GUDDU MUNERI

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जादुई कंचे

गुड्डू : द सुपर हीरो की कहानी 

[ जादूई कंचे ] 

पार्ट (15)


Recap..........

ऊपर से जब गुड्डू ने देखा हुकाला अभी भी बच गया । 

और उसकी कमर पर लगी जादूई कंचें की शीशी में वो तब्दीली जादूई कंचा दिखाई दें रहा था ........


अब आगे ............✍️

    गुड्डू के पास ये मौका था कि वह हुकाला से मोनू के दादा जी के जादूई कंचो में से एक कंचा तब्दीली कंचा जो हुकाला उससे छीन कर भाग गया था उसे वापस ले लिया जाए ।

   गुड्डू ने दूसरे फ्लोर के फर्श से नीचे की ओर झुक कर खूंटे जैसे सरिए में लटके हुए हुकाला की कमर से उस तब्दीली कंचे को निकाल लिया ।

    ऊपर खड़े पिंटू और अलबेला दोनो खुश हुए कि अब हुकाला मूंगा नगर वासियों को बेवकूफ बनाकर किसी का माल नही लूट पाएगा और वह तब्दीली कंचा भी  हुकाला से वापस हासिल हो गया ।

इधर हुकाला लटका हुआ देखता का देखता ही रह गया क्योंकि उसको नीचे गिरने का डर था ।

कुछ देर बाद ही पुलिस भी वहां आ गई साथ में गुड़िया,निशा और निशा के पापा भी चले आए थे ।

निशा ने गुड्डू को उसके हुकाला से बचाने पर शुक्रिया कहा ।और सभी ने गुड्डू को शाबाशी दी । पुलिस हेड अफसर ने गुड्डू और उसकी सुपर टीम का शुक्रिया अदा किया और हुकाला को पकड़ लिया गया । 

    हुकाला को पकड़ते ही पुलिस हेड अफसर ने हथकड़ी लगाकर जिप्सी में बैठा लिया और पुलिस स्टेशन ले गए ।

    सभी ने गुड्डू को तब्दीली कंचा मिल जाने की बधाई दी 

और फिर सभी अपने अपने घर को चल दिए ।

  पुलिस स्टेशन में आकर पुलिस हेड अफसर ने हुकाला को उसी जेल में डाल दिया । जिसमे उसके दोनो चेले " झिमकू और झेला " दोनो पहले से कैद थे ।

हुकाला को देखकर दोनो बहुत खुश हुए लेकिन हुकाला को बहुत गुस्सा आ रहा था कि इसके चोरी, डकैती के सबसे मजबूत हथियार तो वो जादूई कंचा था जो गुड्डू ने वापस ले लिया । हुकाला ने दोनो को हंसने को माना किया और कहा कि यहां से बाहर निकलने का इंतजाम करना होगा नही तो वो गुड्डू एक दिन सचमुच पूरे मूंगा नगर का सुपर हीरो बन जायेगा ।

     अगले दिन गुड्डू और उसकी सुपर टीम घर के आंगन में बने एक बड़े से टेबल पर सब बैठकर नाश्ते का इंतजार कर रही थी साथ निशा भी थी जो गुड़िया की फ्रेंड थी लेकिन जब गुड्डू की टीम ने उसे हुकाला से बचाया तब से वह गुड्डू की सुपर टीम की फैन हो गई थी ।

     गुड्डू की अम्मी रसोई से नाश्ता लाकर टेबल पर रख रही थी सभी ने भर पेट नाश्ता किया  और अपनी अपनी अपनी बातों में लग गए । 

अलबेला बोला - ये देखो न्यूज पेपर भी टेबल के नीचे पड़ा है ,  आओ पढ़ते है , अरे! वाह ! आज सुबह के न्यूज पेपर में तो हमारी फोटो छपी है और लिखा है कि कि गुड्डू की सुपर टीम ने चोरी - डकेती में लिप्त बदमाश " हुकाला " को पकड़कर पुलिस स्टेशन भेजवा दिया तथा मूंगा नगर का नाम रोशन किया । सभी यह खबर पढ़कर बहुत खुश हुए । पिंजरे में बैठा मिठ्ठू बोल पड़ा - शाबाश मेरे शेर,  शाबाश मेरे शेर" 

लेकिन जाने क्या सोचते हुए  गुड्डू ने अपनी बात रखते हुए कहा कि क्यों न अब इन सभी जादूई कंचो को हम मोनू के दादा से पूछकर इन्हे सही जगह पहुंचा दे और अब तो हमारा नगर का खुफिया बदमाश चोर हुकाला भी पकड़ा गया ।

और अब हमे इनकी जरूरत भी नहीं पढ़ेगी । सुपर टीम में अपनी अपनी राय में गुड्डू के इस फैसले को सही समझा ।

और पिंटू ने कहा-"ठीक है ","जैसा तुम ठीक समझो " 

    गुड्डू ने पहले की तरह एक जादूई कंचा निकाला और आंखों से छूकर रख लिया ।

कुछ ही सेकंड में मोनू के दादा जी की रूह सामने आकर खड़ी हो गई और दादा जी ने गुड्डू से पूछा - क्या हुआ मेरे बच्चे ? 

गुड्डू ने बताया कि हमने वो तब्दीली जादूई कंचा हासिल कर लिया और साथ में उस बदमाश हुकाला चोर को जेल भिजवा दिया अब हमे इनकी जरूरत नहीं है यह आपकी अमानत थी जिसे हम आपको लौटा देना चाहते है ।

    दादा जी गुड्डू की तरफ देखकर थोड़ा शर्माए और बोले कि शाबाश ये तो तुमने बहुत बहादुरी का काम किया हुकाला से तब्दीली कंचा छुड़ा लिया ।  बेटे तुम बहादुर तो हो लेकिन थोड़े  नादान भी हो , यह जादूई कंचे तो तुम्हारी पॉवर (शक्ति) है तुम इसे क्यों छोड़ना चाहते हो तुम्हे तो इसका भरपूर फायदा उठाना चाहिए लोगो की मदद करने में आसानी होगी या फिर कोई और बात है जो तुम बताना नही चाहते ।

    " मेरे बहादुर बेटे अभी तो तुम्हे और चुनौतियों का सामना करना है न जाने कब कौन सा गुंडा या राक्षस तुम्हारे इस प्यारे से नगर में घुस आए " दादा जी ने कहा ।

    गुड्डू ने दादा जी की बात मानते हुए अपनी एक शर्त रखी कि मैं और मेरी सुपर टीम एक सप्ताह इन जादूई कंचो के साथ रहेंगे अगर इनकी शक्तियों की जरूरत पड़ी तो इन्हे हम सदा अपने पास सुरक्षित रखेंगे और जरूरत नहीं पड़ी तो हम आपको लौटा देंगे ।

मोनू के दादा जी ने गुड्डू की शर्त स्वीकार कर लिया 

" और कोई बात बेटे जो मैं तुम्हारे लिए आसान कर सकूं " दादा जी ने पूछा ।

गुड्डू ने कहा -  नही, बस और कुछ नही ।

और दादा जी कुछ ही सेकंड में गायब (अदृश्य) हो गए ।

       दादा जी के जाने के बाद गुड्डू ने फिर वही प्लाट वाले पार्क में जाने की इच्छा जताई और कहा चलो अपने पुराने दिनों को याद करते है ।

गुड्डू और उसकी सुपर टीम घर से निकलकर प्लेटबील पार्क कि और चली गई ।

 और एक मुस्कुराहट के साथ गुड्डू ने सभी को कंचे खेलने को कहा । वहां पहले से कुछ बच्चे कंचे खेल रहे थे और कुछ अन्य खेल में व्यस्त थे ।

बस ऐसे ही प्लाट वाले पार्क में खेलते-खिलाते हुए शाम ढल गई और फिर सुपर टीम घर को लौट गई ।

आज का पहला दिन तो ऐसे ही गुजर गया ।

 अगला दिन हुआ वही रोज की तरह गुड्डू अपनी टीम के साथ प्लाट वाले पार्क में घूमने जाता और घर लौट आता ।

ऐसे हर रोज चलता रहा और फिर पांच दिन गुजर गए कभी कंचे खेलने में दिन गुजारा तो कभी खेल कूद कर या फिर लूडो आदि गेम खेलकर छठा दिन भी गुजर गया और गुड्डू को कोई चुनौती नही मिली कि वह अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सके । 

उधर जिस जेल में हुकाला था उसी जेल में एक जादूगर तांत्रिक जैसा दिखने वाला आदमी को लाया गया। उसने एक महिला के सारे जेवर लूटने का जुर्म किया था । पुलिस हेड अफसर ने उसे लाकर लॉक अप में डाला । " अबकी बार कोई हरकत मत करना "  कहकर अपने ऑफिस की ओर चला गया । जादूगर हंसी खुशी जेल के अंदर चला आया जैसे उसे कोई सजा ही न मिल रही हो ।  हुकाला उसे देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि जेल में सब आते है, बैचेन हो जाते है, परेशान हो जाते है, डरते है, आदि लेकिन इसके तो चेहरे पर एक शिकन भी नही थी  ।

       हुकाला ने उसके पास जाकर उस जादूगर से पूछा कि तुम यहां कैसे आए और तुम्हे जरा भी डर नहीं लगा और हमारी तो यहां ऐसी की तैसी कर दी इन पुलिस अफसरों ने ।

       उसमे बताया -  " मैं जादूगर कंकाल हूं " 

" अबे तू तो अच्छा ठीक ठाक है तू कहां से कंकाल हो गया।" 

जादूगर कंकाल से हुकाला ने कहा । 

जादूगर ने एक मंत्र पढ़ा - " हड्डी हड्डी हु , हड्डी हड्डी हु " दो बार पड़ा और वह चलता फिरता कंकाल बन गया ।

जिसे देखकर हुकाला और उसके दोनो साथी जेल में ही थे तीनो डर गए और फिर जादूगर कंकाल वापस अपने रूप में  आ गया । तब जाकर तीनो ने सांस में सांस ली ।

हुकाला, जादूगर कंकाल का यह कारनामा देखकर खुश होने लगा उसके दिमाग में एक आइडिया सूझ गया था कि इस जादूगर कंकाल की मदद से इस जेल से फरार हो सकेंगे ।

    और फिर हुकाला ने अपने दोनो चेलों के साथ कुछ काना-फूसी की और उस जादूगर कंकाल के पास जाकर जादूगर कंकाल को सोने चांदी के जेवरों से मालामाल करने का लालच दिया और बदले मे उन तीनो को जेल से बाहर करने का वादा मांगा । 

जादूगर कंकाल उन जेवरों से अपने तांत्रिक जादू टोने के अड्डे पर कंकाल पर सोना चांदी चढ़ा कर शक्तियां प्राप्त करता था ।

इसलिए वह मान गया । 

वैसे भी वह जादूगर जब चाहे अपने जादू से बाहर जा सकता था लेकिन सोने चांदी का लालच मिलते ही वह हुकाला और उसके दोनो चेलों को जेल से बाहर निकाल कर जाना था ।

जादूगर कंकाल ने हुकाला और उसके दोनो चेलो को लेट जाने को कहा और तब तक मत उठना जब तक मैं न कहूं ।

      जादूगर कंकाल ने देखा कि एक पुलिस अफसर उनके लोक अप की ओर आ रहा है तभी वह जेल में ही अपना वही रटा हुआ मंत्र " हड्डी हड्डी हु , हड्डी हड्डी हु " बोलकर कंकाल बन गया और तीनो को लेटा दिया । और खुद भी कंकाल बनकर हुकाला के पास लेट गया । ऐसे करने लगा जैसे वह हुकाला को नोचकर खाने वाला हो । 

  यह देखकर वह पुलिस अफसर डर गया " भूत भूत भूत " चिल्लाता हुआ पूरे पुलिस स्टेशन को हिला दिया जो भी इधर लॉक अप की और आता डर के मारे भाग जाता । 

जादूगर कंकाल खड़ा हुआ और सीधा पुलिस हेड अफसर के ऑफिस में पहुंचा वह भी डरा हुआ था । जादूगर कंकाल ने दीवार पर टंगी की होल्डर से लॉक अप की चाबी ली और तीनो को आजाद कर दिया । सभी के सभी पुलिस अफसर डर कर भाग खड़े हुए थे और हेड पुलिस अफसर तो चाबी लेते वक्त ही बेहोश हो गए थे ।

  हुकाला और उसके साथी बाहर पुलिस स्टेशन से बाहर आए । जादूगर कंकाल अपने रूप में वापस आया और हुकाला ,जादूगर कंकाल को अपने अड्डे पर साथ ले गए जहां पुलिस ने सील लगा रखी थी । उसे तोड़ कर अंदर घुस गए ।

और फिर शुरू की गुड्डू से वो जादूई कंचे हासिल करने की प्लानिंग । 

     जिससे कि उन जादूई शक्ति से लोगो का माल लूट सके 

और अपना राज जमा सके बस हुकाला ही हुकाला हो और कोई उसका मुकाबला न कर सके । 

    यहां  गुड्डू प्लाट वाले पार्क में आकर अपनी टीम के साथ बैंच पर बैठकर पतंग उड़ाने को लेकर बात कर रहा था आखिर 15 अगस्त आने वाली थी और पतंगे उधानेंका शौक मूंगा नगर के बच्चे बच्चे को था । 

 तभी पिंटू ने याद दिलाया कि कल सांतवा दिन है और हमे यह जादूई कंचे मोनू के दादा जी की रूह को लौटाने होंगे ।

   " हां मुझे याद है " गुड्डू ने कहा । 

उधर जादूगर कंकाल ने अपने वादा पूरा करने पर हुकाला से जेवर मांग रहा था हुकाला ने उसे और लालच दिया तुम यहां अपना डेरा डाल सकते हो और मेरे साथ माल लूटने में मदद करो मैं जो भी माल लूटा जायेगा उसका आधा हिस्सा तुम्हारा लेकिन उससे पहले मुझे उस गुड्डू से वो जादूई कंचे हासिल करने होंगे और उसके बाद अपना राज होगा । 

" ठीक है हुकाला " जादूगर कंकाल ने कहा । 

हा हा हा हा हा हा हा हुकाला ने मुस्कुराते हुए उस जादूगर कंकाल को शाबाशी दी । हुकाला अपने साथ झिमकु, झेला और जादूगर कंकाल को लेकर निकल पड़ा गुड्डू की खोज में ।  

   इधर गुड्डू अपनी सुपर टीम साथ छत पर पतंग उड़ा रहा था  दूसरे घरों में भी कुछ बच्चे अपनी अपनी छत से पतंग उड़ा रहे थे । मिठ्ठू उस लाल वाली पतंग को काटने की बोल रहा था ,  पिंटू अलग अपनी पतंग उड़ा रहा था , इसी छत पर गुड़िया और निशा भी अपनी पतंग उड़ाने की कोशिश कर रहे थे । 

हुकाला और उसकी टीम गुड्डू के घर के बाहर दांए बांए छुप गए और गुड्डू को पतंग उड़ाता देख उसका इंतजार करने लगे कि कभी तो बाहर आएगा । ..............


आज के लिए इतना ही शुक्रिया ✍️ 

लेखक : गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी 

  


आने वाला पार्ट (16) जरूर पढ़े ।

सस्पेंस को बरकरार रखते हुए क्या हुकाला अपने अगले टारगेट को पूर कर पाएगा या जादूगर कंकाल कुछ नया जादू दिखाएगा । पढ़ते रहिए 

 गुड्डू : द सुपर हीरो " जादूई कंचो की कहानी " 






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8 Comments

kashish

27-Feb-2024 02:28 PM

Amazing

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GUDDU MUNERI

26-Feb-2024 10:50 PM

सभी की प्रतिक्रियाओं का सम्मान रखते हुए शुक्रिया धन्यवाद

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Varsha_Upadhyay

26-Feb-2024 07:29 PM

Nice

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