे
यह पांच कंचे थे और एक गुड्डू का लकी कंचा था जिससे वह खेल में हमेशा जीत के लिए इस्तेमाल करता था तो जीत हो जाती थी ।
" चलो अब हम इन्हें घर ले चलते है "
" इनको साफ करके फिर हम इनसे खेलेंगे "
जैसे ही गुड्डू कंचो को अपनी पॉकेट में रखने लगता है तभी
पीछे से हुकाला आ जाता है और कंचो पर झपटा मार छीनकर भागने की कोशिश करता है लेकिन कंचे उछल कर नीचे गिर जाते है और एक कंचा ही उसके हाथ लगता है जिसे लेकर हुकाला फरार हो जाता है ।
गुड्डू हकला के पीछे दो कदम चल कर
" रुको हुकाला" गुड्डू ने आवाज दी
लेकिन वह नहीं रुकता और तेज़ी के साथ भाग जाता है
बाकी मोनू के दादा के चार कंचे सुपर पावर टीम एक एक उठा लेती है
" इसका मतलब हुकाला हम पर नजर रखे हुआ था "
गुड्डू ने अपनी सुपर पॉवर टीम से कहा .….......
समाप्त शुक्रिया ✍️
लेखक : गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी
अब गुड्डू को उसका लकी कंचा भी मिल गया था और मोनू के दादा के कंचे भी अब देखना यह है कि क्या वह जादुई कंचे थे या नहीं और जो एक कंचा हुकाला लेकर फरार हो गया था उसका क्या होगा और क्या जादुई कंचे का राज मालूम हुआ इस रहस्य को जानने के लिए बने रहिए आने वाला पार्ट (5) जरूर पढ़े ।
गुड्डू : द सुपर हीरो "
Shnaya
07-Feb-2024 07:54 PM
Nice one
Reply
Gunjan Kamal
02-Feb-2024 03:48 PM
👏👌
Reply
Varsha_Upadhyay
02-Feb-2024 12:30 PM
Nice one
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