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आईना

आयोजन: दैनिक साहित्यिक प्रतियोगिता

विधा: कविता, भाषा: हिन्दी

प्रकार: स्वरचित एवं मौलिक


शीर्षक: आईना


प्रेम के पावन रिश्ते की गवाही देता है आईना।

हर हुस्न को सरेआम वाहवाही देता है आईना। 

इसकी चमक से ज़िंदगियों में रंग भर जाते हैं,

चरित्रों को ऐसी अद्भुत स्याही देता है आईना।


कोमल भावनाओं का कवच होता है आईना।

सिंगार दान का फाइनल टच होता है आईना।

इसकी चमक से यहाॅं के प्रेमी धोखा खाते हैं,

झूठी दुनिया का कड़वा सच होता है आईना।


कई प्रलोभनों से भरा प्रपंच होता है आईना।

कई पात्रों का नाटकीय मंच होता है आईना।

बिना इसके कभी वास्तविकता नहीं मिलती,

हृदय-सिंहासन का सरपंच होता है आईना।


मानवीय सोच की पिपासा होता है आईना।

आशाओं से भरी जिज्ञासा होता है आईना।

लोग तो रूप-कुरूप के पीछे लड़ते जाते हैं,

प्रत्येक मुखड़े का दिलासा होता है आईना।


जब लोगों के आगे बेक़सूर होता है आईना।

फिर क्यों इस तरह चूर-चूर होता है आईना?

इस जग को झूठे व स्वार्थी लोग ही भाते हैं,

इसलिए सभी लोगों से दूर होता है आईना।


©® हिमांशु बडोनी "दयानिधि"

जिला: पौड़ी गढ़वाल (उत्तराखण्ड)

Insta ID: @himanshupauri1

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6 Comments

Reyaan

21-Feb-2024 02:01 PM

V nice

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बहुत खूब 🙏🏽

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Mohammed urooj khan

19-Feb-2024 11:34 AM

अमेजिंग 👌🏾👌🏾👌🏾

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