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मिलकर आवाज़ उठाएँ

# प्रतियोगिता हेतु 

मिलकर आवाज़ उठाएँ

अब तो कुछ सोच जरा ये इंसान
देख तेरे परिवार की हालत क्या हो गई है
देख तेरे समाज की हालत क्या हो गई है
आज कितना बदल रहा है सबका सोच
भाई.भाई में बाप.बेटा में हो रही बटवारा रोकने
मिलकर आवाज़ उठाएँ ।
सुख दुःख का सम्मुचय है हमारा जीवन
परिस्तिथियां कभी अनुकूल कभी प्रतिकूल होंगी
दुनिया एक रंगमंच है सज्जनों
सबकों अपना अपना किरदार निभाना है
धैर्य धारण करना हम सब क्यों छोड़ रहें है
मिलकर आवाज़ उठाएँ ।
मृग तृष्णा के भ्रम में सज्जनों
शाश्वत सत्य को जानकर भी बन रहें है अनजान
नफ़रत को प्रेम से मोड़ना सीखों
प्रेम से परिवार को जोड़ना सीखों
ईश्वर की कृपा है कि हम इंसान है
मिलकर आवाज़ उठाएँ ।
मिलावट लालच भ्रष्टाचार छोड़कर
न्याय समानता विश्व बंधुत्व को बढ़ावा देना है
जिंदगी का दौर,जो गुजर जाता है
लौटकर फिर आने की परंपरा नही है
जीवन सबका खुशहाल बनाने के लिए
मिलकर आवाज़ उठाएँ ।

नूतन लाल साहू

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5 Comments

RISHITA

26-Feb-2024 04:49 PM

Awesome

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Mohammed urooj khan

26-Feb-2024 01:19 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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