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होली-25-Mar-2024

होली पर कविता 


फूलों  ने  फूलों   से   खेली   है  होली 

गेंदा    गुलाब    संग     चंपा    चमेली 

लेकर   अबीर   मकरंदों    का   अपने 

कलियां भी कोमल पंखुड़ियां है खोली। 


आतुर   पवन   प्रेम    मदमस्त   होकर 

जगाने  चला  है  उठा   जो   न  सोकर 

उठा   है   अरुण   रंग   लेकर   सिंदूरी 

डाला  है   प्रेम   रंग  बनकर  हमजोली। 


खेतन   मा   गेहूं  की  बाली  सजी   है 

तैयार   सरसो   की   फूली   फली   है 

छीमी   मटर  की   हंस  हंस  के  बोली 

होली   को   तैयार   हमने  भी  हो  ली। 


रही  कूक  कोयल  टहल तितलियां भी

रंगी   है   फिजाएं   सजी  वादियां  भी 

गाता   चला   फूल   पर   भौंरा   टोली

फूलों   ने   फूलों   से  खेली   है  होली। 


कुछ   हैं   विरोधी   रंगों   में  रखे  हम 

मिटाकर   इसे   लग  जाए   गले   हम 

लगाएं  रंग प्रेम से कुमकुम टीका टोली 

फूलों   ने   फूलों   से   खेली  है  होली।  


भरी  लालिमा  से  सुबह  शाम  भी  है 

उड़ी  बादलों  की  गजब  साज  भी  है 

बसंती   चमन   है   सजी   जैसे  डोली 

फूलों   ने   फूलों   से   खेली  है  होली। 



          रचनाकार

     रामबृक्ष बहादुरपुरी

अम्बेडकरनगर उत्तर प्रदेश 



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4 Comments

Gunjan Kamal

11-Apr-2024 12:26 AM

बेहतरीन

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Babita patel

01-Apr-2024 08:58 AM

Fantastic bhaiya

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Varsha_Upadhyay

31-Mar-2024 10:17 PM

Nice

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