Neeraj Agarwal

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लेखनी कहानी -03-Feb-2024

शीर्षक - जुनूनी लड़की


नीता एक अच्छे परिवार की पढ़ी-लिखी होनहार लड़की थी। और नीता के माता-पिता ने अपने विवाह के 20 साल बाद बहुत पूजा अर्चना और प्रार्थनाओं से नीता को पाया था जिससे उनके निःस्वार्थ जीवन में निसंतान का सुख मिला वैसे नीता बचपन से ही जुनूनी लड़की थी। क्योंकि पूत के पैर पालने में नजर आते हैं। ऐसी कहावतों के साथ-साथ नीता के माता-पिता सभी से यह कहते थे की नीता बहुत तेज और चंचल स्वभाव की लड़की है। अभी नीता अपनी पढ़ाई को पूर्ण पूरा करने में व्यस्त थी की ईश्वर की मर्जी के आगे कुछ नहीं चलता नीता के माता-पिता अपने इलाज के लिए बाहर गए थे और जब वह लौट के आ रहे थे तब उनका एक एक्सीडेंट हो जाता है जिसमें नीति के माता-पिता बहुत घायल और दुर्घटनाग्रस्त हो जाती हैं जिस नीता के माता-पिता की मानसिक और शारीरिक हालत गंभीर हो जाती हैं। परंतु नीता बहुत गंभीर और होनहार लड़की के साथ साथ जुनूनी लड़की है पढ़ी-लिखी समझदार के साथ अपने निर्णय खुद लेने में सक्षम थी। अपने लाचार माता-पिता जो की अब बिस्तर पर ही जीवन जी रहे थे। परंतु हम सभी ईश्वर की इच्छा और मर्जी को नहीं समझ सकते कि हमारे जीवन में अगले पल क्या होने वाला है हम तो केवल अहम और वहम में हम सभी समाज के साथ जीवन जीते हैं और अपने-अपने विचार अपने-अपने निर्णय राय एक दूसरे पर ठोकते रहते हैं क्योंकि नीता इन सब बातों से बाकिफ थी। अब उसे अपने परिवार की पालन पोषण के लिए कुछ तो करना था क्योंकि जीवन में हम कितने भी सक्षम हैं फिर भी हमारी जमा पूंजी बैठकर खाने पर खत्म हो जाती है यह नीता अच्छी तरह समझती थी क्योंकि वह एक जुनूनी ही लड़की थी। नीता अपने गंभीर माता-पिता को देखते और उसके माता-पिता नीता को देखकर मन ही मन परेशान चेहरे की भाव से दिखती थी। नीता अपने माता-पिता के चेहरे के भाव को देखकर हंस कर कहती थी मैं आपकी बेटी नहीं एक बेटा हूं। और उनको चाय पानी खाना समय से देना और नीता किसके साथ-साथ अपने जीविका चलाने के लिए वह मोहल्ले की बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती थी और ट्यूशन के साथ-साथ वह मोहल्ले की औरतों के लिए कपड़े भी साल देती थी। समय बीतता है। नीता के मकान में एक किराएदार आता है। और किराएदार निलेश एक सुलझा हुआ होनहार लड़का था और वह भी जिंदगी में अनाथ था और नीता एक जुनूनी लड़की सच तो जीवन में मानवता और ईश्वर सब की परीक्षा लेता है परंतु जीवन में परीक्षा देने वालों की जीत भी होती है ऐसा कहते हैं या ईश्वर ऐसा करता है यह तो पता नहीं परंतु जो पुरानी कहावतें हैं यह बातें हैं ऐसी ही है कि ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं है। नीता भी एक जुनून और समझदार लड़की थी नीता के गंभीर बीमार माता-पिता को भी एक सहारे की सहयोग की जरूरत थी। निलेश को भी नीता पसंद थी। दोनों आपस में बात करके समझदारी से एक दूसरे को विवाह बंधन में बांध देते हैं। अब नीता जुनूनी लड़की के साथ साथ समझदारी के साथ निलेश के साथ घर बसाने से उसकी खुशियां और प्रेम के साथ-साथ माता-पिता भी खुश थे। और नीता ने एक जुनूनी लड़की की हिम्मत और साहस से अपनी जिंदगी की सोच और आशाएं बन जाती हैं।

नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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4 Comments

Shnaya

07-Feb-2024 07:44 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

06-Feb-2024 01:18 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Alka jain

05-Feb-2024 11:05 PM

Nice

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