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गरीबी

शीर्षक गरीबी




मैं चलता रहा सुनसान सड़कों पर ,
मेरे पास खाने के लिए कोई दाना न था।
मैं मांगता रहा रोटी के लिए भीख,
मेरे जेब में एक भी 16 आना न था।

मैने देखी है यह गरीबी को,
मैने समझी है यह गरीबी को।
मै जन्मा भी गरीबी में ही था,
और इस गरीबी के अलावा मेरा कोई ठिकाना नहीं था।

मैं चलता रहा सुनसान सड़कों पर,
मेरे पास खाने के लिए कोई दाना न था।

आती हैं जब जब ठंड,
कपटा तो मेरा शरीर है।
मैं गरीब हु साहब ,
इस ठंड से बचने के लिए स्वेटर का कोई कपड़ा न था।

मैने देखी है यह गरीबी को,
मैने समझी है यह गरीबी को।

कैसे भी करके 4 रोटियां कमा लेता था 
जिसे 1 आज खा लेता बाकी कल के लिए बचा लेता था
कल तो मुझे पता नहीं क्या होने वाला था?
मैंने जाना है खुद को इसलिए कल के लिए बचा लेता था।

मैने देखी है गरीबी को,
मैने समझी है गरीबी को।

आज भी मन कही बाहर जाने को करता है
यह बंदा तो गरीबी के मारे डरता है

अपना मन को मारकर न जाने कितनी कंजूसी करता है

मैने देखी है गरीबी को,
मैने समझी है गरीबी को।

त्यौहार के दिन जब जब आते 
न जाने कौन कौन फुलझरिया जलाते
फुलझरिया जलाते हुए देख औरो को मन हमारा भी करता है
हम भी त्यौहार मनाए दिल एक करता है।

जब घर में न बचे कोई भी दाना
न किसी ने कुछ खाया है
भूख के मारे मर जाएंगे
ऐसी जिंदगी किसने पाया है।

मैने देखी है गरीबी को,
मैने समझी है गरीबी को।

जेब में नही बचे कुछ भी पैसे
हाय यह मेरे जिंदगी के अजीब किस्से
कैसे कटेंगे अब यह दिन और रात
मेरे बिगड़ते जा रहे हैं यह हालात

मैने देखी है गरीबी को 
मैने समझी है गरीबी को।

मन में ख्वाब लिया हुआ हम चल पड़ते हैं
कोई सहारा मिल जाए हमे ऐसा ही सोच लेते है
देखते है निगाहों से अपनी चारो तरफ
दूर दूर तक कोई नजर में नही आता
हमारी गरीबी पर किसी को कोई तरस नही आता

मैने देखी है गरीबी को
मैने समझी है गरीबी को।

मोहल्ले आस पड़ोस में कुछ भी गलत हो जाता
इल्जाम हम पर ही आ जाता
कोई भी नही सुनता हमारे मन की बात
बस अपनी हर कोई मनमानी करके चला जाता।

दिन जिसके अच्छे होते है,
साथ में लोग उनके खड़े होते है।
हम इस गरीबी में भी दिल से ही अच्छे हैं
पर हमारे साथ में कोई खड़ा नहीं हुआ।

कोई अपना बनाकर रख ले हमें
कोई 2 रोटी ही खिला ले हमें
कोई 2 मीठे बोल ही बोल दे हमें
कोई दिल से गले लगा ले हमें
अब तक कोई ऐसा मिला नही

जो समझ सके हमारी इस गरीबी को
अब तक कोई ऐसा मिला नही।

मैने देखी है गरीबी को,
मैने समझी है गरीबी को।

हम ईमानदारी से जीना है चाहते ,
हम अपने देश में है रहना चाहते 
तुम किस अधिकार से हम पर जुल्म कर रहे हों
तुम्हे तो हमारी मेहनत तो देखी नही जाती 
तो तुम किस अधिकार से हमारी रोजी रोटी क्यो छीन रहे हो

मैने देखी है गरीबी को,
मैने समझी है गरीबी को।

हम कर रहे अपना पेट पालने के लिए थोड़ी सी मेहनत 
तुमको वो भी देखा नही गया।
ले तो लिया हमसे अपनी जरूरतों का पूरा सामान 
पर तुम्हारे जेब से पुरे रुपए भी दिया नही गया।

क्यो मार रहे हो हमारी मेहनत की कमाई को
क्यों नहीं दे पा रहे हों हमारी मेहनत की कमाई को
मन भरके सब तो रख लेते हो 
पर पूरा रुपया दिया भी नहीं जाता ।

मैने देखी है गरीबी को,
मैने जानी है गरीबी को।

वक्त वक्त की बात है सबका बदलता रहता है
कोई पहले हस्ता है तो कोई बाद में रोता है
जो अमीर था पहले वो भी अपने कर्मो से गरीब बन जाएगा
जो गरीब था पहले वो भी अपने मेहनत से अमीर हो जायेगा

यह गरीबी का जीवन क्या होता है सुन लो अमीरों
तुमको गरीब बनने के बाद पता चल जाएगा।।

मैने देखी है गरीबी को,
मैने समझी है गरीबी को।

तुम हमसे पूछते हो हम गरीबी की हैसियत क्या है
अरे हम गर्व से कहते हैं हमारी इतनी हैसियत है की
तुम्हारे जीवन के अधिकतर काम हम गरीब पर ही निर्भर है
जिसने समझ लिया हमे जिसने जान लिया हमें
वो तुम्हे सब कुछ बताएगा।

यह गरीब इंसान भी क्या चीज है जनाब
तुम्हे समझ में आ जायेगा।

अरे तुम क्या जानो यह गरीब तुम्हारे लिए क्या क्या करता है
तुम्हे हमारे लिए कुछ भी किया नही जाता।

सुन लो वो अमीरों हम पर रौब दिखाने वाले
यह गरीब तुम्हारे लिए क्या क्या करता है?

तुम्हारे जूते पॉलिश करता है यह गरीब
तुम्हारे घर के जूते बर्तन साफ करता है यह गरीब
तुम्हारे घर की सफाई करता है यह गरीब
तुम्हारे घर का कूड़ा कचरा उठाता है यह गरीब
तुम्हारे लिए अच्छा अच्छा खाना बनाता है यह गरीब

तुम्हारी बड़ी बड़ी गाड़ियों को साफ करता है यह गरीब
तुम्हारी हर जरूरतमंद को पूरी करता है यह गरीब।

हम गरीब है जनाब ज्यादा कुछ कह नही पाते
और तुम हमारा मजा बनाकर आनंद लेते हों।

मैने देखी है गरीबी को,
मैने समझी है गरीबी को।

घर में आराम फरमाने वालो यह गरीबी में जीकर देखो
हमारा जीवन कैसा है यह समझ आ जाएगा।

ऊंचे ऊंचे बिल्डिंग में रहने वालो इन छोटी छोटी झोपड़ी में रहकर देखो
हमारा जीवन कैसा है यह समझ में आ जायेगा।
मीठे मीठे स्वादिष्ट पकवान खाने वालो कुछ दिन भूखे रहकर देखो
हमारा जीवन कैसा है यह समझ में आ जायेगा।
अरे हम गरीब है साहब हमे अपना जीवन पता है
तुम भी हमारे तरह जीकर तो देखो
हमारा जीवन कैसा है यह समझ में आ जायेगा।

मैने देखी है गरीबी को,
मैने समझी है गरीबी को।



हम तो बस दो रोटियां चाहते हैं आपसे
हम तो बस प्यार चाहते हैं आपसे
हम तो बस दो मीठे बोल चाहते हैं आपसे
हम तो बस अपनापन चाहते हैं आपसे
हमारी यह चाह पूरी हो जाए
बस इतना ही चाहते हैं आपसे।


हम गरीब है साहब हमारे लिए भी कुछ अच्छा सोच लिया करो
हम गरीबों की दुवा जरूर काम आयेगी।

यदि आपने कुछ गलत किया हमारे साथ
हमारी बदुवा भी असर करेगी।

हम गरीब है साहब ईमानदारी से जीते हैं
बेईमानी करना हमको पसंद नहीं आता
जितना भी मिल जाए उसी में जीते हैं
इसके सिवा कुछ समझ में नहीं आता।



हम दूर है यह सब मोह माया से
हमको कुछ भी नहीं चाहिए
हमे मिल जाए दो वक्त की रोटी 
बस जिंदगी में इसके सिवा क्या चाहिए

हम गरीब है साहब हम भी जीना चाहते हैं
आप लोगो के बीच में रहकर थोड़ी इज्जत तो चाहते हैं।


यह गरीब का दर्द कौन देखेगा
यह गरीब की बाते कौन सुनेगा
यह गरीब की गरीबी को कौन जीना चाहेगा
यह गरीब की तरह जीवन को कौन जीना चाहेगा

हम गरीब है साहब हमे जताया न करो
सारी दुनिया में हमारा मजाक उड़ाया न करो।

मैने देखी है गरीबी को,
मैने समझी है गरीबी को।


Priyanshu choudhary
#प्रतियोगिता हेतु 














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8 Comments

नंदिता राय

12-Feb-2024 05:54 PM

Nice

Reply

Mohammed urooj khan

08-Feb-2024 11:55 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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बेहतरीन अभिव्यक्ति

Reply

Priyanshu Choudhary

08-Feb-2024 09:25 AM

Ty

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