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शिव-स्तुति

*शिव-स्तुति*
                शिव-स्तुति
गर महँ ब्याल भाल ससि सोहै।
सम्भु-नेत्र तीसर बड़  मोहै  ।।

भस्म-भभूति नाथ तनु धारी।
सम्भू -संकर  हे  त्रिपुरारी ।।

दियो जनम सुर-लय-संगीता।
ताण्डव नर्तन करि जग जीता।।

तव मुख सुनि प्रभु राम बखाना।
गिरिजा प्रभु-महिमा  पहिचाना।।

हे गिरिजापति औघड़ दानी ।
हरहु आइ भव-भय अग्यानी।।

पाप-बोझ दबि महि अकुलाए।
आइ  उबारउ  यहि  का  धाए ।।

नाथ तुमहिं बस जगत-अधारा।
जल-थल-नभ-चर सकल सहारा।।

तुम्ह बिनु रच्छक नहिं कोउ एका।
अहहिं जगत मा ब्याधि अनेका।।

लागै मति-भ्रम ई संसारा।
संजम-नियम न धरम-विचारा।।

काम-क्रोध-मद-लोभ बिराजै।
धन-बल जेहि मा ऊ नर छाजै।।

जबर न समुझै निरबल-गरिमा।
चहुँ-दिसि जंगल-राजै महिमा।।

गुरु-गरिमा अरु पूजन-अर्चन।
धरम-करम अरु देवन्ह-बंदन।।

भवा जगत मा परम अभावा।
जहँ देखहु तहँ असुर-प्रभावा।।
   दोहा- औघड़ दानी सम्भु प्रभु,डहुरहिं भगत तोहार।
            असुरन्ह कै करि नासु सिव,हरहु कलेस अपार।।
                            "©डॉ0हरि नाथ मिश्र
                                9919446372

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4 Comments

Gunjan Kamal

04-Apr-2024 02:16 AM

बहुत खूब

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Mohammed urooj khan

22-Mar-2024 12:26 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

21-Mar-2024 04:44 PM

Nice

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