Vinita gupta

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प्रीत से पगी हुई अनुराग भरी सरिता

प्रीत से पगी हुई अनुराग भरी सरिता,                      कल कल करती बही चली जाती है।
राग और द्वेष की भावना से दूर कहीं
श्वेतल धवल रस भरे गीत गाती है।।
शीतल सलिल जल से सबको है                   तारती ।
मैल धो सबके नख सिख निखारती।।                     पावन करे अंतर्मन भावना भी होवे  शुद्ध,
आओ करें हम सब गंगा मां की आरती ।
व्याधि हरे दूर होवे संकट सभी जनों के,
शिव जी के सिर जटा जूट पर  धारती।। आज की प्रतियोगिता हेतु विषय स्वैच्छिक

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5 Comments

Sushi saxena

14-Feb-2024 05:16 PM

Very nice

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Mohammed urooj khan

08-Feb-2024 12:05 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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बेहतरीन

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