लेखनी कहानी -14-Mar-2024
शीर्षक - देहाती लड़का
राजीव देहाती लड़का था और वह गांव नूरपुर में रहता था साथी में गांव में अपनी खेती करता था उसका पढ़ाई लिखाई से दूर तक कोई संबंध नहीं रहा था। और मैं अपनी खेती और किसनी में बहुत मस्त था। राजीव का नाम गांव वाले प्यार से राजू कहते थे और राजू देखने भालने में अच्छा हष्ट पुष्ट था। अपने माता-पिता के परिवार की बहुत सेवा करता था और सारे घर के कामकाज बहुत ही फुर्तीला और तेजी से हर काम को निपटा था क्योंकि देहाती लड़का उसको ना किसी शान और सौगत की जरूरत थी।
देहाती लड़का राजू सादा जीवन उच्च विचार पर विश्वास करता था। और उसी गांव में एक उसके पड़ोस की लड़की थी रजनी जो की पढ़ी-लिखी और समझदार थी परंतु राजू देहाती अक्खड़ स्वाभाव का होने के कारण रजनी से उसकी बहुत कम बन पाती थी क्योंकि रजनी पढ़ी लिखी होने के साथ-साथ सुंदर और समझदार भी थी परंतु राजू अच्छा खासा नौजवान होने के साथ-साथ अपने स्वभाव से गुस्से वाला और सच बोलने वाला था यही राजू का देहाती लड़का होने का एक कारण था कि वह जल्द ही किसी से बात नहीं करता था और विश्वास और एतबार भी बहुत काम करता था क्योंकि उसका मानना था कि आजकल पैसा ही सब कुछ है परंतु राजू को रजनी को मन ही मन बहुत पसंद करती थी। देहाती लड़का राजू भी बहुत समझदार और सच को समझने वाला था वह भी रजनी को बहुत पसंद करता था परंतु इसलिए उससे लडता रहता था कि अगर रजनी को मैं पसंद आ गया या वह मुझसे शादी करने को राजी हो गई तब मैं उसकी बराबरी नहीं कर सकता क्योंकि वह एक समझदार पढ़ी-लिखी लड़की है और मैं एक देहाती लड़का इसलिए वह मन मन ही अपने अपने मन को काबू में कर कर वह अपने मन की इच्छा को मन ही मन दबा कर रखता है।
एक दिन रजनी अपने काम से शहर जाती है और जो रात को है अपने गांव लौट कर आती है तब कुछ गुंडे कुछ कर रजनी को परेशान करने लगते हैं। रात के समय देहाती लड़का राजू अपने खेत में ही सो रहा था वह रजनी की आवाज सुन और गुंडो को उससे छेड़खानी करते देख वह हाथ में लठ को लेकर वहां पहुंच जाता है। और गुंडों को मार भगाता हैं। और वह रजनी से कहता है कि तुम रात को गांव में आने की जरूरत क्या थी सुबह आ जाती तब रजनी रहती है तुम्हें चिंता की क्या जरूरत है मेरे साथ कुछ भी होता तुम क्यों आए ऐसा सुन देहाती लड़का राजू गुस्सा हो जाता है और कहता ठीक है आगे से मैं नहीं आऊंगा और फिर अपने खेतों की तरफ जाने लगता है तब रजनी पीछे से उसकी कोली भर लेती है। और देहाती लड़का राजू कहता है यह क्या कर रही हो कोई देखेगा तो हमारी बदनामी होगी तब रजनी उससे कहती है कि तुम मुझसे शादी क्यों नहीं कर लेते राजू मन को संभालते हुए कहता है मैं देहाती लड़का और तू एक पढ़ी लिखी एक लड़की मेरा तेरा मेल कहां है। और मन को काबू में करके वह रेंज कुदरत काट देता है।
देहाती लड़का राजू सच में अपने जीवन को एक मन को दबाकर जीवन जी रहा होता है। रजनी को वह भी बहुत प्यार करता है परंतु देहाती लड़का होने के साथ-साथ वह समझता है कि रजनी एक पड़ी लिखी समझदार लड़की है और उसके उसकी जोड़ी सही नहीं जमती है इसलिए वह मन ही मन अपने आप को रजनी के लायक नहीं समझता है।
सच तो देहाती लड़का राजू समझता था कि उसे रजनी से अच्छी पत्नी नहीं मिल सकती हैं। परंतु जीवन में भाग्य कर्म के साथ-साथ हम कुछ भी नहीं है और समय बदलता है कुछ दिनों बाद रजनी की शादी हो जाती है और वह गांव से बाहर शहर में जाकर रहने लगती है सच तो राजू देहाती लड़का होने के साथ-साथ आज भी रजनी को मन ही मन बहुत प्यार करता है। और वह इस बात से भी बहुत खुश है कि वह रजनी जिसे वह चाहता है मन ही मन अपने जीवन में खुश और सुख से जीवन बितायेगी।
देहाती लड़का राजू जब भी रजनी गांव आती तब है उससे मिलने जरूर जाता और उसके हाल-चाल पूछ कर मन ही मन खुश होता कि वह सही और सुकून से जीवन की रही है सच तो देहाती लड़का होने के साथ-साथ राजू एक अच्छा प्रेमी भी था। और रजनी भी समझती थी कि राजू भी मन मन में चाहता है।
देहाती लड़का राजू भाई रजनी से मिलता है तब रजनी बताती है कि वह शहर से और भी दूर जा रही है और अब वह गांव शायद कभी ना आए ऐसा कहकर रजनी जा रही होती है देहाती लड़का राजू उसे देखता ही रह जाता है। और रजनी भी उसको देखते हुए मन ही मन भावों में सोचती देहाती लड़का राजू और एक-दूसरे से ओझल हो जाते हैं। आज देहाती लड़का राजू के आंखों में आंसू वह रहे थे।
देहाती लड़का राजू अपनी त्याग और बलिदान के साथ रजनी की खुशहाल जिंदगी को देखकर बहुत खुश था।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
Gunjan Kamal
16-Mar-2024 09:02 PM
👌👏
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Mohammed urooj khan
15-Mar-2024 12:54 PM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Abhinav ji
15-Mar-2024 09:28 AM
Nice👍
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