लेखनी कहानी -08-Mar-2024
अजनबी जुल्फों का समा सजा कर बैठे हैं
जाने अंजाने में हम किसी से दिल लगा कर बैठे हैं
ना जाने क्या होगा परिणाम मेरे दोस्तों
उनसे प्यार कर हम अपनी दुनिया भुला कर बैठे हैं।।
वह है सातिर न जाने वह क्या सोच कर बैठी हैं
पुरी हाथ या फिर केवल ठेंगा दिखा कर बैठी हैं
जो बोलने से हिचकती है बात ठीक से नहीं करती
हम क्या समझे उसे वह कहीं नियत राख कर नहीं बैठी है।।
दोनों हाथ में लड्डू लिए यार कहीं न बैठी है
बड़ी चालू पूर्जा है दो धारी तलवार लिए न बैठी है
उसे समझने में कहीं हमें भूल ना हुआ हो
वह लॉलीपॉप दिखाकर कहीं हमारी बस्ती न उजार बैठी है।।
संदीप कुमार अररिया बिहार
Gunjan Kamal
13-Mar-2024 10:06 PM
बहुत खूब
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Mohammed urooj khan
11-Mar-2024 01:13 PM
👌🏾👌🏾👌🏾
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HARSHADA GOSAVI
09-Mar-2024 01:13 PM
👌👌
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