Sandeep Sharma

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लेखनी कहानी -01-Mar-2024

वक्त मांगता ,वक्त रहा, और उसे वक्त मिला ही नही।।

तमाम परेशानियाँ थी सबब, पर दखल मिला ही नही।।

वो जो वक्त के बाजीगर थे, बैठे वो भी हारकर, वक्त खुद मिसाल था, वक्त के हिजाब पर।।

वक्त की शय को, मात केवल वक्त ने दी, तस्वीर जो थी,खूबसूरत, वक्त ने बदरंग कर वह दी।।

वक्त को सलाम है, आज तेरा कल किसी और का, कौन जाने किसको खबर, यह रहा न किसी के दौर सा।। =/= संदीप शर्मा।।

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

02-Mar-2024 07:09 PM

Nice

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Mohammed urooj khan

02-Mar-2024 11:53 AM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Gunjan Kamal

01-Mar-2024 11:18 PM

👌🏻👏👌

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