फर्ज
🌹जय मां शारदे 🌹
नमन
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शीर्षक-फर्ज
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उजालों की चाहत रखने वालों,
कभी तो जला लो एक दीप अपना l
अधिकारों की मांग करने वालों
कभी तो निभा लो एक फर्ज अपना ll
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जानते नहीं क्या कर्म करना ,
जानते नहीं क्या धर्म अपना l
क्यों किया करते निरर्थक बात तुम
जानते नहीं क्या मर्म अपना ll
थोथे गाल बजाने वालों ,
कभी तो बता दो एक मर्ज अपना l
अधिकारों की मांग करने वालों,
कभी तो निभा लो एक फर्ज अपना ll
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बस चलता तो कर लेते तुम,
सूरज को भी कैद गगन में
शुल्क बिना रोशन ना करते
आभा भरते न उपवन में
खुदगर्जी दिखलाने वालों,
कभी तो दिखा दो फिर *खर्ज अपना l
अधिकारों की मांग करने वालों
कभी तो निभा लो एक फर्ज अपना ll
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क्या मिल गया अमरत्व तुमको ,
क्या मिल गया ज्ञानत्व तुमको l
दंभ में दिखते हो सराबोर तुम ,
क्या मिल गया पूर्णत्व तुमको l
खून चूस कर पीने वालों ,l
कभी तो स्वीकार लो यह वर्ज अपना ll
अधिकारों की मांग करने वालों
कभी तो निभा लो एक फर्ज अपना ll
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करते हो दुष्कर्म रोज तुम ,
भ्रष्ट आचरण के तुम आदी ,
खून सने हाथों को धोकर
फिर करते तुम चौड़ी छाती
शर्म बेचकर जीने वालों ,
कभी तो अदा कर दो कर्ज अपना l
अधिकारों की मांग करने वालों ,
कभी तो निभा लो एक फर्ज अपना ll
*खर्ज- व्यय
विनीता गुप्ता छतरपुर मध्य प्रदेश स्वरचित मौलिक
आज की प्रतियोगिता हेतु विषय स्वैच्छिक दिनांक 29 फरवरी 2024
hema mohril
03-Mar-2024 11:16 AM
V nice
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Varsha_Upadhyay
02-Mar-2024 08:23 PM
Nice
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Mohammed urooj khan
02-Mar-2024 11:41 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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