Neeraj Agarwal

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लेखनी कहानी -11-Mar-2024

शीर्षक - इलाज से परहेज बेहतर


          आज के युग में हम सब किसी न किसी बीमारी से रोग से जूझ रहे हैं क्योंकि आज सभी की दिनचर्या बहुत व्यस्त है। और हम सभी अपनी बीमारियों का इलाज करने के लिए डॉक्टर हकीम के पास जाते हैं ऐसा ही जीवन में कुछ ना कुछ सभी के साथ होता है परंतु इलाज से परहेज बेहतर होता हैं।
       राजेश गांव का एक अनाथ लड़का था। और गांव में सभी के काम करता रहता था और कोई से खाना कोई से पैसा और कोई ना कोई कुछ ना कुछ काम के बदले उसे देता रहता था। इस गांव में एक अधेड़ उम्र की चटोरी बुढ़िया रहती थी। बस सभी गांव वाले उसे बुढ़िया को किसी न किसी तरह छेड़ कर उसकी गालियां सुनते और मस्ती लेते थे। परन्तु राजेश उस बुढ़िया को अम्मा कहकर शांत कर देता था। और उसे उसके घर तक छोड़ आता था। तब बुढ़िया भी उसे एक कप चाय और कुछ पैसे भी देती और वह राजेश से अपने घर में रहने को भी कहती थी। क्योंकि बुढ़िया जानती थी कि राजेश अनाथ है और उसका कोई नहीं है और बुढ़िया चाहती थी की है मेरे पास रहे और फिर सेवा करें मेरे मरने की बात का मालिक हो जाए। परंतु राजेश बात खुद्दार और ईमानदार तरह  का इंसान था। और मैं अपने जीवन में केवल उसे मंदिर के पुजारी और उसकी सीढ़ियों पर बैठता था। जहां उसे कुछ बचपन का एहसास होता था और कोई बदनसीब उसको बचपन में छोड़ गया था उन मंदिर की सीढ़िया पर वह उनसे नहीं बैठता था पता नहीं कब कोई उसे अपनाने आ जाए।
                     परंतु यह समाज और समाज के लोग तो केवल अपने स्वार्थ और अपने मतलब के यह सच राजेश जानता था। एक दिन बुढ़िया अम्मा सड़क पर चलते-चलते चक्कर खाकर गिर पड़ी। राजेश उसे उठाकर उसके घर तक ले जाता है और कहता है बुढ़ी अम्मा  इलाज से बेहतर परहेज हैं । क्योंकि राजेश जानता था बुढ़ी अम्मा को डायबिटीज शुगर  की बीमारी है। परंतु बुढ़िया अपने चटोरेपन के कारण मिठाई और चाय पीना नहीं छोड़ती थी। राजेश ने आज भी बुढ़ी अम्मा से कहा कि इलाज से बेहतर परहेज होता हैं। 
               एक दिन राजेश अपने घर से बाहर आता है और देखता है की बुढ़िया अम्मा के घर के आगे भीड़ लगी हुई है। वह पूछता है। कि क्या हुआ सभी ऐसे क्यों भीड़ लगाकर खड़े हो। तब सभी कहते हैं गांव की बुढ़ी अम्मा घर का दरवाजा नहीं खोल रही है और हम सभी घर का दरवाजा खटखटाकर  थक गए है। तब राजेश घर के छत से होकर घर के अंदर जाता है और देखता है की बुढ़िया एक कोने में बेहोश सी पड़ी है।

राजेश घर की कुंडी खोलकर बुढ़ी अम्मा को लेकर डाक्टर के यहां जाता हैं। तब डॉक्टर बताता है की बुढ़ी अम्मा का ब्लड प्रेशर और शुगर कम हो गया था इसलिए बुढ़ी अम्मा बेहोश हो गई थी। बुढ़ी अम्मा को होश आता है और राजेश फिर कहता है। कि इलाज से बेहतर परहेज़ हैं। राजेश बुढ़ी अम्मा को उसके घर छोड़ आता है और बस यही कहता है कि इलाज से बेहतर परहेज़ हैं। आज बुढ़ी अम्मा को भी समझ आ जाता हैं।


नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र

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4 Comments

Gunjan Kamal

13-Mar-2024 10:49 PM

👌👏

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HARSHADA GOSAVI

13-Mar-2024 07:45 PM

V nice

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Mohammed urooj khan

13-Mar-2024 04:33 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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