दहेज़
दहेज
दानव दहेज दमन करता है ,
मानव की इच्छाओं का ।
जो स्वप्न सजाए दुनिया भर के ,
करदे खाक एक झटका ।
बेटी सोचे बन बहु रानी ,
राज करूंगी उस घर में ।
किंतु दहेज दानव ने कुचला ,
अरमानो को क्षण भर में ।
पिता हैसियत से ज्यादा भी ,
बेटी को सब अर्पण करता ।
लोभी समधी दामाद के आगे ,
भीख मांगता है फिरता ।
नित दहेज के कारण देखो ,
बहू जलाई जाती है ।
आई लक्ष्मी को ठुकरा कर ,
हिंसा पाली जाती है ।
इसका चलन सुरसा के मुख सा,
नित ही बढ़ता जाता है ।
रिश्ते नाते और समाज को ,
नित ही खाता जाता है ।
समय के रहते अगर ना जागे ,
हानी होगी बड़ी सुमार ।
आने वाली पीढ़ी तरसेगी ,
होगी चहुंदिश हा हा कार ।
पुरुष वर्ग संकल्प करें यह ,
बेटे की शादी सादा हो ।
नहीं दहेज हमें चाहिए ,
जन-जन का यह वादा हो।
स्वरचित व मौलिक
डॉक्टर आर बी पटेल अनजान
शिक्षक सह साहित्यकार
रेडियो व दूरदर्शन गीतकार
बजरंग नगर कॉलोनी
छतरपुर मध्य प्रदेश।
Madhumita
13-Feb-2024 10:49 PM
Nice
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Gunjan Kamal
13-Feb-2024 09:09 PM
👌👏
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Mohammed urooj khan
13-Feb-2024 01:12 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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