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अलविदा




अलविदा
ख़ामियां ढ़ूंढ़ा किये थे आज तक तुम,
अब मेरी अच्छाइयां तुम याद करोगे।

छोड़ कर इस ख़ुदग़र्ज़ ज़हां को जा रही हूं,
तुम मेरी परछाइयां ढ़ूंढ़ा करोगे।

अब न पाओगे मेरी परछाइयां भी,
तुम मुझसी दीवानगी ढ़ूंढ़ा करोगे।

याद करके अगर आंसूं भी टपकें तुम्हारे,
कब्र पर जा मेरी तुम रोया करोगे।

और अधिक पशेमानी मे रोने की जरूरत नहीं है
ज़िन्दगानी में  अब पशेमानी कोई न रखना

सोच कर मुझको दिल मे किसी उलझन की जरूरत नहीं है,
मुआफ़ किया है मैंने दिल से अब किसी सोच की जरुरत नहीं है।

ख़ुश रहना मेरे अय मीत, ज़िन्दगी मे सदा ही तुम,
दुआ यही मांग कर खुदा से जा रही हूं।

बस इतनी सांस थी मेरी,तुम्हारी कोई ख़ता न थी,
गुज़ारे थे जो दिन तुम्हारे साथ,वो यादें ले कर जा रही हूं।

अलविदा सजन, अलविदा हमदम!

आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़






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1 Comments

Gunjan Kamal

08-Apr-2024 11:28 PM

बहुत खूब

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