Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -25-Feb-2024 "मुझे क्यों नहीं मिले आप"

"बेटा जरा पता तो करो कि रेल क्यों यमुना के पुल के बीचों-बीच रुक गई है।" यह बात बुजुर्ग राम सेवक शायद पोते आदित्य से कई बार पूछ चुका था, लेकिन उनकी इस बात को ही नहीं आदित्य उनकी हर एक बात को अनसुना कर रहा था।


जब उसकी इस हरकत पर अपनी विधवा मां के साथ आगरा जाने का सफर कर रही, प्रगति से उसकी यह हरकत बर्दाश्त नहीं होती है तो वह गुस्से में आदित्य को डांटते हुए कहती है "वह बुजुर्ग शायद आपके दादा जी या नाना जी या और कोई संबंधी आपसे बार-बार कुछ पूछ रहे हैं और आप उनके हर सवाल को अनसुना कर रहे हो।"
और जब आदित्य प्रगति का भी कहा अनसुना कर देता है तो प्रगति समझ जाती है कि यह बदतमीज नहीं बेशर्म और जलील भी है, इसकी वजह से मैं अपना सफर का आनंद क्यों खराब करूं, और वैसे भी आगरा पहुंचकर अपनी  ममेरी बहन की नाराजगी मुझे बर्दाश्त करनी पड़ेगी, क्योंकि मैं अपनी ममेरी बहन की शादी में एक सप्ताह पहले पहुंच ने की जगह शादी के एक दिन पहले पहुंच रही हूं, उसके बड़े भाई को फ़ौज से छुट्टी नहीं मिल पाई थी इस वजह से उसके भैया भाभी भी शादी में शामिल नहीं हो पा रहे थे इस बात का भी गुस्सा उसके अपनी ममेरी बहन का झेलना था।

एक घंटे रेल के सफर तय करने के बाद आदित्य रेल की चैन खींचकर रेल को रुकवा देता है।उसकी इस हरकत पर रेल के डिब्बे में बैठे यात्री जो रेल के पहले से लेट होने से दुखी थे, जैसे ही आदित्य कि इस बचकानी हरकत पर उसे पीटने वाले होते हैं, तभी एक 12 वर्ष का चरवाहा बच्चा रेल के डिब्बे में घुसकर कहता है "बाबूजी को कुछ मत कहो इन्होंने मेरे अपनी लाल कमीज और भेड़ का बच्चा दिखाने के इशारे के बाद रेल को चैन खींच कर रुकवाया था, क्योंकि रेल की पटरी के बीचों-बीच मेरी भेड़ ने बच्चे को जन्म दे दिया है और मुझ अकेले से पूरी ताकत लगाकर हटाने के बाद भी मेरी भेड़ बच्चे को रेल की पटरी से लेकर हट नहीं रही है।" चरवाहे कि यह बात सुनकर सारे यात्री और प्रगति शांत हो जाती हैं।

और कुछ घंटे बाद रेलवे स्टेशन आने के बाद आदित्य अपने बुजुर्ग दादा जी रामसेवक को रेलवे स्टेशन पर अकेला उतार कर खुद रेल के डिब्बे में आकर अपनी सीट पर बैठ जाता है। 

रेल के तेज गति पकड़ते ही प्रगति आदित्य से कहती है "तुम यहां आराम से बैठे हो और रेल की स्पीड तेज हो गई है, अपने दादा जी को तो रेल में चढ़ा लो।"

आदित्य के कुछ जवाब देने से पहले ही रेल में मूंगफली पानी आदि सामान बेचने वाली अधेड़ आयु की महिला आदित्य से के पास आकर पूछती है? "आदित्य भैया उन बुजुर्ग को रेल से ठीक-ठाक उतार दिया है ना।"
"हां उनके गांव का पता कुली को देकर कह दिया है उनके गांव जाने वाली बस में उनको बैठा दे।" आदित्य बताता है 
"शायद उनका बेटा बहू उनका नाम राम सेवक बता रहे थे।" अधेड़ आयु की महिला पूछती है?
"हां उनका नाम रामसेवक था।"आदित्य कहता  "उनका बेटा बहु बहुत कंजूस और मतलबी लग रहे थे, बताओ सफर में खर्च करने के लिए उनको सिर्फ पाचस रुपए दिए थे, आपको उन अनजान लोगों की जिम्मेदारी अपने सर नहीं लेनी चाहिए थी, और यह बताओ इस बार  दूसरों की मदद करते हुए आपके कितने रुपए खर्च हुए हैं।" 
आदित्य उस अधेड़ आयु की महिला की बात बीच में काटकर पूछता है? "आपके बेटे का काम धंधा ठीक-ठाक चल रहा है ना।"
आपकी कृपा से बहुत अच्छा चल रहा है, आपकी ईमानदारी मेहनत की कमाई के तीस हजार रुपए से उसने अपना छोटा सा धंधा कर लिया है तभी तो वह अब मुझे रेल की डिब्बे में घूम कर कोई भी समान नहीं बेचने देता है, नहीं तो महीने में दो-तीन बार आपके दर्शन हो जाते थे।"

फिर दोबारा आदित्य उस अधेड़ आयु कि महिला की बात को अनसुना करके आने वाले रेलवे स्टेशन पर उतरने की तैयारी करने लगता है, इस बार प्रगति को आदित्य के साथ साथ उस महिला के ऊपर भी क्रोध आता है क्योंकि वह महिला पूरी तरह शरीर से तंदुरुस्त होने के बाद गूंगे बहरे जैसे आदित्य से बात कर रही थी, प्रगति को किसी आपहिज का मज़ाक़ उड़ाना उसका बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा था।

आदित्य के रेल से उतरने के बाद प्रगति आदित्य के बारे में सोचने की जगह अपनी विधवा मां से ममेरी बहन की शादी के विषय में बात करने लगती है।

मामा मामी के घर पहुंचने के बाद प्रगति की  ममेरी बहन उससे शादी में देर से पहुंचने की वजह से नाराज होने की जगह प्रगति और अपनी बुआ यानी की प्रगति की मां को देखकर चिपट कर रोने लगती है।

मामा मामी से प्रगति को अपनी ममेरी बहन का रोने का कारण पता चलता है तो उसे लड़के और लडकों वालों पर बहुत गुस्सा आता है, क्योंकि पांच लाख के दहेज के रुपए का इंतजाम न होने की वजह से उन्होंने शादी से एक दिन पहले उसकी ममेरी से शादी करने से इन्कार कर दिया था।

बेटी के माता-पिता की दुख तकलीफ को समझ कर लड़के का चचेरा भाई जो दोनों कानों से बहरा था, प्रगति कि ममेरी बहन से शादी करने के लिए तैयार हो गया है। 

प्रगति के मामा मामी अपनी बेटी की शादी उस बहरे लड़के से करवाने के लिए इसलिए राजी हो गए थे, क्योंकि शादी से एक दिन पहले बेटी कि शादी टूटने के बाद बेटी के साथ शादी करने के लिए लड़का ढूंढना असंभव था और लड़के का पूरे गांव नहीं पूरे जिले में बहुत मान सम्मान था पूर्वजों की संपत्ति भी लड़के के पास बहुत थी और वह अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था 26 जनवरी पर बहादुर बच्चे का भारत के राष्ट्रपति से सम्मान भी ले चुका है और सबसे बड़ी बात अपने ताऊ के बेटे की दहेज की वजह से रिश्ता तोड़ने की बात सुनकर लड़की का घर परिवार लड़की को देखे बिना मोबाइल पर शादी तोड़ने का मैसेज पढ़कर तुरंत शादी करने के लिए तैयार हो गया है।

बारात आने के बाद आदित्य को दूल्हा बना देखकर प्रगति अपनी ममेरी बहन से कहती है "इस लड़के से तो मेरी रेल में मुलाकात हुई थी लेकिन यह दोनों कानों से बहरा है, मुझे नहीं पता चला था, क्या तेरा दूल्हा जन्म से दोनों कानों से नहीं सुनता है।" 

"नहीं पड़ोस कि मां बेटी को आग से जलने से बचाते हुए 12 वर्ष की आयु में इनके बहुत करीब रसोई गैस सिलेंडर फट गया था, इस घटना का इनके कानों पर बहुत बुरा असर पड़ा 
था, धीरे-धीरे इनको सुनाई देना बिल्कुल बंद हो गया था, इसी बहादुर के लिए इन्हें भारत के राष्ट्रपति से सम्मान मिला था।" ममेरी बहन बताती है 

प्रगति सोचती है मुझे नहीं पता था जिस लड़के को मैंने पहली मुलाकात में बदतमीज बेशर्म जलील समझा था, वह दुनिया के हजारों लाखों लोगों से बेहतर निकला।

अपनी ममेरी बहन के साथ आदित्य की शादी होने के बाद प्रगति आदित्य के कान के पास आकर सच्चे दिल से आदित्य से कहती है "सिर्फ मैं ही नहीं दुनिया की हर एक कुंवारी लड़की आपसे यह कहना चाहेगी काश तुम हमारे होते।"

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7 Comments

kashish

27-Feb-2024 02:27 PM

V nice

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Varsha_Upadhyay

26-Feb-2024 07:29 PM

Nice

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RISHITA

26-Feb-2024 04:20 PM

Awesome

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