Sadhana Shahi

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फाल्गुन माह और फुलेरा दूज (कहानी)21-Mar-2024

दिनांक- 21,03, 2024 दिवस- गुरुवार विषय- फाल्गुन माह और फुलेरा दूज


जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं 25 फरवरी 2024 रविवार से फाल्गुन का महीना प्रारंभ हो गया है । यह महीना हिंदू कैलेंडर का अंतिम महीना होता है। यह ठंड का अंत और ग्रीष्म के शुरुआत का महीना होता है ।इस महीने में प्रकृति खिलखिला उठती है । इस माह में प्रकृति को देखकर ऐसा विदित होता है मानो चारो तरफ हर्षोल्लास और प्रेम की बयार बह रही हो।

इस माह में पूरी प्रकृति रंग- बिरंगी दिखाई देती है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में किए गए विवाह और वैवाहिक जीवन के प्रयोग सर्वदा सफ़ल होते हैं। यह महीना प्रकृति के नज़रिए से जितना महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण धार्मिक तथा ऐतिहासिक दृष्टि से भी है।

वैसे तो यह महीना राधा-कृष्ण ,शिव-पार्वती, लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा हेतु समर्पित है। किंतु इस महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले फुलेरा दूज का एक अलग ही महत्व है। इस तिथि को मनाया जाने वाला फुलेरा पर्व होली के आगमन का प्रतीक माना जाता है। इस पर्व से जुड़ी राधा -कृष्ण की एक कथा प्रचलि है जिसके आधार पर इस पर्व को मनाया जाता है ।

उस कथा के अनुसार एक बार श्री कृष्ण व्यस्तता के कारण बड़े ही लंबे समय तक राधा रानी से मिलने वृंदावन नहीं जा पाए। जिस वज़ह से राधा रानी मुरलीधर से रूष्ट हो गईं। राधारानी के कुपित होने की वज़ह से गोपियांँ भी श्री कृष्ण से रूठ गईं।

राधारानी तथा गोपियों के निराश होने के कारण वृंदावन के सभी बाग- बगीचे, लताएंँ मुरझाने लगीं।

चारों तरफ़ वीरानगी छा गई ।प्रकृति मानो चेतना शून्य होने लगी। वन सूखने लगे, पुष्प मुरझाने लगे ।

जब श्री कृष्ण वृंदावन की ऐसी स्थिति से अवगत हुए तब तत्काल राधारानी से मिलने वृंदावन पहुंँचे। श्री कृष्ण का वृंदावन पहुंँचना था कि राधारानी तथा उनके साथ सभी गोपियांँ प्रसन्न हो गईं। राधारानी तथा गोपियों के प्रसन्न होते ही प्रकृति भी चारों तरफ़ हरी-भरी लहलहाने लगी। भंँवरे मीठे गीत गुनगुनाने लगे ,वृक्ष तथा लताएंँ पुष्पित और पल्लवित हो गए। पूरा वृंदावन उल्लसित दृष्टिगत होने लगा। कृष्ण ने पुष्पित हुए पुष्पों को तोड़कर राधारानी को छेड़ने हेतु उन पर फेंका। तत्पश्चात राधा रानी ने भी ऐसा ही किया।

राधारानी और श्रीकृष्ण को एक दूसरे पर पुष्प फेंकते देखकर वृंदावन के सभी गोपी और ग्वाल भी एक दूसरे पर पुष्प की वर्षा करने लगे। एक जनश्रुति के अनुसार कहा जाता है कि तभी से मथुरा और वृंदावन में फागुन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को फूलों की होली खेली जाने लगी। जिसे फुलेरा दूज के नाम से अभिहित किया गया।

इस दिन मथुरा तथा वृंदावन के सभी कृष्ण मंदिरों को फूलों से आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। फूलों की रंगीन रंगोली बनाई जाती है। तथा सभी भक्त एक दूसरे पर पुष्प की वर्षा करके फूलों की होली खेलते हैं।

यह त्योहार उत्तर भारत के गांँवों में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

यह दिन नए काम की शुरुआत के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन शादी, सगाई, मुंडन, मकान या ज़मीन की खरीदारी आदि कोई भी शुभ कार्य बिना पंडित या ज्योतिष के परामर्श के किया जा सकता है। क्योंंकि, इस दिन का हर पल शुभ होता है। कहा जाता है कि इस दिन राध-कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है और हमारे जीवन में आने वाली सभी परेशानियां तत्काल दूर हो जाती हैं और हमारा जीवन सुखमय हो जाता है।

साधना शाही, वाराणसी

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6 Comments

Gunjan Kamal

09-Apr-2024 10:50 PM

बहुत खूब

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Babita patel

30-Mar-2024 09:47 AM

V nice

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Mohammed urooj khan

23-Mar-2024 12:05 AM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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