Yusuf

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आदमी



तेरी शरारत को , सादगी लिखूँगा ।
सूरत को तेरी , चाँदनी लिखूँगा ||

इक जमाने से मैं उसे याद आया नहीं |
मैं खत क्यों उसे कभी कभी लिखूँगा ||       

पिरोओगे, जहां को फूलों की तरह |
उस दिन जवानों की जवानी लिखूँगा |

बिजलियो क्यों भुला दिया तुमने मेरा चमन |
जमकर कड़को रंगते आसमानी लिखूँगा ||

गम हो या खुशी बस तेरी यादें है |
आज तुझे अंगूर का पानी लिखूँगा ||

तुम लिखो , जमाने की दौलत |
 मैं , आदमी लिखूँगा ||

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4 Comments

Gunjan Kamal

04-Apr-2024 02:15 AM

👏🏻👌🏻

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Mohammed urooj khan

22-Mar-2024 12:24 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

21-Mar-2024 04:45 PM

Nice

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