लेखनी प्रतियोगिता -06-Feb-2024 हमारी शिक्षा प्रणाली
शीर्षक = हमारी शिक्षा प्रणाली
इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेने वाले एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहे एक बच्चे ने खुद को फांसी पर लटकाया उसने मरने से पहले सोसाइड नोट लिखा था कि वो एक लूज़र है उसकी मौत के पीछे कोई और कारण नही है
माता पिता की जबरदस्ती के चलते प्राइवेट कॉलेज से डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही लड़की ने अपने हॉस्टल की दोमंजिला ईमारत से कूद कर जान दे दी उसने नोट में लिखा था कि वो अब और बर्दाश्त नही कर सकती उसे डॉक्टर नही बनना था वो अब और नही कर सकती थी
काफ़ी साल तक सरकारी नौकरी की तैयारी करने के बाद भी ज़ब नाकामी हाथ लगी तो अपने घर खाली हाथ लौटने के डर से ट्रेन की पटरी पर ही एक युवक ने खुद को मौत के हवाले कर दिया ताकि रिश्तेदारों और घर वालो के ताने न सुनने पड़े
सालो साल पढ़ाई करने के बाद एक अच्छी नौकरी की तलाश में भटकते युवक ने खुद को ड्रग्स समुगलिंग की ऐसी दलदल में ढकेल दिया जहाँ सिर्फ अंधकार ही था पुलिस द्वारा पकड़े जाने पर उसका कहना है कि उसने सारी जिंदगी पढ़ाई की थी क्यूंकि उसने बचपन से ही सुना था पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब खेलोगे कूदोगे होगे खराब इसलिए उसने खुद को शिक्षा के हवाले कर दिया किसी और तरफ देखा ही नही उसे खेलना पसंद था वो क्रिकेट खेला करता था एक दो जगह उसे ट्रॉफी भी मिली थी लेकिन खेलने कूदने से घर नही चलता इन्ही सब के चलते उसने खुद को पढ़ाई में ऐसा धकेला की किसी और तरफ देखा ही नही दसवीं, बारहवीं ग्रेजुएशन सबकुछ अच्छे अंको से करने के बाद उसे क्या मिला सब जगह से निराशा जिस अच्छे भविष्य के लिए उसने दिन रात एक कर पढ़ाई की थी वो लोग उसे नौकरी पर रख तो रहे थे लेकिन अनुभव मांग रहे थे और अनुभव न होने पर इतनी तनख्वाह दे रहे थे जितनी की एक मजदूर बिना पढ़ाई करके भी कमा लेता है
अनुभव कहा से आएगा किसी चीज का पहले तो तुमने 100 % हाजरी के चककर में कॉलेज की हर क्लास अटेंड करने को कहा कही जाने से मना कर दिया हर महीने पीछे एग्जाम रख दिए हजारों रंग की फाइल्स बनवा दी जिन्हे सर्दी में हाथ सेकने के काम आना है और अब नौकरी करने जाओ तो वो लोग अनुभव मांगते है तो ऐसा तो नही होता है न जो तनख्वाह वो दे रहे थे मुझे गवारा नही थी कि मैं पढ़ लिख कर मजदूर की तरह 10 हजार रूपये महीना कमाऊ अगर काम नही करूँगा तो मेरे पास तो कोई हुनर ही नही है जिसके चलते मैं खुद को अपने पैरों पर खड़ा कर सकूँ जो ख्वाब मैंने देखे थे जिसके चलते अपनी नींद हराम की थी रातों को जाग कर पढ़ाई की थी वो इन दस हजार रूपये में तो पूरी होने से रही मेरी माँ मेरे बाप मेरी बहनों ने जो उम्मीदें लगायी थी मुझसे क्या उन्हें मैं इन दस हजार रूपये माहना से पूरी करूँगा और अच्छी नौकरी के लिए अनुभव कहा से लाऊ जहाँ अच्छी तनख्वाह मिल सके तो फिर मैं इन सब गलत कामों में न पड़ता तो क्या करता करने लगा समुगलिंग कमाने लगा ज्यादा पैसे क्यूंकि नौकरी से तो आंसू भी नही पूछने थे
इस तरह की खबरें हम आये दिन अख़बार, न्यूज़ सब जगह पढ़ते ही रहते है, शिक्षा जो की किसी भी देश की तरक्की का सबसे अहम हिस्सा है लेकिन ज़ब उसे लोगो तक पहुंचाने का तरीका गलत हो जाये तो बस फिर वो नुकसान के सिवा कुछ नही दे सकती
भारत ऐसा देश जिसने विदुआनो को जन्म दिया है इंसान की पहली सर्जरी से लेकर गृहो की घूमने की दिशा तक का ज्ञान जिन्होंने पूरी दुनिया को दिया आज अफ़सोस होता है कि ऐसे विदुआनो और महापुरुषों की सर्जमीन पर शिक्षा एक खिलवाड़ बन कर रह गयी है
लोगो का लालच और एक दुसरे से बराबरी ने शिक्षा को व्यापार बना कर रख दिया है, शिक्षा जो की सबका अधिकार है लेकिन कितनो को ही शिक्षा मिल पाती है शिक्षा का मंदिर कहलाने वाले स्कूल जिन्हे दो वर्गों में बाट दिया गया है एक सरकारी और एक प्राइवेट सरकारी जो चलाती तो सरकार है लेकिन किस तरह ये हम सब अच्छे से जानते है
और दुसरे प्राइवेट जिनका सबसे पहला निशाना बच्चे को शिक्षित करना नही बल्कि उसके माध्यम से अपनी जेबे भरना है
जिस तरह मंदिर मस्जिद गुरुदारा चर्च सबके लिए एक होता है जहाँ ईश्वर वास करता है तो उसी तरह स्कूल भी सब एक ही तरह के क्यों नही होते है आखिर किस चीज की कमी है सरकार के पास की उसने प्राइवेट स्कूल का एजाद किया ताकि वो बच्चों में बेदभाव पैदा कर सके, किसी को अमीर गरीब होने का अंतर बता सके आखिर क्या जरूरत आन पड़ी थी की प्राइवेट स्कूल वजूद में आये क्यू सबसे बड़ा सुतून समझी जाने वाली शिक्षा को दो वर्गों में बाटा गया
क्यू बच्चों को बेदभाव सिखाया गया की प्राइवेट स्कूल में अच्छी पढ़ाई होती है सरकारी में नही अगर ये बात हम लोग और माँ बाप जानते है तो क्या सरकार नही जानती है क्यू वो प्राइवेट स्कूल के माध्यम से शिक्षा का व्यापार कराती है, उसे तो चाहिए की सारी शिक्षा ही सरकारी कर देना चाहिए ये प्राइवेट स्कूल कॉलेज का कांसेप्ट ही सबसे घटिया है
इतना ही नही आखिर कौन होता है किसी बच्चे काबलियत जानने वाला आखिर किसने हक़ दिया है इन कॉलेज वालो को कि ये किसी भी कॉलेज में दाखिला लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम ले जिसकी तैयारी बच्चे अपनी जान हथेली पर रख कर करे और पास न होने पर खुद को फांसी पर लगा ताकि उन्हें कोई लूज़र न कह सके
सरकार गरीब तो नही होती है जनता ही तो सरकार को कमा कर पैसे देती है क्या वो हर जिले में, हर शहर में सरकारी कॉलेज नही खोल सकती जहाँ जिसका भी मन हो जाकर पढ़ाई करे जिस भी विषय में चाहे अपनी पढ़ाई पूरी करे कौन होता है उनकी काबलियत को आंकने वाला ये कॉलेज
हमारा ही सपना था किसी अच्छे कॉलेज से पढ़ाई करने का हमने भी न जाने कितने ही एंट्रेंस एग्जाम दिए पर पास न हो सके हमारी तरह न जाने कितनो का सपना अधूरा रहा होगा कोई तो फाँसी के फंदे तक भी पहुंच गया होगा क्यूंकि उनके हिसाब से तो तुम काबिल ही नही हो ज़ब एक एंट्रेंस एग्जाम नही निकाल पाए तो तुम आगे चल कर क्या ही कर लोगे
चलो कोई बेचारा न कर पाया एंट्रेंस एग्जाम क्लियर उसने प्राइवेट कॉलेज से कुछ कर लिया लेकिन यहां पर भी उसे स्कूल कि तरह ही ट्रीट किया जायेगा रोज़ कॉलेज आना होगा, क्लास अटेंड करनी होगी कुछ नया सीखने kकि इजाजत नही होगी अगर उसका मन कुछ और करने को होगा तो सबसे पहले उसके माँ बाप ही उसे रोक लेंगे क्यूंकि उसकी पढ़ाई डिस्टर्ब होगी और ज़ब पढ़ाई के बाद नौकरी नही मिलेगी तो उसे ही ताने सुनने को मिलेंगे
सबको एक ही रेस में दौड़ाना है, क्यूंकि पडोसी का बेटा बुआ का बेटा खाला का बेटा वो ही कर रहा सबको अपने बच्चों को इंजीनियर डॉक्टर बनाना है चाहे इसके चलते उसके अंदर कि कुछ और करने कि काबलियत मर ही क्यू न जाये या फिर उनका बच्चा खुद ही क्यू न मर जाये लेकिन उसके अंदर कि काबलियत को जाने बिना उसे इस बात से डराते हुए कि इससे कितना कमा लोगे अपना घर कैसे चलाओगे अजीब तरह कि बातों से उसे डरा देते है
क्या बस लड़के या लड़की का पढ़ना बस इसी पर डिपेंड करता है कि उसे कितना कमाना है और कितना नही जेहनी सुकून दिल की मर्जी कोई मायने नही रखती है आधे से ज्यादा गलती माँ बाप की भी होती है जो अपनी औलाद को औलाद की तरह न पाल कर उसमे भेदभाव करते है बेटी को पराया धन समझ कर परवरिश करते रहेंगे और बेटे को बुढ़ापे का सहारा समझ कर औलाद तो औलाद है ना जो दर्द तकलीफ उठा कर बेटे को जन्म दिया होगा वही सब से बेटी की पैदाइश पर भी गुजरना पड़ा होगा तो फिर आखिर ऐसा क्यू है
कब साफ होगा हमारे जहनो में भरा हुआ ये गंद कब एक ऐसी सुबह होगी ज़ब अख़बार में सारी उम्र पढ़ाई करने के बावज़ूद नौकरी न मिल पाने की चिंता में किसी लड़के ने आत्महत्या नही की होगी क्यूंकि उसने पढ़ाई के साथ साथ किसी और दिशा में भी अपना ध्यान लगाया होगा कोई स्किल सीखी होगी जिसमे उसके माता पिता ने सप्पोर्ट किया होगा बल्कि ये कहकर उसे नकारा नही होगा की इसे करके क्या ही कमा लोगे बीवी बच्चों का पेट कैसे पालोगे या चार लोग देखेंगे तो क्या कहेँगे
ज़ब अख़बार में किसी भी अच्छे कॉलेज में दाखिले के लिए एडमिशन की तैयारी कर रहे लड़के ने खुद को फाँसी पर नही लटकाया होगा किसी का लाल खून में लाल हुआ जमीन पर नही मिलेगा एंट्रेंस एग्जाम की कोचिंग के माध्यम से माँ बाप के खून पसीने की कमाई को हड़पा नही जायेगा जिस भी कॉलेज में जिस भी विषय में चाहो अच्छे से दाखिला मिल जायेगा क्यूंकि सब कुछ सरकार कराएगी सिर्फ अनुभवी बच्चों को ही नही हम जैसे कम अक्ल बच्चों को भी उन कॉलेज में जाने का मौका मिलेगा जिनकी काबलियत एक पेपर से आँकी जाती थी
स्कूल सिर्फ और सिर्फ एक ही होंगे प्राइवेट स्कूल का कांसेप्ट हमारे देश से कही विलुप्त ही हो गया होगा उसी के साथ बच्चे भेड़ चाल में नही बल्कि अपनी अपनी नई दिशा की और बढ़ेंगे जिन्हे वो सब भी नही पढ़ना पड़ेगा जो वो जबरदस्ती बस पढ़े ही जाते है जिनकी जगह उनके सपने में बिलकुल भी नही है
जिसे वैज्ञानिक बनना होगा वो सिर्फ विज्ञान ही पड़ेगा शुरू से उसे हड़प्पा की खुदाई या मिस्र की मम्मी से क्या लेना देना
जिसे इतिहास कार बनना होगा उसे न्यूटन पढ़कर क्या ही मिलेगा सिर्फ दिमाग़ पर बोझ जिसे साहित्य पढ़ना होगा उसमे अपनी पहचान बनानी होगी उसका गणित में आववल आकर क्या फायदा जिस देना ऐसा सब होगा उस दिन हर कोई शिक्षित होगा और अगर इन सब के बावज़ूद भी अगर कोई अशिक्षित होगा तो फिर वो बड़ा ही बदनसीब होगा जो विद्या जैसी दौलत से वांछित रहेगा
समाप्त...
प्रतियोगिता हेतु...
किसी को कुछ बुरा लगा हो तो माफ़ी चाहते है 🙏🙏🙏🙏
Khushbu
12-Feb-2024 11:25 PM
Nice one
Reply
Shnaya
07-Feb-2024 07:36 PM
Nice
Reply
Gunjan Kamal
07-Feb-2024 06:39 PM
👏👌
Reply