महाभारत
महाभारत!
महाकाव्य!!
नर-नारायण का,
कर्म की महानता का!
स्वार्थ प्रपंच दांव-पेच,
झूठ लांछन अत्याचार का!
रिश्तों की अवहेलना,
द्यूतक्रीड़ा की पराकाष्ठा,
नारी अस्मिता का मर्दन,
नर गुरुता नारी लघुता,
पुरुषों का पैशाचिक भीड़तंत्र,
अकेली नितांत निरीह नारी,
अहम तुष्टि करता दंभी पुरुष,
पुरुष के समक्ष पुरुष की कायरता!!
कर्ण बंद कर सर झुकाए,
ओढ़कर नख-सिख लबादा,
गलती और लाचारी का,
अतुलनीय मंजर!!
नारी पर अट्टहास कहकहा,
नारी को सिर्फ भोग्या,
इच्छा अनिच्छा को परे कर,
दाँव पर खेलने का चलन!
शील भंग का भरपूर प्रयास,
नारी की बेबसी, बेकसी,
कमसिन, कौमार्य चीत्कार!!
अत्याचारी परम्परा शुभारंभ!!
महाशक्ति शासक का मौन??
सभा की अकर्मण्यता,
राजदरबार की मर्यादित,
भूमिका पर प्रश्नचिन्ह??
तहस-नहस मारकाट!!
चीखते-चिल्लाते नरमुण्ड!!
राजनीति रणनीति युद्ध!!
फरेब, रिश्तों की मारकाट!!
चालबाजियाँ, छल, कपट,
बेबस कयामत का मौन!
हंसी-रुदन का मिश्रण!!
युद्ध की विभीषिका खौफनाक मंजऱ!
“श्री” उड़ती कालिख़ जहरीला गुबार!!
स्वरचित-सरिता श्रीवास्तव "श्री"
धौलपुर (राजस्थान)
Mohammed urooj khan
03-Feb-2024 12:27 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Gunjan Kamal
02-Feb-2024 04:10 PM
👏👌
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Dilawar Singh
02-Feb-2024 11:23 AM
अद्भुत 👌👌
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