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तारों के संग (स्वैच्छिक)-24-Mar-2024

प्रतियोगिता हेतु 
दिनांक: 24/03/2024

तारों के संग( स्वैच्छिक)

आसमान ने अपनी नाराज़गी 
हमसे ज़ाहिर कर दी
साथ हमारे जहान के 
तारें जो आ गए।
रूठ गया हमसे हमारा आसमान
कल तक वादे थे साथ रहने के 
सब धूमिल वो हो गए।
हमारी गलती क्या?
कुछ भी नहीं 
हमने नहीं लगाया तारों को अपने पीछे
जहां देखा उन्होंने इश्क 
वहीं वो छा गए।
ए! मन ना हो उदास तू
आसमान किसी एक का नहीं है यहां 
ये पूरे जहां का आसमान है
यह ज़मीन सभी की है 
यह तारों का समां भी सबका है।
जहां भी होगा प्यार 
ये सब वहीं आ गए।।

शाहाना परवीन 'शान'...✍️

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6 Comments

Punam verma

25-Mar-2024 09:02 AM

Very nice👍

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RISHITA

24-Mar-2024 06:27 PM

👍👍👍

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HARSHADA GOSAVI

24-Mar-2024 06:01 PM

👌👌👌

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