खेल
खेल-------
गीत----------
तकदीर का खेल सलोंना है।
क्या पाना है क्या खोना है।।
कुछ खोटे करम बने हमसे पाया गंभीर सिला
परिवार मिला, संस्कार मिले वो प्यार हमें ना मिला
प्यासा दिल का हर कोना है।
तकदीर का खेल---------------------१
तनहाई में गिन गिन काटूं जीवन की हर बेला
मौला ने खुशियों के बदले दिया दुखों का रेला
अवसाद में सब कुछ खोना है।
तकदीर का खेल----------------------२
रब की मर्जी जान के हमने दिल को धीर बंधाया
मृगतृष्णा का हंसीन गुब्बारा मन से दूर हटाया
ग़म भुलाकर ही खुश होना है।
तकदीर का खेल सलोंना है।।---------३
**रामसेवक गुप्ता**
साहित्यिक काव्य प्रतियोगिता हेतु---
Niraj Pandey
23-Oct-2021 10:09 AM
बहुत ही बेहतरीन
Reply
ऋषभ दिव्येन्द्र
22-Oct-2021 08:35 PM
बहुत ही सुन्दर रचना 👌👌
Reply
Swati chourasia
22-Oct-2021 04:15 PM
वाह बहुत ही सुंदर रचना 👌👌
Reply