आदमी
तेरी शरारत को , सादगी लिखूँगा ।
सूरत को तेरी , चाँदनी लिखूँगा ||
इक जमाने से मैं उसे याद आया नहीं |
मैं खत क्यों उसे कभी कभी लिखूँगा ||
पिरोओगे, जहां को फूलों की तरह |
उस दिन जवानों की जवानी लिखूँगा |
बिजलियो क्यों भुला दिया तुमने मेरा चमन |
जमकर कड़को रंगते आसमानी लिखूँगा ||
गम हो या खुशी बस तेरी यादें है |
आज तुझे अंगूर का पानी लिखूँगा ||
तुम लिखो , जमाने की दौलत |
मैं , आदमी लिखूँगा ||
Gunjan Kamal
04-Apr-2024 02:15 AM
👏🏻👌🏻
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Mohammed urooj khan
22-Mar-2024 12:24 AM
👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾
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Varsha_Upadhyay
21-Mar-2024 04:45 PM
Nice
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