लेखनी प्रतियोगिता -26-Feb-2024 माँ भी कभी बहू थी
शीर्षक = माँ भी कभी बहू थी
"पता नही कौन सी वो मनहूस घड़ी थी ज़ब मैं इसे अपने बेटे के लिए ब्याह कर लायी थी सोचा था मेरे साथ रहेगी एक से भले दो हो जायेंगे लेकिन इसे तो मेरे होने से ही नफ़रत है अब जा रही है मेरे बेटे को अपने साथ लेकर अलग घर में " अपने कमरे में घुसते हुए मरयम बेगम ने बुदबूदाते हुए कहा।
कमरे में उनके शौहर सलीम साहब जो की बेड पर लेटे हुए थे उन्हें इस तरह गुस्से में देख बोल पड़े
" क्या हुआ बेगम? क्यू इतना पारा चढ़ा हुआ है? "
" आप तो इस तरह पूछ रहे है जैसे इस घर में जो इतने दिनों से हो रहा है उसके बारे में जानते तक नही, जा रही है आपकी बहू बेगम ये घर छोड़ कर और हमारे बेटे को भी लेकर
वो तो बिलकुल ही उसके इश्क़ में पागल हो गया है पता नही कौन से तावीज़ गंडे घोल कर पिलाये है उसकी मेहरारू ने जो उसी की भाषा बोलता है। " मरयम बेगम ने कहा।
"हाँ तो जाने दीजिये उसकी मर्जी वो हमारे साथ नही रहना चाहती तो अब जबरदस्ती उसे इस घर में थोड़ी रख सकते है आखिर बहू किसकी है " सलीम साहब ने कहा अपनी बीवी की तरफ देख कर।
"क्या मतलब इस बात से कि बहू किसकी है और किस हक़ से उसे यहां से जाने दू और तो और अपने बेटे को और अपने पोते को भी वो होती कौन है हमें हमारे बेटे से अलग करने वाली इसलिए उसे थोड़ी ब्याह कर लाये थे कि वो हमारे बेटे को और उसकी औलाद को हमसे दूर कर दे, सोचा था इकलौता बेटा है धूमधाम से शादी करुँगी घर में बहू आएगी रौनक लगेगी लेकिन अब तो लग रहा है गलती ही करदी उसकी शादी करके, आपको क्या पता मेरे दिल के बारे में कलेजे का टुकड़ा तो मेरा जुदा हो रहा है,आप तो बाप हो आपको क्या एहसास औलाद से जुदा होने का " मरयम बेगम ने रोते हुए कहा।
" एक बात कहू बेगम, शायद आपको बुरा लगे " सलीम साहब ने कहा।
"हाँ, हाँ कहलो यही कहोगे न कि मैं ही बुरी हूँ मुझसे ही बहू को रखना नही आया, मैं ही बुरी सास हूँ जो वो मेरे साथ नही रहना चाहती क्या कुछ नही किया मैंने उसके लिए शुरू में तो उसे खाना बना कर भी खिलाया डिलीवरी के बाद भी मैंने उसका कितना ख्याल रखा लेकिन इन सब के बावज़ूद भी उसे अलग ही रहना है छीन लिया उसने मेरे बेटे को जरूर कोई काला जादू किया होगा वरना मेरे बेटा ऐसा तो नही था " मरयम बेगम ने कहा थोड़ा गुस्से से।
" क्या आपने भी मुझ पर कोई काला जादू किया था " सलीम साहब ने कहा
"क्या मतलब इस बात से? मैं आपको तावीज गंडे और काला जादू करने वाली लगती हूँ शादी के इतने सालो में बस इतना ही जाना है मुझे " मरयम बेगम ने कहा।
"कुछ जाना या नही जाना इन सालो में लेकिन एक बात बहुत अच्छे से जान गया हूँ आपके साथ रहकर वो ये है कि ज़ब आप बहू बन कर हमारे घर आयी थी तब आपकी सोच बिलकुल ऐसे ही थी जैसे आज हमारी बहू की है उसे भी आपकी ही तरह सब कुछ अलग ही चाहिए और मेरी ही तरह ज़ब हमारा बेटा भी अपने घर को बचाने के लिए अपनी बीवी की बात मान रहा है तो आपको लग रहा है कि उसने कोई जादू कर दिया है।
असल में उसने कोई जादू टोना नही किया है बल्कि अब आपकी सोच एक बहू की न रहकर एक माँ को सोच बन गयी है जो चाहती है कि उसका घर उसके बच्चे सब उसके साथ रहे जो कि कोई गलत भी नही है आखिर कार अनगिनत तकलीफे सहकर ही तो औलाद की परवरिश की जाती है जिस तरह आप एडजस्ट नही हो पायी थी मेरे परिवार के साथ शायद उसी तरह आपकी बहू भी नही हो पा रही हो आपके साथ अगर इसी तरह का विचार आज से कई साल पहले मन में लाया होता तो शायद आज बात कुछ और होती
ये दुनिया मकाफ़ात है यहां जैसा करोगे वैसा ही आपके साथ होगा कल आप बहू थी तो अलग सोच रखती थी और अब माँ बन कर अलग जिसे कल उसके भाई बहनों से अलग किया था अपना परिवार अपनी दुनिया अलग बसाने के लिए वैसा ही आपकी बहू भी चाहती है तो फिर इतना नाटक क्यू आदमी तो शादी के बाद दो हिस्सों में बट जाता है माँ बाप और घर वालो की सुने तो बीवी के लिए बुरा शौहर और अगर बीवी की सुने तो घर वालो के लिए बुरा इन्ही सबके बीच उसे अपना घर भी बचाना होता है इसलिए शायद वो कई बार बीवी की ही सुनना ज्यादा पसंद करता है और शायद इस समय हमारा बेटा भी वही कर रहा है उस पर कोई जादू या टोना नही किया है हमारी बहू ने
अब जैसा हो रहा है होने दो वो अलग घर में रहना चाहते है तो रहने दो क्या कर सकते है " सलीम साहब ने कहा।
मरयम बेगम खामोश सी हो गयी थी और अपने उन दिनों को याद करने लगी थी ज़ब वो अपनी बहू की जगह थी और किस तरह अपने शौहर से आये दिन अलग घर लेने के पीछे लड़ती रहती थी बस इस वजह से कि उन्हें ससुराल में उन्हें अपनी देवरानी और सास के साथ रहना अच्छा नही लगता था और फिर उन्होंने घर में कलेश करना शुरू कर दिया छोटी छोटी बातों को लेकर और ज़ब तक करती रही ज़ब सलीम साहब ने मजबूरन उन्हें अलग घर में रखने का फैसला नही कर लिए उन्हें भी अपना घर बचाना था एक बेटा था तलाक दे देते तो भी बुरे बनते सब यही कहते माँ बाप के चलते बीवी को तलाक दे दी अब बेचारी कहा बच्चे को लिए लिए जाएगी
बस इन्ही सब के चलते छोड़ आये थे वो अपने बाप का घर अपनी बीवी के कहने पर और अब वही सब उनकी बहू कर रही है तो उन्हें लग रहा है कि उसने कोई जादू कर दिया है बेटे पर ज़ब कि एक बार भी खुद नही सोचा कि मैं माँ से पहले बहू भी थी उसी जगह थी जहाँ आज उनकी बहू है वो चाहती तो थोड़ा बहुत एडजस्ट करके अपने सास ससुर के साथ ख़ुशी ख़ुशी रह सकती थी बच्चा भी दादा दादी के प्यार से मेहरूम न रहता पर अब पछताए क्या होता ज़ब चिड़िया चुग गयी खेत उस समय तो सब से अलग होने में मजा आ रहा था लेकिन अब माँ बन कर एहसास हो रहा है कि रिश्तों को माला में पिरोना कितना मुश्किल है और ज़ब एक मोती टूट कर बिखर जाता है तो पूरी माला ही बिखर जाती है।
समाप्त....
प्रतियोगिता हेतु...
हमारी कहानी से किसी को ठेस पहुंची हो तो हम माफ़ी चाहते है मजबूरी के चलते, या बहुत ज्यादा बड़ी फॅमिली या आपसी रंजिश के चलते अगर घरों को अलग कर लिया जाये तो इसमें कोई भी बुराई नही है लेकिन थोड़ी बहुत नोक झोक को अनदेखा कर देने में ही भलाई होती है परिवार सबसे बड़ी ताकत होती है परिवार से ही पहचान मिलती है, रिश्तों से ही हमारी पहचान होती है वरना अनाथ का कौन होता है नाम लेने वाला इसलिए ही तो उसे अनाथ कहा जाता है जिसका कोई नही
Gunjan Kamal
28-Feb-2024 12:48 PM
👏👌
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hema mohril
28-Feb-2024 10:18 AM
Awesome
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kashish
27-Feb-2024 04:58 PM
V nice
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