ग़ज़ल
🌹*🌹🌹**चलो खेलें सनम होली**🌹🌹*🌹
हवाओं में घुला चन्दन चलो खेलें सनम होली।
भुला कर आओ हर अनबन चलो खेलें सनम होली।
सजा लें प्यार का गुलशन चलो खेलें सनम होली।
बना दें ख़ाक को कुन्दन चलो खेलें सनम होली।
बहुत दिन से ख़फ़ा हैं एक दूजे से यहां हम तुम।
मिला लें आओ मन से मन चलो खेलें सनम होली।
न शर्माओ , न लज्जाओ , ह़सीं चेहरा तो दिखलाओ।
हटा लो रुख़ से ये चिलमन चलो खेलें सनम होली।
परेशां तुम भी हो तन्हा पशेमां हम भी हैं तन्हा।
मिटा लें दिल की हर उलझन चलो खेलें सनम होली।
मैं तुम को रंग दूं दिलबर मुझे तुम रंग दो जानू।
डुबो लें रंग में तन मन चलो खेलें सनम होली।
पयाम -ए- इश्क़ ले कर आई है फागुन की यह बेला।
रहें हम किस लिए दुश्मन चलो खेलें सनम होली।
कहां तक हम फ़राज़ आख़िर यूंही शर्माएं बोलो तुम।
ह़या के तोड़ कर बन्धन चलो खेलें सनम होली।
सरफ़राज़ हुसैन 'फ़राज़' पीपलसाना मुरादाबाद।
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RISHITA
24-Mar-2024 06:27 PM
👍👍👍👍
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HARSHADA GOSAVI
24-Mar-2024 06:01 PM
👌👌👌
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Gunjan Kamal
24-Mar-2024 01:33 PM
बहुत खूब
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