लेखनी प्रतियोगिता -17-Feb-2024
सुनहरी यादें
उसकी याद मुझसे...
कुछ इस तरह गुजरती है!
जैसे पथिक की...
कोई राह गुजरती है!!
रजनी पहर शांत होते ही,
हृदय गति की पूछो मत।
मुख-चंद्र,अधर-उषा सम,
है रति - सी पूछो मत ।
निगाहों के समक्ष...
जब वह गुजरती है!
उसकी याद मुझसे...
कुछ इस तरह गुजरती है!!
मुस्कान गुलाब की पंखुड़ियां,
लटाएं घटा-सी...
चोटी सर्प ज्यों लहराती है।
पतझड़ जाता देख उसे
शाखाएं हरी हो जाती है।
मौसम बदलता करवट में,
ऋतुएं सह गुजरती है!
उसकी याद मुझसे...
कुछ इस तरह गुजरती है!!
रोहताश वर्मा 'मुसाफ़िर'
Reyaan
21-Feb-2024 01:54 PM
Nice
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Mohammed urooj khan
19-Feb-2024 01:05 AM
👌🏾👌🏾👌🏾
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Rohtash Verma
20-Feb-2024 09:02 AM
दिल से शुक्रिया आपका आदरणीय जी 💐💐
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Rupesh Kumar
18-Feb-2024 07:18 PM
शानदार
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Rohtash Verma
20-Feb-2024 09:02 AM
तहेदिल से बहुत धन्यवाद आपका 💐💐
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