संसार

संसार
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बाग बगीचे नदियां झरने,
जीवन मार्ग दिखाते हैं।
पर्वत पवन समुद्री लहरें,
जंगल मान बढ़ाते हैं।।

भूख मिटाती जनजन की,
इस धरा की अद्भुत काया हैं।
यही शुरू हैं यही समापन,
यह संसार की माया हैं।।
    @ चंद्रगुप्त नाथ तिवारी

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4 Comments

Niraj Pandey

25-Oct-2021 10:03 AM

वाह

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Swati chourasia

24-Oct-2021 08:12 PM

Very beautiful

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Sunanda Aswal

24-Oct-2021 02:37 PM

बेहतरीन पंक्तियां

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हार्दिक आभार आदरणीया

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