ममता ✍️👁❤❤
कविता शीर्षक , ममता
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आशाओं के थाल सजाकर , इक टक राह निहारे l आने वाला होगा बेटा, ममता....... बाँह पसारे ll
कितने माह बीतने पर देखूँगी आज लाडले को,
गले लगा जी भर चूमूंगी ,आज लाडले को l
बहुत देर जब हो गई तब, शंकाओं ने घेर लिया,
आया लाल न मेरा अब तक, मन ने धीरज तोड़ दिया l
लगी मनाने इष्ट देव सब,और चढ़ावा बोल दिया ll
बैठ गई मंदिर के आगे, प्रभु के चरण सहारेl
आने वाला होगा बेटा, ममता बाँह पसारे ll
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प्रतिपल प्रतिक्षण राह देखती, कितने सपन संजोती
किसे पता था उन नयनो की बुझ गई अब वो ज्योती
उमड़ पडी जब भीड़ अचानक, फट गई माँ की छाती
दौड़ पडी उस ओर सड़क पर, आवाजें थीं आतीं
पूछ रही थी एक एक से, मेरा लाल कहाँ है
थाल सजाये पूछ रही थी अक्षत गुलाल कहाँ हैं
करुणा भरे सजल नयनों में, पीर न गई सम्भारेl
आने वाला होगा बेटा ,ममता बाँह पसारे ll
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पत्थर रखकर दिल पर उसने चाहा हाल जानना
हुई अचानक दुर्घटना में , मुश्किल था ढूँढ़ पाना
कुचल चुके शव इतने कि मुश्किल था पहचानन टूट रहीं थीं साँस सामने बेबस था उनको थामना
माँ तेरे बेटे जैसे कितनों के लाल वहीं पर सो गये हैं
उजड़ गये सिंदूर माँग के कितनों के अपने खो गये हैं
एक छोटी सी लापरवाही ने कितनों के घर निगले हैं
सफर सुहाने लेकर निकले, आज रेत से फ़िसले हैं
आने की थी आस लगाये, गुमसुम गगन निहारे
आने वाला होगा बेटा, ममता ......बाँह......पसारे ll
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विनीता गुप्ता स्वरचित ,मौलिक
Varsha_Upadhyay
02-Mar-2024 07:05 PM
Nice
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Mohammed urooj khan
02-Mar-2024 12:03 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
02-Mar-2024 07:32 AM
सुन्दर सृजन
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