स्वैच्छिक
शीर्षक स्वैच्छिक
आज की यह दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है और अपने जीवन में कुछ न कुछ कर रही है और अपने काम से काम रख रही है।
हमारे समाज में हर व्यक्ति यही इच्छा रखता है वह जहां भी जाए जहां भी जॉब करे या कोई भी काम करें तो उसको सम्मान चाहीए उसको इज्जत चाहिए और दूसरे लोग उसके कपड़े देखकर, उसके काम को देखकर या उसके बोली को देखकर उसे बैज्जत न करे और जल्दी से फ़ैसला न करे।
आज के इस कहानी में हम ऐसे व्यक्ति के बारे में बात करेंगे जिसको इज्जत मान सम्मान बहुत मिला पर कुछ लोगो ने उन्हे जलील बैज्जत्त किया था। चलिए हम सभी समझते है
एक गांव में एक लड़का रहता था जो अपने घर में सभी का लाडला चहिता था और सभी लोग उसकी तारीफ करते थकते नहीं थे और उसके प्रति अपना प्यार हर पल देते रहते थे और वह सभी से जुड़ा हुआ रहता था सभी की बात मानता था और सभी के साथ इज्जत से पेश आया करता था।
जब जब वह घर से बाहर निकलता तब तब कोई न कोई उसका मजाक उड़ाते उसको बैज्जत करते और कोई न कोई हरकत करके उसका अपमान करते थे जो उसको अच्छा नही लगता था।
"एक दिन की बात है वह अपने जानने वाले के दुकान पर सामान लाने गया और दुकानदार ने कहा क्या सामान चाहिए तब उससे बोलने में समस्या आ रही थी क्योंकि उसको बोलने में दिक्कत होती थी और उतने समय में दूसरे लोग आकर कहने लगे जब तूझे बोलना आता नही तो यहां क्यों है? अपना तो समय बरबाद कर रहा और हमारा भी चल निकल यहां से "।
बात कुछ ऐसी है वह बोलने में उसकी भाषा थोड़ी टोटलोपन की थी और वह टोटली भाषा बोलता था जिसका मजाक सभी लोग उड़ाते थे और वह ज्यादा कुछ कह नहीं पाता था।
एक दिन वह अपने मोहल्ले के दोस्त के साथ खेल रहा था और उसके दोस्त के घर में उनके मेहमान आए थे तब उन्होंने उससे बात करना चाहा और उसकी बोलने की यह दिक्कत को देखकर उसका मज़ाक उड़ाने लगे और जब जब वह आते तब तब उसका मजाक उड़ाया जाता था और वह ज्यादा कुछ नहीं कह पाता था।
"एक दिन की बात है वह स्कूल में पढ़ाई कर रहा था और टीचर मौखिक रूप से सवाल जवाब करने लगे तब उसकी बारी आई और उसको पूरे जवाब पता थे पर कुछ कह नहीं पा रहा था और बाकी सभी उस पर हस रहे थे उसका मजाक उड़ा रहे थे
जब जब कोई उसका मजाक बनाते तब उसको अच्छा नही लगता था और उसको खुद से घुटन होती थी और सभी के बुरे बाते सुनकर वह आगे कुछ बोल नहीं पा रहा था और घर में रहकर ही काम कर रहा था और जब जब उसको बाहर कोई काम से भेजा जाए तब वह घबरा जाता और डरकर एक चुप चाप कोने में बैठ जाता था।
उसकि खामोशी को देखकर उसके घरवाले डर गए थे और वह सहमा सहमा सा गुमसुम गुमसुम सा रहने लगा था और सबको निहारते हुए लगा और धीरे धीरे करके डिप्रेशन में जाने लगा था।
"उसके डिप्रेशन में जाने के बाद वह स्कूल में जाना बाहर जाना और दोस्तों के साथ घूमना फिरना आदि सब चीजे बंद कर दिया था और उसकी यह घुटन धीरे धीरे सब उसको अंदर से कमजोर होने लगा था"।
फिर सब कुछ को भूलकर खुद को मजबूत बनाकर वह संभाला और उसके घर वालों ने उसको हिम्मत भी दी और वह पढ़ाई में मन लगाया और अच्छा पढ़ा समझा और एक बड़ा अच्छा पद हासिल किया।
अब वह जब जब बाहर निकलता तब उसको बाहर वाले इज्जत से पेश आते थे और सम्मान भी देते थे और सभी लोग उसको देखकर थोड़ा घबराते भी थे क्योंकि वह अब थोड़ा बड़े पद पर कार्यरत था ।
उसके जीवन में अब सब कुछ ठीक ही चल रहा था पर कहते हैं न खुशी किसी को बर्दास्त हो नही पाती और उससे एक लापरवाही के कारण या कहे अनजाने में एक छोटी सी गलती हो गई और जिसका नुकसान उसके ऑफिस वाले को हुआ और फिर उसको अपनी नौकरी से अपने पद से हटाना पड़ा।
"बात कुछ ऐसी थीं की उसकी मौजदगी में कोई दुसरा व्यक्ति ने चोरी कर ली जिसका इल्जाम उस पर लगाया गया और वह अपनी बेगुनाई साबित नही कर पाया तो उसको उस पद से निकाल दिया गया "।
जब जब वह घर में से बाहर निकलता तब उसको चोर चोर चोर चोर कहकर पुकारते तो कोई चोर आ गया अपना सामान छुपा लो ,चोर आ गया अपना सामान छुपा लो और कुछ लोग देखो देखो वह चोर जा रहा है इस तरह के शब्द को बोला जाता था।
अगले दिन जब वह नई नौकरी की तलाश में गया तब यह कहकर निकाल दिया की तुम चोर हो और विश्वास के काबिल नहीं हो और हम तुम्हे नौकरी देकर गलती नहीं कर सकते और वह बार बार कोशिश करता रहा और सभी जगह से एक ही जवाब मिलता रहा।
"शाम का वक्त था थक हार कर घर में बैठा और खुद से कहने लगा अब मुझे खुद को सही साबित करना होगा क्योंकि मैं फिर से वही कुछ झेलना नही चाहता जहा से मैं गुजर चुका हु पर कैसे करू यह समझ नहीं आ रहा है और थोड़ा दिमाग में जोर डलने के बाद हा याद आया उस ऑफिस में एक सिक्रेट कैमरा भी है जहा से मैं सही साबित हो जाऊंगा "।
अगले दिन ऑफिस पर पहुंचने के बाद वहा का बॉस कहता है
"अब क्यों आए हो यहां पर तुमको तो ठंडक मिल गई होगी यह कारनामे करते हुए "।
वह लड़का _"सर जी मैं सही हु और आज खुद को सही साबित करने के लिए आया हु और मेरी बात सुनिए "
बास _"हम क्यों सुने तुम्हारी बात?"
लड़का__"सर जी प्लीज मेरी बात सुनिए इस ऑफिस में एक सीक्रेट कैमरा है उसको देखिए और सब कुछ समझ आ जायेगा"।
बॉस ___"ठीक है और वह कैमरा देखता है तो पता चलता है कि वह सही कह रहा था और दूसरे ने ही चोरी की थी और उससे कहता है तुम सही साबित हो चुके हो और अब तुम ऑफिस ज्वाइन कर सकते हो "।
जब उसको अपना पद मिल गया तो लोगो ने फिर से उसको सम्मान देना इज्जत देना और उनसे अच्छे से बात करने यह सब होने लगा और उसने एक बात जान की यह सब कुछ उसको नही मिल रहा है बल्की उसके पद को मिल रहा है।
इंसान के पास जब कोई अच्छा पद अच्छी नौकरी हो तब सब लोग उन्हे पूजते है और जब कुछ भी न हो तब सब लोग उन्हे ताने कोसते रहते हैं।
इस लड़के की तरह हमारी भी जीवन सही है और हमरे साथ भी जो लोग जुड़े हुए है इतनी इज्जत सम्मान दे रहे हैं वो सिर्फ हमारे पद अच्छी नौकरी के कारण से है और हमारे पास कुछ भी नहीं हो तब यह लोग हमसे हाल चाल क्या बात भी करना पसंद नहीं करते।
दुनिया के यह सब बनावटी रूप हमको अच्छे नही लगते है इसलिए हम जैसे है वैसी ही जी रहे हैं और दुनिया को खुश रखने की चाह में खुद को बदल नही सकते और हम जिस रूप में है दुनियां हमे उसी रूप में स्वीकार करे यही चाहते है।
यदि हम गरीब कमजोर या अहसय हैं तो दुनिया हमको इज्जत दे मान सम्मान दे न की हमारा अच्छा पद को देखकर।
हम गरीब लोग कमजोर लोग या अहसाय लोग भी इंसान ही है और हमको भी जीने का हक है और हमको भी इज्जत मान सम्मान चाहीए जो हम सभी आपसे उम्मीद लगाए हुए है।
किसी के रूप रंग को देखकर जज मत करो और न ही उन्हें बदनाम करो सभी के साथ एक जैसा ही व्यवहार करो।
किसी ने कहा भी है
"इस जीवन में जिसको जो जो मिला उसके लिए पर्याप्त है
हमने जो जो इच्छा रखी वो तो एक मोहमाया है"।
"हमने जितना भी कुछ कमाया है वह यही छूट जाना है
तुम किसी भी रंग के बन जाओ हमको साथ साथ में एक ही जगह जाना है "।
"घमंड न कर अपनी शौरह्त का वो एक दिन टूट जायेगा
हम तो मिट्टी से बने हुए हैं इसी मिट्टी में मिल जाना है"।
इसलिए इस संसार में सभी को सम्मान दो इज्जत दो और भेदभाव न करते हुए सभी के साथ एक समान पेश आओ।
Priyanshu choudhary
प्रतियोगिता हेतु
kashish
27-Feb-2024 02:39 PM
Awesome
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RISHITA
26-Feb-2024 04:30 PM
V nice
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KALPANA SINHA
26-Feb-2024 11:28 AM
Amazing
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