हमारी शिक्षा प्रणाली,प्रतियोगिता हेतु 06-Feb-2024
दिनांक-06-02-2024 दिवस- मंगलवार प्रदत्त विषय- हमारी शिक्षा प्रणाली प्रतियोगिता हेतु
शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति का हर जगह सम्मान होता है। शिक्षा सुंदरता और यौवन को मात देती है” ~ चाणक्य
1- मानव जीवन में शिक्षा का महत्व-
मानव जीवन में शिक्षा का विशेष महत्त्व है। शिक्षा ही वह आभूषण है जो मनुष्य को सभ्य एवं ज्ञानवान बनाती है, अन्यथा मनुष्य को पशु के समान माना गया है। शिक्षा के महत्व को समझते हुए ही प्रायः शैक्षणिक गतिविधियों को वरीयता दी जाती है। भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय पर केंद्रित एक व्यवस्थित प्रणाली है।
2-प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली-
यदि हम प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली की बात करें तो इस शिक्षा प्रणाली में हमें निम्नांकित गुण देखने को मिलते हैं-
प्राचीन समय में मनीषियों ने हमारे जीवन को ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास आश्रम में बाँटकर रचनात्मक शिक्षा पर जोर देते थे।
इसी के साथ प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली में शारीरिक, आत्मिक, मानसिक सभी प्रकार की शिक्षा पर समान रूप से ज़ोर दिया जाता था।
प्राचीन भारतीय शिक्षा में धर्म ओर विज्ञान दोनों को महत्त्व दिया जाता था।
*शिक्षा की सम्पूर्ण संरचना धार्मिक आदर्शों तथा वैज्ञानिकता को ध्यान में रखकर किया जाता था।
इन्हीं आदर्शों के अनुसार, शिक्षा के विषयों, उद्देश्यों और पाठ्यक्रमों को निर्धारित किया जात था।
छात्रों के समय का अधिकांश समय धर्म, विज्ञान, दर्शन, संस्कृति, सभ्यता के उत्थान तथा स्वयं के व्यक्तित्व निर्माण में व्यतीत होता था।
3-वर्तमान शिक्षा प्रणाली- वर्तमान में शिक्षा-
इस बात को बिल्कुल भी नहीं नकारा जा सकता कि प्राचीन शिक्षा प्रणाली एक उत्तम शिक्षा प्रणाली थी। किंतु हम इस बात को भी नहीं नकार सकते कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली भी गुणरहित नहीं है। इसमें निम्नांकित गुण विद्यमान है-
*आधुनिक शिक्षा प्रणाली छात्रों के सर्वांगीण विकास को ध्यान में रखते हुए प्रचलित की जा रही है।
इस शिक्षा प्रणाली में रटंत शिक्षा को हटाकर क्रियात्मक एवं निर्माणात्मक शिक्षण पर जोर दिया जा रहा है
वर्तमान शिक्षा प्रणाली में इण्टरनेट के माध्यम से शैक्षणिक पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा रहा है। जिससे छात्र इंटरनेट की दुनिया से भली-भांँति परिचित हो रहा है और वह वैश्विक स्तर पर अपने आप को खड़ा करने में सक्षम हो रहा है।
जो छात्र विद्यालय नहीं जा सकते, इंटरनेट की सहायता से उन्हें घर बैठे भी हर तरह की शिक्षा से लाभान्वित किया जा रहा है।
इस शिक्षा प्रणाली में वैचारिक स्वाधीनता का प्रादुर्भाव हुआ है।
नारी जागरण, नारी सशक्तिकरण पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
इसके अतिरिक्त वर्तमान शिक्षा प्रणाली ने भारतीय समाज में विद्यमान अंधविश्वास और कुरीतियों को नाश करने में भी अग्रणी भूमिका निभाया है।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली ने बौद्धिक विकास पर विशेष ज़ोर दिया है।
4-वर्तमान शिक्षा प्रणाली के दोष-
यद्यपि की वर्तमान शिक्षा प्रणाली ने समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया है। किंतु यदि हम इस शिक्षा प्रणाली का बारीकी से अध्ययन करें तो पाते हैं कि लाभ के साथ-साथ वर्तमान शिक्षा प्रणाली में अनेकानेक दोष भी विद्यमान हैं जो निम्नांकित है-
वर्तमान शिक्षा प्रणाली में चारित्रिक विकास की तरफ़ ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली में एक तरफ़ जहांँ बौद्धिक विकास हो रहा है वहीं दूसरी तरफ व्यवहारिक शिक्षा का ह्रास हो रहा है।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली में मोटी-मोटी किताबें पढ़कर बड़ी-बड़ी परीक्षाओं को पास कर लेना ही जीवन की सफ़लता मान लिया जा रहा है।जिससे छात्र कहीं न कहीं स्वावलंबी न होकर पराश्रित बन रहा है।
आज की शिक्षा व्यवस्था मैकाले की शिक्षा व्यवस्था को उच्च शिखर पर पहुंँचा रही है। जो कहीं न कहीं शिक्षित बेरोज़गारी का मूल कारण है।
वर्तमान शिक्षा प्रणाली इतनी महंँगी हो गई है कि सामान्य जनमानस इस शिक्षा से वंचित रह जा रहा है।
5-वर्तमान शिक्षा प्रणाली में आने वाले दोष का कारण-
वर्तमान शिक्षा प्रणाली में दोष के निम्नांकित कारण हैं-
इसका सूत्रपात पराधीन भारत में लॉर्ड मैकाले की शिक्षा को समर्थन दिलाने के लिए किया गया था।
इसका उद्देश्य ही विद्वान, देशभक्त, तत्वज्ञानी व स्वावलंबी नहीं वरन् बाबू तैयार करना था। जो आज धड़ल्ले से हो रहा है।
आज की शिक्षा प्रणाली में अनेकानेक ऐसे विषय और नियमों का समावेश है जो छात्रों पर अनायास दबाव डालते हैं।
उन्हें वह विषय भी पढ़ना पड़ता है, वह कार्य भी करना पड़ता है जिसमें उनकी कोई रुचि नहीं है।
ऐसे में वो उन कार्यों के प्रति चाह कर भी ईमानदारी नहीं बरत पाते हैं।
उनके कार्यों में ईमानदारी न बरतना उनके असफ़लता का कारण बनती है।
6-शिक्षा व्यवस्था में सबसे बड़ी आवश्यकता-
आज आवश्यकता है छात्रों को उनके पसंद का विषय पढ़ने देने की और रचनात्मक कौशलता जगाने की।यदि हम वर्तमान शिक्षा प्रणाली का विवेचन करें तो पाएंँगे कि इस शिक्षा व्यवस्था में लाभ से अधिक हानि है। अतः इसमें समय रहते आमूल- चूल परिवर्तन करने की परम आवश्यकता है।
7-निष्कर्ष- आज देश, काल परिस्थितियों को मद्दे नज़र आधुनिक शिक्षा प्रणाली के गुण तथा दोष को जानने के पश्चात हम इस निष्कर्ष पर पहुंँचते हैं कि वर्तमान में एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था का निर्माण करने की आवश्यकता है जो हमें धर्म, विज्ञान ,स्वावलंबन ,आत्मिक बल, धर्म ,चरित्र, देश भक्ति, निर्भीकता, स्वालंबन इत्यादि का पाठ पढ़ाये और हमारे जीवन को सफ़ल बनाए।
साधना शाही, वाराणसी
Mohammed urooj khan
08-Feb-2024 11:36 AM
👌🏾👌🏾👌🏾
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Shnaya
07-Feb-2024 07:36 PM
Nice
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Gunjan Kamal
07-Feb-2024 06:39 PM
👏👌
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