Yusuf

Add To collaction

यादें


यादें कहीं नहीं

सब चले जाते है छोड़कर पर
 यादें कहीं नहीं जाती हैं

 हैं हर पल हर दिन से जुड़ी
 हर वक्त पास आती है

जैसे ही लौट आती है तारिख
यादें भी लौट आ जाती हैं

बीते जो सावन साथ साथ
हरियाली उनकी फिर छा जाती है

सीने में जमी बारिश
फिर आंखो से बरस जाती है

तेरी बाहों में बीते लम्हों की यादें
 चिलचिलाती धूप में छांव दे जाती है

हैं ये सच न आओगे कभी लौटकर तेरी
यादें सर्दी की हवा बन चुभ जाती हैं

   15
6 Comments

Reyaan

21-Feb-2024 01:44 PM

V nice

Reply

Rupesh Kumar

18-Feb-2024 07:07 PM

बहुत खूब

Reply

Mohammed urooj khan

17-Feb-2024 02:48 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

Reply