Tabassum

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अजब प्रेम की गजब कहानी


अजब प्रेम की गजब कहानी

              सुमित एक मध्यमवर्गीय परिवार का बड़ा ही होनहार लड़का था।उसके गाँव में कॉलेज नहीं था इसलिए हाई स्कूल के बाद वह पढ़ने के लिए शहर आ गया था।वह जिस मकान में रह रहा था ,वह मकान उसके किसी दूर के रिश्तेदार का था जिसका किराए भी उसे नहीं देना होता था।मकान में बस केवल एक ही कमरा था इसलिए उस मकान में सुमित के अलावे और कोई भी नहीं रहता था।

               सुमित जहां रह रहा था उसके आस-पास सभी घर गरीब लोगों के थे।चूंकि वह उस घर में अकेला रहता था इसलिए खाना-बनाने व कपड़े धोने से लेकर घर की साफ़-सफाई करने तक सारे काम उसे खुद ही करने होते थे।

             कुछ दिन बाद एक गरीब लड़की अपने छोटे भाई के साथ सुमित के घर पर आयी।आते ही उसने पूछा -" तुम मेरे भाई को ट्यूशन पढ़ा सकते हो क्या?"

सुमित ने कुछ देर सोचा फिर बोला "नहीं"।

 "क्यूँ?

 "मैं यहां पढ़ने आया हूं।मेरे पास टाइम नहीं है।मेरी पढ़ाई डिस्टर्ब होगी।"

लड़की को शायद पता था कि सुमित खुद से खाना बनाता है इसलिए उसने समय की समस्या का समाधान सुझाते हुए कहा , "अपने भाई को पढ़ाने के बदले मैं तुम्हारा खाना बना दिया करूंगी।इससे तुम्हारे पास जो समय बचेगा उसमें तुम पढ़ा दिया करना।"

सुमित ने कोई जवाब नहीं दिया तो वह और लालच देते हुए बोली - "मैं तुम्हारे बर्तन भी साफ़ कर दिया करूंगी।"

अब सुमित को भी लालच आ ही गया।उसने कहा-"अगर कपड़े भी धो दोगी तो पढ़ा दूँगा।"

                   वह मान गयी।इस तरह उसका रोज घर में आना-जाना होने लगा।वह लड़की काम करती रहती और सुमित उसके भाई को पढ़ा रहा होता।सुमित की उस लड़की से ज्यादा बातें नहीं होती थी।उसका भाई 8 वीं कक्षा में था।पढ़ने में खूब होशियार था।इस कारण उसे पढ़ाने में सुमित को ज्यादा माथा-पच्ची नहीं करनी पड़ती थी।कभी-कभी वह लड़की सुमित के घर की सफाई भी कर दिया करती थी।वह हर काम इतने मनोयोग से करती ,जैसे वह उसका अपना ही घर हो।

            दिन गुजरने लगे।एक रोज शाम को वह सुमित के यहां आयी तो उसके हाथ में एक बड़ी सी कुल्फी थी।उसने सुमित को जब कुल्फी दी तो उसने पूछ लिया-" कहाँ से लायी हो\\'?

उसने कहा "घर से।आज बरसात हो गयी तो कुल्फियां नहीं बिकी।"इतना कह कर वह थोड़ा उदास हो गयी।

" मग़र तुम्हारे पापा तो समोसे-कचोरी का ठेला लगाते हैं न?"

"हां,सर्दियों में समोसे-कचोरी और गर्मियों में कुल्फी।आज बारिश हो गयी तो कुल्फी नहीं बिकी।"

 " हां ठण्ड के कारण लोग कुल्फी नहीं खाते।"

               सुमित ने आज उसे पहली बार थोड़े गौर से देखा था।गम्भीर मुद्रा में वह उसे अपनी उम्र से थोड़ी बड़ी लगी,शायद परिस्थितियों ने उसे समय से थोड़ा पहले ही बड़ी कर दिया था।वह समझदार भी थी और मासूम भी।धीरे-धीरे वक़्त गुजरने लगा।अब तो कभी-कभार सुमित उसके घर भी जाने लगा।विशेषतौर पर किसी त्यौहार या उत्सव पर।कई बार उस लड़की से सुमित की नजरें मिलती तो फिर मिली ही रह जाती।सुमित कुछ समझ नहीं पाता कि आखिर ऐसा क्यूँ हो रहा है?

              समय इसी तरह बीतता चला गया।इस बीच सुमित ने कुछ बातें उस लड़की के बारे में भी जान ली कि वो ; बूंदी बाँधने का काम करती है।बूंदी मतलब किसी ओढ़नी या चुनरी पर धागे से गोल-गोल बिंदु बनाना।बिंदु बनाने के बाद चुनरी की रंगाई करने पर डिजाइन तैयार हो जाती है।

               सुमित ने बूंदी बाँधने का काम करते उसे बहुत बार देखा था।एक दिन उसने उससे पूछ लिया-" ये काम तुम क्यूँ करती हो?"

"इसके पैसे मिलते हैं।"

"क्या करोगी पैसों का?"

"इकठ्ठे करती हूँ।"

"कितने हो गए?"

"यही कोई छः-सात हजार।"

"मुझे हजार रुपये उधार चाहिए।जल्दी ही लौटा दूंगा।"सुमित ने उसे आजमाना चाहा।

"किस लिए चाहिए?"

"कारण पूछोगी तो रहने दो।" सुमित ने थोड़ी मायूसी के साथ कहा।

"अरे मैंने तो ऐसे ही पूछ लिया।तू माँगे तो सारे दे दूँ।"उसकी यह आवाज़ सुमित को आज बिलकुल अलग सी ही जान पड़ी मग़र सुमित उस वक़्त कुछ भी समझ नहीं पाया।उसे पैसे मिल रहे थे,वह उन्हीं में खोकर रह गया।

          दरअसल सुमित ने एक दोस्त से कुछ दिन पहले कुछ पैसे उधार लिए थे।वह दो -तीन बार तगादा कर चुका था।अब वह उसके पैसे आज ही लौटा देगा।उसी को देने के लिए ही उसने लड़की से हजार रूपये उधार मॉंगे थे।

         एक रोज सुमित को अपनी जेब में गुलाब की टूटी पंखुड़ियाँ मिलीं मगर उस समय वह यह सोच कर रह गया कि कॉलेज के किसी दोस्त ने चुपके से डाल दी होगी।उस समय उसे प्यार-वार की इतनी समझ तो थी नहीं जो वह कुछ समझ पाता।

          एक दिन सुमित के कॉलेज की एक लड़की दोस्त कुछ नोट्स लेने के लिए सुमित के पास आयी थी।उस समय वह लड़की सुमित के घर के बाहर ही खड़ी थी श।उस लड़की को देखकर वह बाहर से ही तुरंत वापस घर चली गयी थी और फ़िर दूसरे दिन दो पहर में ही आ धमकी थी।आते ही उसने कहा-" मैं कल से तुम्हारा कोई काम नहीं करूंगी।"

"क्यूँ?

        काफी देर तक तो उसने जवाब नहीं दिया फिर न जाने क्या सोचकर धोने के लिए उसके बिखरे कपड़े समेटने लगी।

 "कहीं जा रही हो क्या?"

"नहीं।बस तुम्हारा काम नहीं करूंगी और तुम कल से मेरे भाई को भी मत पढ़ाना।"

 " अरे,तुम्हारे हजार रूपये कल दे दूंगा।कल घर से पैसे आ रहे हैं।"उसने सोचा कि शायद पैसे के लिए ही वह ऐसा कर रही है इस कारण उसने उसे पक्का आश्वासन दे दिया।

"पैसे नहीं चाहिए मुझे।"

 "तो फिर ?" सुमित ने अपनी आँखे उसके चेहरे पर टिका रखी थी।जब उसने एक बार फिर सुमित से नजरें मिलायीं तो सुमित को लगा कि उसकी आंखों में हजारों प्रश्न हैं मगर वे सभी उसकी समझ से बाहर के थे।

        लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया और उसके कपड़े लेकर चली गयी।वह अपने घर से ही उसे घोकर लाया करती थी।दूसरे दिन वह न तो खुद उसके यहां आयी और न उसका भाई ही वहां पढ़ने आया।

             सुमित ने जैसे-तैसे खाना बनाया और खाकर कॉलेज चला गया पर कालेज में मन नहीं लगा।वह समझ नहीं पा रहा था कि जब पैसे वाली बात नहीं है तो फिर यह लड़की ऐसे वर्ताव क्यों कर रही है?उसने बहुत सोचा ,बहुत दिमाग लगाया पर कुछ भी समझ नहीं पाया अत: दोपहर को वह जैसे ही कालेज से वापस आया तो वह सीधा उसके घर चला गया।वह जानना चाहता था कि आखिर क्या कारण है कि लड़की उसके काम क्यों नहीं करना चाहती जबकि अपनी ओर से उसने कभी भी उसके साथ किसी तरह का दुर्व्यवहार नहीं किया था।घर में अकेली लड़की को देख उसका फायदा उठाना तो दूर ,वह पढ़ने-पढ़ाने में इतना मशगूल रहता था कि उसने पहली बार उस लड़की को ठीक से देखा भी तो उस दिन ,जिस दिन वह कुल्फी लेकर उसके घर आयी थी। 

            सुमित जब उसके घर पहुंचा तो उसे पता चला कि वह लड़की बीमार है।वह एक छप्पर में चारपाई पर अकेली लेटी थी।घर में उसकी मम्मी थी जो काम में लगी थी।सुमित जब उसके पास पहुंचा तो उसने करवट लेकर अपना मुँह फेर लिया।

सुमित ने पूछा-" दवाई ली क्या?"

"नहीं।" उसने बिना सुमित की तरफ देखे एक छोटा सा जवाब दिया।

 "क्यों नहीं ली?

"मेरी मर्ज़ी।तुझे इससे क्या?

"ठीक है पर मुझसे नाराज़ क्यूँ हो ,ये तो बता दो।मेरी गलती क्या है?मैंने तो कभी तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं किया!"

"तुम सब समझते हो।"उसने बिना उसकी तरफ देखे जवाब दिया।

"मुझे कुछ नहीं पता।तुम्हारी कसम।सुबह से परेशान हूँ।प्लीज बता दो।" न जाने किस अधिकार से सुमित ने उस लड़की की कसम भी खा ली।

" नहीं बताउंगी।जाओ यहाँ से।" इस बार आवाज़ रोने की थी।

            सुमित को जरा घबराहट सी हुई।आज से पहले उसने कभी किसी लड़की को छुआ तक नहीं था इसलिए उसे उसको छूकर देखने की हिम्मत तो नहीं हो रही थी पर पता नहीं क्यों, आखिर डरते-डरते उसने लड़की के हाथ को जब छूकर देखा तो वह उछल कर रह गया।लड़की का हाथ बहुत ही अधिक गर्म था।

            सुमित ने उसकी मम्मी को पास बुलाकर उसकी बुखार के बारे में उसे बताया।फिर वे दोनों उसे हॉस्पिटल ले गए।डॉक्टर ने कुछ दवाएं दी और उसे एडमिट कर लिया।कुछ जाँच वगैरह होनी थी क्यूंकि शहर में एक दो डेंगू के मामले आ चुके थे।

               सुमित को अब उस लड़की को लेकर कुछ चिंता सी होने लगी थी।उसकी माँ उसके पापा को बुलाने घर चली गयी तो सुमित उसके पास अकेला रह गया था।

          बुखार जरा कम हो गया था।वह लड़की गुमसुम सी लेटी थी।वह दीवार को एकटक घूर रही थी!! सुमित ने उसके चेहरे को सहलाया तो लड़की की आँखों में आँसू आ गए।उसे रोते देख सुमित की आंखें भी भींग गयीं।सुमित ने भरे गले से पूछा- "बताओगी नहीं?"

लड़की ने आँखों में आँसू लिए मुस्कुराकर कहा-" अब बताने की जरूरत नहीं है।मुझे पता चल गया है कि तुझे मेरी परवाह है।है ना?"

सुमित के होठों से अपने आप ही एक अल्फ़ाज़ निकला -" बहुत।"

"बस! अब मैं यदि मर भी जाऊँ तो मुझे तुझसे कोई गिला-शिकवा नहीं रहेगी।"उसने सुमित की हाथ को कस कर दबाते हुए कहा।उसके इस वाक्य का कोई भी जवाब सुमित की लबों से तो नहीं निकला मग़र उसकी आँखें शायद उस लड़की के जवाब को संभाल न सकीं और बेचारी बरस पड़ीं।

             वह लड़की उठ कर बैठ गयी और उससे बोली - "रोता क्यूँ है पागल?मैंने जिस दिन पहली बार तेरे लिए रोटी बनायी थी उसी दिन से मैं तुझे चाहने लगी हूँ पर एक तू था ऐसा पागल कि मेरे प्यार को समझने में इतना वक़्त ले गया।"फिर उसने अपने साथ उसके आँसू भी पोंछे।
  
           थोड़ी देर बाद उसके घर वाले आ गए।रात हो गयी थी।उसकी हालत में कोई खास सुधार नहीं हुआ।देर रात तक उसकी बीमारी की रिपोर्ट आ गयी।बताया गया कि उसे डेंगू है।यह जान कर सुमित का सीना किसी अज्ञात भय से जोरों से धड़कने लगा।
     
          लड़की को खून की कमी हो गयी थी ।यह महज एक संयोग था या कुछ और ,पता नहीं ,सुमित का खून लड़की के खून से मैच कर गया।सुमित ने जब उसे दो बोतल खून दिया तो उसके दिल को जरा सा सुकून मिला।

             उस रात वह बिलकुल अचेत सी रही।बार-बार अचेत अवस्था में वह उल्टियाँ कर देती थी।सुमित उस रात एक मिनिट भी सो नहीं पाया।

           डॉक्टरों ने दूसरे दिन बताया कि रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम हो रही है।उसे और खून देना होगा।डेंगू का वायरस खून का थक्का बनाने वाली प्लेटलेट्स पर हमला करता हैं।अगर प्लेटलेट्स खत्म हो जाते हैं तो पूरे शरीर के अंदरूनी अंगों से ख़ून का रिसाव शुरू हो जाता है और फिर बचने का कोई चांस नहीं रह जाता।

           लड़की क स्थिति जान सुमित ने अपना खून और देने का आग्रह किया मग़र उसने रात को खून दिया था इस कारण डॉक्टर ने उसका खून लेने से साफ मना कर दिया ।अब सुमित ने अपने कॉलेज के दो-चार दोस्तों को वहां बुलाया।सुमित था ही इतना लोकप्रिय की दो-चार कौन कहे, दस दोस्त एक साथ आ गए।सभी ने खून दिया और उसे हिम्मत भी बंधायी।पैसों की भी जरूरत पड़ने पर उसे देने का आश्वासन दिया और वहां से चले गए।उस वक्त उसे भी पता चला कि जिंदगी में दोस्त होना भी कितना जरूरी है। 

          अभी सुमित के पास पैसों की भी कमी नहीं थी क्योंकि घर से आ गए थे।दूसरे दिन की रात वह कुछ ठीक सी दिखी।बातें भी करने लगी।रात को सब सोए थे।सुमित उसके पास बैठा हुआ जाग रहा था।उसने सुमित से कहा- " पागल बीमार मैं हूँ ,तू नहीं।फिर तुमने अपनी ऐसी हालत क्यों बना ली है?"

" तू ठीक हो जा।मैं तो नहाते ही ठीक हो जाऊंगा।"

लड़की ने उदास होकर पूछा -" एक बात बता?"

"क्या?"

"मैंने एक दिन तुम्हारी जेब में गुलाब डाला था ,तुझे मिला था क्या ?

"सिर्फ पंखुड़ियाँ मिली थी।"

 "हाँ" पर तुम कुछ समझे थे या नहीं?"

"नहीं।"

"क्यूँ?"

"सोचा था कॉलेज के किसी दोस्त का मज़ाक है।"

"और वो रोटियाँ?"

"कौन सी?"

"दिल के आकार वाली।"

"अब समझ में आ रहा है।"सुमित थोड़ा झेंप गया‌।लड़की ने उसके कंधों को हल्का धक्का दिया और बोली "बुद्दू हो क्या"

"हाँ" ,पढ़ाई-लिखाई को छोड़ अभी तक कभी कुछ सूझा ही नहीं।आखिर अपने घर का इकलौता चिराग हूं।मुझे अपने घर के लिए बहुत कुछ करना है।सुमित ने जरा गंभीर होकर बड़े ही भोलेपन से जवाब दिया।

         सुमित के भोलेपन को देख लड़की हँसने लगी।बीमार होने के बावजूद काफी देर तक हॅंसती रही एक निश्छल सी मासूम हंसी।फिर उसने पूछ लिया - "कल सोए थे क्या?"

"नहीं।"

"अब सो जाओ।मैं ठीक हूँ मुझे कुछ नहीं होगा।"

             सुमित को सचमुच में नींद आ रही थीं पर वह सो नहीं पाया।वह लड़की सो गयी पर घंटे भर बाद ही वापस जग गयी।सुमित बैठा-बैठा ऊंघ रहा था।उसने उसे टोका - "सुनो।"

"हाँ।" सुमित नींद में ही बोला।

"ये बताओ कि ये बीमारी छूने से किसी को लग सकती है क्या?"

"नहीं, सिर्फ एडीज मच्छर के काटने से ही लगती है।"

"इधर आओ।"

सुमित उसके करीब चला गया।"एक बार गले लग जाओ।अगर कहीं मर गयी तो फिर मेरी ये आरज़ू कहीं बाकी न रह जाए।"

"ऐसा ना कहो प्लीज।" सुमित बस इतना ही कह पाया।

                   इसके बाद वह लड़की बीमार होने के बावजूद सुमित से काफी देर तक लिपटी रही और फिर सो गयी।उसे ढंग से लिटाकर सुमित भी वहीं पास में ही एक खाली बेड पर सो गया।

        वह सुबह बड़ी ही मनहूस थी।सुमित तो उठ गया पर वह नहीं उठी।सदा के लिए सो गयी।सुमित ने उसे जगाने की बहुत कोशिश की थी पर उसने आँखे नहीं खोली।खोलती भी तो कैसे?वह इस संसार को ,सुमित को छोड़कर इस दुनिया से जा चुकी थी।सुमित को रोता बिलखता छोड़कर।

इतनी लंबी कह

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