सन्यासी

सन्यासी


भगवा कपड़े पहन घूमते, कहलाते सन्यासी

मीठी मीठी इनकी बातें, जनता झट फंस जाती।


स्वर्ग नरक का लोभ दिखा, करते हैं गुमराह

अपना उल्लू सीधा करना, बस इनकी है चाह।


खुद को ईश्वर रूप बता कर, ऐंठ रहे ये माल

बड़े - बड़े घनचक्कर बनते, ऐसा करें कमाल।


क्या जनता, क्या नेता और क्या अभिनेता

सब ही इनके चरण पखारें, समझें युग प्रणेता।


मन काला, तन काला इनका, काले इनके काम

साम दाम और दंड भेद से बना रहे हैं नाम।


बड़ी बड़ी हैं गाडी इनकी बड़े हैं इनके धाम

लेकिन अंदर घुस कर देखो, करते नीचे काम।


बहन बेटियों की इज़्ज़त से करते हैं खिलवाड़

काम वासना व्यभिचार फैलाते लेके धर्म की आड़।


ढोंगी और पाखंडी ऐसे जगह जगह मिल जाते

धर्म और विश्वास के नाम पर अंधभक्त बनाते।


आँख खोल कर अपनी प्यारे करना तुम विश्वास

सन्यासी होने का मतलब नहीं जिसे कोई प्यास।


जो निष्काम भाव से जग के सारे सुख ठुकराता

सत्य सनातन सदा वही तो सन्यासी कहलाता।।

आभार - नवीन पहल - २३.०३.२०२४ 🙏🏻🙏🏻

# दैनिक प्रतियोगिता हेतु कविता 🙏🏻🌹😁

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5 Comments

Mohammed urooj khan

10-Apr-2024 01:13 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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kashish

24-Mar-2024 11:15 AM

Awesome

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Abhinav ji

24-Mar-2024 10:09 AM

Nice👍

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