GUDDU MUNERI

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जादुई कंचे

  गुड्डू : द सुपर हीरो की कहानी 

[ जादूई कंचे ] 

पार्ट (16)


Recap..........


 इधर गुड्डू अपनी सुपर टीम साथ छत पर पतंग उड़ा रहा था  दूसरे घरों में भी कुछ बच्चे अपनी अपनी छत से पतंग उड़ा रहे थे । मिठ्ठू उस लाल वाली पतंग को काटने की बोल रहा था ,  पिंटू अलग अपनी पतंग उड़ा रहा था , इसी छत पर गुड़िया और निशा भी अपनी पतंग उड़ाने की कोशिश कर रही थी । 

हुकाला और उसकी टीम गुड्डू के घर के बाहर दांए बांए छुप गए और गुड्डू को पतंग उड़ाता देख उसका इंतजार करने लगे कि कभी तो बाहर आएगा । ..............


अब आगे.............✍️


शाम का समय था पतंगे आसमान में उड़ रही थी अब सूरज भी ढलने वाला था और देखते ही देखते पतंग उड़ाना कम हो गया और रात भी हो चली । गुड्डू और उसकी सुपर टीम पतंग और चरखरियां लेकर छत से वापस घर में चले आए और फिर  बिस्तर पर लेटने की तैयारी कि गुड्डू ने अलबेला और पिंटू का बिस्तर अपने यहां कर लिया था और वह दोनो यही सोने जा रहे थे , मिठ्ठू खुद जाकर अपने पिंजरे में बैठ गया , निशा और गुड़िया एक दूसरे रूम में चले गए और अपने अपने बिस्तर पर सोने के लिए लेट गए ।

बाहर हुकाला और जादूगर कंकाल नजर रखे हुए थे लेकिन कोई बाहर नही आया । 

     झिमकु और झेला अपनी अपनी पोजीशन में बैठे हुए थे

तब हुकाला ने खिड़की से झांक कर देखा तो सब सो चुके थे 

और फिर हुकाला ने जादूगर कंकाल को इशारा करके बताया कि जाओ अंदर कुछ करो ।

    जादूगर कंकाल फिर से कंकाल बनकर अंदर खिड़की से आसानी से घुस गया और फिर उसने सबसे पहले अलबेला का इल्म जादूई कंचा निकाल लिया और फिर पिंटू का ताकती जादूई कंचा निकाल लिया और खिड़की से जादूगर कंकाल ने दोनो जादूई कंचो को हुकाला को दे दिए और जैसे ही जादूगर कंकाल खिड़की से बाहर को जाने  के लिए खिड़की के दरवाजों से हाथ लगाया तो वह फिसल गया ।  गुड्डू को खिड़की के हिलने की आवाज सुनाई सी आई तो। जाग उठा और देखा कि एक भूत जैसा कंकाल खिड़की पर है जादूगर कंकाल ने गुड्डू को उठते देख वह खिड़की से बाहर कूद कर गया । थोड़ा डर तो गुड्डू को लगा था लेकिन जब तक वह उस खिड़की के पास जाकर देखता तब तक तो जादूगर कंकाल और हुकाला अपने चेलो के साथ फरार हो गए ।

     जब गुड्डू को रात में खिड़की के बाहर कोई दिखाई नही  दिया तो वह वापस आकर लेट कर दोबारा सो गया । 

   सुबह हुई सभी अपने अपने रूम से बाहर नाश्ते की टेबल पर आ रहे थे मिठ्ठू अपने पिंजरे से सभी के नाम पुकार रहा था पहले गुड्डू बाहर आया तो मिठ्ठू - गुड्डू गुड्डू ,

कहने लगा उसके बाद गुड़िया आई तो  गुड़िया गुड़िया कहने लगा उसके बाद आए पिंटू और अलबेला, घड़ी में आठ बज चुके थे । गुड्डू और गुड़िया ने जब अलबेला और पिंटू को देखा था दोनो वही पहले जैसे रूप में दिखाई दे रहे थे ।

गुड्डू ने जब इसके बारे में पिंटू और अलबेला से पूछा तो वह कोई जवाब न दे पाए और फिर इसके बारे में गुड्डू ने सोचकर रात वाली घटना के बारे में बताया कि रात को मैंने एक भूत देखा था जो एक मानव शरीर का कंकाल था इससे पहले में कुछ समझ पाता वह कमरे की खिड़की से बाहर होकर गायब हो गया । शायद यह उसी ने किया हो या फिर मोनू के दादा जी की रूह ने किया हो लेकिन वह मुझे अकेला इस रफ्तार जादूई कंचे के साथ नही छोड़ते कुछ तो बात है और आज मेरी शर्त का आखिरी दिन सातवां दिन है हमे जादूई कंचे मोनू के दादा जी की रूह को वापस भी करने थे । 

    गुड्डू ने अपना एक जादूई कंचा निकालकर आंखों से लगाया और रख लिए कुछ ही सेकंड में दादा जी की रूह आ सामने पहुंची । 

दादा जी ने गुड्डू से पूछा बेटे सब ठीक तो है बताओ मैं तुम्हारे किस काम आ सकता हूं गुड्डू ने बताया कि आज सातवां दिन है और अपने दोनो जादूई कंचे दिखाकर कहा कि ये लो हमे इनकी जरूरत नही पड़ी अब आप इन्हे ले जा सकते है 

दादा जी ने चुप चाप वह जादूई कंचे हाथ में लिए और फिर अलबेला और पिंटू की ओर देखा ।

बेटे अब आप भी अपने जादूई कंचे दे सकते हो या आप रखना चाहते है, मैं आपकी बहादुरी से वाकिफ हूं ।

अलबेला ने तुरंत कहा - लेकिन वह जादूई कंचे तो हमारे पास नही है वह तो आपने ही कल रात को हमसे ले लिए होंगे जब हम रात को सो रहे थे और जब सुबह उठकर देखा तो हमारे जादूई कंचे हमारे पास नही थे । 

और यह काम तो आप ही कर सकते है क्या आपने वह कंचे नही लिए , तो फिर किसने लिए ? 

दादा जी ने कहा - नही मेरे पास नही है, तुम पूरी बात बताओ

गुड्डू ने हां करते हुए दादा जी को रात की पूरी घटना के बारे में बताया किस तरह एक कंकाल उसके रूम की खिड़की से निकल कर गायब हो गया । 

दादा जी सब समझ गए बेटे गुड्डू ये लो अब तुम्हे अपनी बहादुरी से इन तीनों कंचे की मदद से वो दोनो कंचे वापस लाने है तभी मैं इन्हें सुरक्षित जगह पहुंचा पाऊंगा ।

और यह तभी संभव है जब तक वह जादूगर कंकाल नही मर जाता । 

गुड्डू ने उस जादूगर कंकाल के बारे में पूछा यह कौन है 

दादा जी ने बताया कि वह मेरे वक्त का एक जादूगर ढोंगी है और  सोने चांदी जैसे आभूषण का लालची बदमाश है ।

जो किसी के भी साथ धोखा कर सकता है बड़ा जालिम है वो जब तक मैं था तब तक हमारे इस नगर में किसी को बुरी नजर नही लगी लेकिन जैसे ही यह जादूगर कंकाल आया इसने गुंडागर्दी, लालची, चोर जैसे धोखे बाज गिरोह पैदा कर दिए और इस वक्त अब वह हुकाला के साथ मिलकर हमारे इस प्यारे से नगर पर राज करना चाहता है ध्यान देने की बात यह है गुड्डू वह तुमसे यह तीनो जादूई कंचे हासिल करना चाहता है तुम सावधान रहना मैं जानता हूं तुम बहादुर हो तुम उस जादूगर कंकाल से निपट लोगे । 

ये वही जादूगर कंकाल है जिसे बेटे तुमने अपने रूम की खिड़की से बाहर जाते देखा था । जो सिर्फ कंकाल का रूप धारण कर लोगों को डराकर लूट, डकैती और चोरियो को अंजाम देता था । 

ठीक है दादा जी मैं उस जादूगर कंकाल और हुकाला को ऐसी मौत दूंगा दोबारा हमारे नगर में डकैती डालने के लिए जिंदा ही नही होंगे । 

" बेटे उन दोनो से सावधान रहना " दादा जी ने कहा । 

मैं चलता हूं अपना ध्यान रखना । 

और दादा जी की रूह अदृश्य (गायब हो गई ) 

गुड्डू ने वह तीनो जादूई कंचे वापस अपनी कमर में लगी शीशी में रख लिए । 

चलो सुपर टीम देखते है ये जादूगर कंकाल है कौन ? गुड्डू ने कहा । 

गुड्डू के पास अब केवल तीन ही जादूई कंचे बचे थे 

एक रफ्तार जादूई कंचा 

दूसरा पर्दा जादूई कंचा 

तीसरा तब्दीली जादूई कंचा 

इन्ही तीनो कंचो के बलबूते पर वह जादूगर कंकाल और हुकाला को हराने के लिए निकल पड़ा ।

   कुछ दूरी पर गली से गुजरते हुए रास्ते में निशा भी मिल गई और वह भी गुड्डू की सुपर टीम के साथ चल दी पीछे मिठ्ठू उड़ता हुआ चले जा रहा था । 

अभी तक रास्ते में कुछ अलग नही दिखाई दे रहा था कल की तरह सब अपने अपने कामों में व्यस्त नजर आ रहे थे 

     लेकिन जब कुछ दोपहर हो चली तो गुड्डू की सुपर टीम 

सामने से चली आ रही भीड़ को देख कर दंग रह गए वह चिल्ला रहे थे भूत भूत भूत 

कभी किसी घर से तो कभी किसी  घर से महिला या आदमी जो बाहर निकलता बस यही चिल्लाता भूत....भूत......भागो..... भागो......भूत 

गुड्डू और उसकी टीम ने डरकर जाते हुए एक आदमी को रोककर पूछ लिया क्या हुआ उसने बताया कि वहां उधर एक सेठ के घर में भूत है भागो कहकर वह भी भाग गया ।

गुड्डू की सुपर टीम सतर्क होकर आगे बढ़ रही थी ।

जिस तरफ से लोग डरकर भागते हुए आ रहे। थे और सामने ही एक आलीशान सेठ का घर बना हुआ था जिसमे से भूत की  डरावनी आवाज आ रही थी । 

  गुड़िया और निशा को कुछ देर बाहर ही रुकने के लिए बोल कर गुड्डू , पिंटू  , अलबेला और मिठ्ठू सेठ के घर के अंदर चल दिए जहां से भूत की डराने की आवाज आ रहीं थी ।

चलते चलते एक दूसरे कमरे में होते हुए गुड्डू और बाकी साथी जब उस जगह पहुंचे तो देखकर दंग रह गए ।

जहां पर जादूगर कंकाल एक मानव कंकाल के रूप में डरावनी आवाज निकाल रहा था और साथ में हुकाला भी था जिसके दो चेले झिमकू और झेला भी थे जो वहां सेठ की तिजोरियों से दौलत समेटकर एक बड़े से बैग में भर रहे थे 

कुछ जेवरात भी थे जो सोने के थे उन्हें देखकर तो जादूगर कंकाल बहुत खुश हो रहा था । 

सभी जल्दी जल्दी सेठ की रखी तीनो तिजोरियों में भरा पैसा,  सामान, सोना चांदी सब लूट रहे थे । 

लेकिन इतने बड़े घर मैने अलावा कोई दिखाई नही दिया यहां तक कि सेठ न सेठानी न कोई नौकर न कोई बच्चा । सब को हुकाला और जादूगर कंकाल ने एक दूसरे कमरे में सभी के मुंह पर पट्टी बांधकर बंद कर दिया था । जिससे कोई हलचल भी न हो ।

अब गुड्डू को कुछ तो बहादुरी दिखानी थी और अपने इस बहादुरी से हुकाला से वो दो जादूई कंचे भी हासिल करने थे 

गुड्डू ने तुरंत अंदर जाकर हुकाला और जादूगर कंकाल के सामने खड़ा हो गया । 

जादूगर कंकाल ने देखते ही बोला - तू कौन है ,भाग जाओ नही तो तुझे खा जाऊंगा हा हा हा हा हा 

हुकाला ने गुड्डू को देखा तो हुकाला जादूगर कंकाल की तरफ देखकर बोला - ये वही है गुड्डू जिसके पास वो जादूई कंचे है हमे वो सारे जादूई कंचे चाहिए । 

    हुकाला ने दोनो चेलों को इशारा किया तब झिमकू और झेला नोटो की गड्डियां बैग में रखकर गुड्डू को पकड़ने के लिए आगे बड़े लेकिन बीच में पिंटू आकर संभाल लिया । 

दो लातो में दोनो को दूसरी और धकेल दिया ।

इधर जादूगर कंकाल अपने असली रूप में आ गया और 

गुड्डू को पकड़कर बांधने की कशिश करने लगा गुड्डू ने उसके बाल नोचकर मुंह पर दो घूंसे दिए और पीछे मुह के बल जा गिरा तभी हुकाला भी आ गया गुड्डू के दोनो हाथ पकड़े और झिमकू से गुड्डू को चाकू मारने के लिए कहा लेकिन गुड्डू फुर्तीला था उसने दोनो टांगे ऊपर करके हुकाला की गर्दन टांग में दबोच ली और अपने कंधे से जमीन पर खींच ली जिससे हुकाला की कमर में एक जोरदार पटकी लगी ।

तब तक झिमकू चाकू लेकर पास आ गया तो उसमे भी गुड्डू ने एक लात चाकू पर दी दूसरी उसके मुंह पर और गिरा दूसरी साइड जाकर ।

  एक तरफ अलबेला, झेला को संभाले हुए था उसके दो चार मुक्के रख दिए थे और थप्पड़ ही थप्पड़ मार रहा था ।

इसी तरह एक दूसरे के साथ लड़ाई चलती रही ।

कभी जादूगर कंकाल पिटता तो कभी हुकाला पिट जाता ।

    बाहर खड़ी निशा और गुड़िया भी सेठ के घर में चली आ रही थी वह इस सोच में थी पता नही अंदर क्या हो रहा होगा जहां गुड्डू और उसके साथी हुकाला से लड़ाई कर रहे थे वहां उन्हें आते देख जादूगर कंकाल ने बाजी पलट दी और फिर गुड़िया को अपने चाकू की नोक पर ले लिया ।

और हुकाला ने दोनो चेलों को माल समेटने के लिए कहा 

और जल्दी चाकू की नोक पर गुड़िया और निशा को लेकर यहां से बाहर निकलने लगे ...........


आज के लिए इतना ही शुक्रिया ✍️ 

लेखक : गुड्डू मुनीरी सिकंदराबादी 

  


आने वाला पार्ट (17) जरूर पढ़े ।

सस्पेंस को बरकरार रखते हुए क्या हुकाला अपने अगले टारगेट को पूर कर पाएगा या जादूगर कंकाल कुछ नया जादू दिखाएगा । पढ़ते रहिए 

 गुड्डू : द सुपर हीरो " जादूई कंचो की कहानी " 
















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3 Comments

GUDDU MUNERI

16-Apr-2024 05:32 PM

Bahut bahut shukriya aap sabhi ka...👍

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Gunjan Kamal

13-Mar-2024 11:13 PM

शानदार भाग

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Mohammed urooj khan

06-Mar-2024 12:44 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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