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स्वैच्छिक

Part 2

शीर्षक स्वैच्छिक 



जब मुझे पढ़ाने की आदत होती गई तो मैं पढ़ाते चला गया और जब जब मुझे मौका मिला तो मैं इस मौके का फायदा उठाते गया।


मुझे एक तरह से अनुभव तो मिलता ही रहा और मेरे पढ़ाने की रुचि भी बढ़ती गई।

"एक दिन की बात है मैं अपने स्कूल के लास्ट क्लास में पहुंच गया था यानी की में 12 में गणित विषय पर था और उस दिन मुझे कुछ गणित समझ नहीं आ रहे थे और गणित के शिक्षक भी उपस्थित नही थे"।

उस समय सभी बच्चों की उम्मीद मुझसे ही थी कि मैं सर जी के उपस्थिति में न रहकर पूरी कक्षा को समझा दू पर दुर्भाग्य यह था कि आज जो टॉपिक था वो मुझे भी समझ नहीं आ रहा था।



"मैने सभी कक्षा से कुछ समय मांगा और गणित विषय के उस टॉपिक को समझने की कोशिश किया और खुद से समझकर कक्षाओं को समझा दिया "। 


फिर अगले दिन जब गणित के शिक्षक आए तब मैने यह सवाल का हल बताया और गणित के शिक्षक ने कहा" बहुत ही अच्छे तरीके से समझाया है और सटीक विधि भी है जिससे सभी बच्चों को समझने में आसानी होगी"।




गणित विषय के अलावा मुझे अंग्रेजी विषय भी पढ़ाना अच्छा लगता था जब अंग्रेजी विषय में ग्रामर का टॉपिक आया तब मैने अपनी स्वेच्छा से अंग्रेजी विषय के शिक्षक से कहा की क्या मैं यह टॉपिक कक्षा में पढ़ा सकता हु ।



अंग्रेजी विषय के शिक्षक ने कहा "मैं जानता हु की तुम्हारी अंग्रेजी विषय में पकड़ अच्छी है पर जब तक मैं उपस्थित हु तब तक मैं ही पढ़ाऊंगा तुम मेरी अनुपस्थिति में पढ़ा सकते हो और जब जब सर जी अनुपस्थित हुए तब मैंने पढ़ाया और ऐसा पढ़ाया की सभी को समझ आ गया"।




एक दिन यह बात जब स्कूल के प्राचार्य को पता चली तब उन्होंने मुझे बुलाया और मुझसे कुछ सवाल किए।


प्राचार्य: कौनसी कक्षा में हों ?

 मैं: 12 में हु सर जी 

प्राचार्य: क्या विषय है?

मैं: गणित विषय का छात्र हु सर जी

प्राचार्य: बड़े होकर क्या बनना चाहते हो?

मैं: एक अच्छा शिक्षक सर जी

प्राचार्य: वाह बहुत खूब अच्छे विचार है

मैं:धन्यवाद सर जी 

प्राचार्य:मैने तुम्हारे पढ़ाने के बारे में सुना है क्या यह सच है ?बताओ जरा ।                           

मैं: जी सर जी यह सच बात है 

प्राचार्य: बहुत अच्छे ऐसी ही कोशिश करते रहो 

मैं: धन्यवाद सर जी।

*प्राचार्य से बात करने के बाद मन में अलग ही उत्साह जगा और मुझे अंदर से हिम्मत भी बढ़ी और मैं इसी हिम्मत के साथ जब जब मुझको मौका मिलता रहा तब तब पढ़ाता गया"*


स्कूल से निकलने के बाद मैं आगे की पढ़ाई में लग गया और कॉलेज में bsc कोर्स करने लगा


Bsc कोर्स में भी गणित विषय,अंग्रेजी विषय भी था और इनके अलावा फिजिक्स, केमिस्ट्री,हिंदी,पर्यावरण विषय भी थे।

और मुझको इन सभी विषय में अपनी अच्छी पकड़ बनानी थी और मैं अपनी मेहनत से इसमें जुट गया।



कॉलेज का शुरुवाती सफ़र थोड़ा मुश्किल था और फिर मैं इस मुश्किल सफर से गुजरकर आगे बढ़ता गया और धीरे धीरे सभी विषय को समझकर उनमें अपनी रुचि अपनी पकड़ बनाते गया।




अगली कहानी तीसरे भाग में


Priyanshu choudhary 


#प्रतियोगिता हेतु 















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5 Comments

Shnaya

07-Feb-2024 07:43 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

06-Feb-2024 01:42 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Alka jain

05-Feb-2024 11:06 PM

Nice one

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