Sadhana Shahi

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शब्द की महिमा (कविता) स्वैच्छिक प्रतियोगिता हेतु18-Mar-2024

1-शब्द की महिमा*

भाव की अभिव्यक्ति है शब्द, मानो इसको जैसे अब्द।

इनसे जुड़कर वाक्य है बनता। मन के भाव जो व्यक्त है करता।

आगे बढ़ा तो बन गया लेख, बड़ी- बड़ी घटना का किया उल्लेख।

घटना जुड़- जुड़ बन गई पुस्तक, किस्सा-कहानी साथ में मुक्तक।

दोहा, सोरठा, रोला इनसे, ग्रंथ ,उपनिषद भी हैं जिनसे।

किंतु यदि ना हों विषयोचित, लेख परत बन होते उपेक्षित।

उचित जगह पर उचित हों शब्द, पढ़कर उसे होते सभी स्तब्ध।

गलत शब्द यदि किए प्रयोग, ना सुधरे चाहे करो मनोयोग।

इससे पुस्तक उत्तम होती, इससे ही गरिमा को खोती।

ये अलंकार से करें सुसज्जित, ये मानव को करते विस्मित।

पुस्तक में रुचि यही जगाते, भक्ति ,श्रृंगार,ओज भाव ले आते।

इससे जीवन बनता जन्नत, इसी से मानव करता मिन्नत।

इसकी कीमत जानो मानव, यही बनाता देव व दानव।

साधना शाही, वाराणसी

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7 Comments

RISHITA

21-Mar-2024 06:22 AM

Amazing

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Mohammed urooj khan

19-Mar-2024 11:55 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Alka jain

19-Mar-2024 01:49 PM

Nice

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