Sadhana Shahi

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अन्नदाता किसान (कहानी) प्रतियोगिता हेतु-22-Mar-2024

दिनांक- 22-0 3- 2024 दिवस- शुक्रवार प्रदत्त विषय- अन्नदाता किसान (कहानी) प्रतियोगिता हेतु

सोहन एक बहुत बड़े जमींदार के बेटे होते हुए भी छोटे-छोटे किसानों के दुख दर्द को भी भली-भाँति समझते थे। वो छोटे-छोटे किसानों के खेतों की पैदावार को बढ़ाने के लिए सदैव प्रयासरत रहते थे।

वो एक अभियंता पद से सेवानिवृत होने के पश्चात खेती-बाड़ी में पूरी तरह तल्लीन हो गए थे। वो सदैव खेती के नए-नए तरीकों का ईजाद करते रहते थे।

इसी इजाद की श्रृंखला में उन्होंने सड़ी सब्जियों, घून लगे अनाजों,सब्जियों के छिलके, पत्तेदार सब्जियों के अवशिष्ट पदार्थ, कुछ पौधों के पत्ते इत्यादि से जैविक खाद बनाए और अपने खेत में उस खाद को डालकर खेती करने लगे। देखते-देखते उनके खेत के पैदावार में 20% से 25% प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो गई। उनके नवीन तकनीकी से खेती-बाड़ी, अलग-अलग तरह के खाद बनाने के तरीके को देखकर उन्हें कृषि विभाग वालों ने अपने प्रयोगशाला में आमंत्रित किया।

वहांँ पर भी जाकर उन्होंने तरह-तरह के खाद बनाने की विधि को बताया और खाद बनाकर दिखाया।उनका स्व- प्रयास पूरी तरह सफ़ल हुआ। उसके पश्चात अपने गांँव में आकर उन्होंने छोटे-छोटे किसानों को भी घर पर किस तरह से अपशिष्ट पदार्थ के साथ थोड़े से पैसे ख़र्च करके हम जैविक खाद बनाकर उससे खेती कर अधिक पौष्टिक और अधिक मात्रा में अनाज उत्पन्न कर सकते हैं यह सिखाये। उनके द्वारा इस तरह से घर पर खाद बनाने की प्रक्रिया को सीखकर उनके गांँव के सभी छोटे किसान बड़े भी प्रसन्नचित थे।

अब वो अपने खेतों में ख़ुद से बने खाद को डालकर खेती करने लगे और जब वो उन फलों, सब्जियों, अनाजों को बाज़ार में लेकर जाते तो लोगों में जैविक खाद से उत्पन्न वस्तुओं की मांँग बढ़ने लगी और देखते ही देखते छोटे अन्नदाता किसान जो अन्न तो उत्पन्न करते थे किंतु स्वयं अन्न के बिना कई बार अपने प्राणों की आहुति दे देते थे। उन किसानों के खेतों में फसलें लहलहाने लगीं और उन फसलों के साथ ही उनका घर हंँसी- खुशी से भर गया। अब छोटे-छोटे किसान, गांँव के निचले तबके के लोग जिनके पास रोजी-रोटी का कोई साधन नहीं था उनकी भी मदद करने लगे। जिनके पास खेती किसानी की कोई ज़मीन नहीं थी उन्हें अपने खेतों में रोज़गार देने लगे और इस तरह से गांँव के सभी छोटे-बड़े किसान वास्तव में अन्नदाता बन गए। क्योंकि ये न सिर्फ अपनी सुधा के पूर्ति कर रहे थे वरन् सबकी भूख मिटाने में मदद करने लगे।

सीख- किसान वास्तव में अन्नदाता हैं ,जो अपने धैर्य, परिश्रम, कार्य कुशलता के बल पर हम सबको अन्न देते हैं। किंतु अफ़सोस आज उन्हीं अन्नदाता का जीवन सबसे अधिक कष्ट में है। किंतु यदि ये अन्नदाता जागरूक होकर सकारात्मक परिश्रम करें तो ये अपना तथा दूसरों के अन्न की पूर्ति करने में अवश्य सक्षम होंगे और इस तरह से अपना तथा दूसरों का घर खुशियों से भर सकेंगे।

साधना शाही, वाराणसी

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5 Comments

Gunjan Kamal

09-Apr-2024 10:52 PM

शानदार प्रस्तुति

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Babita patel

30-Mar-2024 09:43 AM

V nice

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Varsha_Upadhyay

23-Mar-2024 10:56 PM

Nice

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